
दिन में हो या रात में, अब कीचड़ में नहीं चलना पड़ता, बरसाती लाल को बरसात में
कोरबा / वह बरसात का मौसम ही था, जो ग्राम चुईया के बरसाती लाल के लिए हर बार मुसीबत बन जाती थीं। बरसात होते ही जहाँ उन्हें अपने कच्चे मकान में मुसीबत मोल लेना पड़ता था वही गाँव की वह गली भी थी जो पानी गिरते ही कीचड़ से इस तरह लथपथ हो जाती थी…