बीजेपी ने निगमों में सभापति तय करने नियुक्त किए पर्यवेक्षक: 10 नेताओं को दी जिम्मेदारी… नगर पालिका उपाध्यक्ष चुनने भी नेताओं को दी जिम्मेदारी..जानिए कहां किन्हे मिली जिम्मेदारी..
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Last Updated on 7 hours by City Hot News | Published: February 22, 2025
रायपुर// छत्तीसगढ़ के सभी नगर निगमों में अब सभापति का चुनाव किया जाना है। भाजपा ने इसके लिए पर्यवेक्षक नियुक्त किए हैं। सभी 10 निगमों के लिए 10 नेताओं को जिम्मेदारी दी गई है। जिसमें सांसद संतोष पांडे, धरमलाल कौशिक, नारायण चंदेल जैसे नेताओं के नाम शामिल हैं। वहीं, सभापति के लिए दावेदारों के नाम भी सामने आने लगे हैं।
पर्यवेक्षकों की नियुक्ति पर सांसद संतोष पांडेय ने बताया कि, संगठन की ओर से मिलने वाली गाइडलाइन के तहत सभापति चुने जाएंगे। पार्टी कार्यालय में बैठक होगी। जल्द ही प्रक्रिया की शुरुआत करेंगे। सभापति के नामों पर स्थानीय स्तर पर चर्चा की जाएगी। पार्षदों में से योग्य को जवाबदारी दी जाएगी।
इन नेताओं पर सभापति चुनने की जिम्मेदारी
नगर निगम | पर्यवेक्षक का नाम |
बिलासपुर | संतोष पांडेय |
कोरबा | पुरंदर मिश्रा |
रायगढ़ | ललित चंद्राकर |
अंबिकापुर | शिवरतन शर्मा |
चिरमिरी | गोमती साय |
रायपुर | धरम लाल कौशिक |
धमतरी | मोतीलाल साहू |
दुर्ग | संजय श्रीवास्तव |
राजनांदगांव | रूप कुमारी चौधरी |
जगदलपुर | नारायण चंदेल |
चलिए जानते हैं, सभापति के लिए कहां किसके नाम की चर्चा
- रायपुर
रायपुर निगम में सूर्यकांत राठौर, मनोज वर्मा और सरिता दुबे को भाजपा सभापति के लिए आगे कर सकती है। सूर्यकांत राठौर 5वीं बार पार्षद चुनकर आए हैं। एक बार वे नेता प्रतिपक्ष भी रह चुके हैं। निगम में सीनियर पार्षद होने के साथ ही वे तेज तर्रार नेता हैं। निगम के प्रावधानों की भी अच्छी जानकारी रखते हैं।
वहीं, मनोज वर्मा पिछले कार्यकाल में उपनेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। इस बार सभापति की रेस में हैं। सरिता दुबे के नाम की चर्चा है। महापौर पद को लेकर भी उनके नाम की चर्चा थी। इस बार उन्हें सभापति बनाए जाने की बात संगठन में हो रही हैं। हालांकि भाजपा हमेशा सही मौके पर चौंकाती रही है।
- रायगढ़
रायगढ़ में सभापति को लेकर सुरेश गोयल, पूनम सोलंकी और डिग्री साहू के नाम की चर्चा है। सुरेश गोयल पिछले करीब 45 सालों से राजनीति में सक्रिय हैं। वे तीन बार पार्षद और एक बार सभापति का प्रभार भी संभाल चुके हैं। सुरेश नगर पालिका में नेता प्रतिपक्ष भी रह चुके हैं।
इसके अलावा 18 नंबर वार्ड की पार्षद पूनम सोलंकी, जो इस बार निर्विरोध निर्वाचित हो चुकी हैं। उनका नाम भी सभापति की रेस में है। तीसरा नाम कज कंकरवाल का है, वो पिछले करीब 27 सालों से सक्रिय राजनीति में हैं। वे 5वीं बार पार्षद बने है। एक बार नेता प्रतिपक्ष भी रह चुके हैं।
- दुर्ग
दुर्ग में सभापति को लेकर सबसे अधिक चर्चा कांशीराम कोसरे, लीना दिनेश देवांगन और नरेंद्र बंजारे के नाम पर चल रही है। कांशीराम कोसरे लगातार 5वीं बार पार्षद बने हैं। महापौर कुर्मी समाज हैं, इसलिए कोसरे के सभापति बनने के असार अधिक है।
लीना दिनेश देवांगन भी 5वीं बार पार्षद बनी है। उन्हें काफी अनुभव भी है। इसके अलावा, नरेंद्र बंजारे चौथी बार पार्षद बने हैं। वो केंवट समाज से आते हैं। भाजपा इस समाज को भी साध सकती है।
- धमतरी
धमतरी से सभापति के लिए 3 नाम आगे चल रहे हैं। नीलेश लुनिया भारतीय जनता युवा मोर्चा मंडल महामंत्री रहे हैं। वो दूसरी बार पार्षद बने हैं। इसके अलावा, नवनिर्वाचित पार्षद ताल्लिनपुरी गोस्वामी और मेघराज सिंह ठाकुर भी रेस में हैं।
- कोरबा
कोरबा में सभापति के लिए मंत्री लखनलाल देवांगन के भाई नरेंद्र देवांगन, पूर्व नेता प्रतिपक्ष हितानंद अग्रवाल, पूर्व सभापति और पूर्व जिला अध्यक्ष अशोक चावलानी, तीसरी बार पार्षद बने चंद्रलोक सिंह, नूतन सिंह ठाकुर और लक्ष्मण श्रीवास के नाम की चर्चा है।
- राजनांदगांव
राजनांदगांव में सभापति पद के लिए भाजपा के सीनियर पार्षद पारस वर्मा का केवल एक नाम चल रहा है।
- अंबिकापुर
अंबिकापुर में सभापति के लिए 5 बार के पार्षद आलोक दुबे का नाम सबसे आगे चल रहा है। सीनियर और कानून के जानकार है। दूसरी बार पार्षद बने मनीष सिंह भी रेस में है। इनका परिवार जनसंघ से जुड़ा रहा है। हरमिंदर सिंह लगातार तीसरी बार पार्षद चुने गए हैं। पहली बार ये निर्दलीय लड़े थे।
- बिलासपुर
बिलासपुर में जिस तरह से भाजपा ने ओबीसी प्रत्याशी के लिए पूजा विधानी का नाम फाइनल किया। उसी तरह से सभापति के लिए भी नए नाम पर विचार किया जा सकता है। इसमें महिला पार्षद को भी सभापति बनाया जा सकता है। ऐसा कर भाजपा महिला सशक्तिकरण और महिलाओं को पार्टी में महत्व देने जैसी बातों को भुना सकती है।
लेकिन सभापति के लिए जो भी नाम तय किए जाएंगे, उसमें विधायक अमर अग्रवाल की पसंद का ख्याल रखा जाएगा। जाहिर है कि पूजा विधानी की तरह सभापति के लिए भी अमर अग्रवाल के करीबी का नाम फाइनल हो सकता है। यह अलग बात है कि, सभापति के लिए जिले के बाकी विधायक भी लाबिंग कर सकते हैं।
नगर पालिका उपाध्यक्ष चुनने इन नेताओं को जिम्मेदारी
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कैसे होता है सभापति का चुनाव ?
सभापति पार्षदों में से ही किसी एक को बनाया जाता है। संसद या विधानसभा के स्पीकर की तरह नगर निगम की सामान्य सभा का संचालन करने का जिम्मा सभापति पर होता है। नगर निगम के नियमों के मुताबिक महापौर के शपथ ग्रहण के 15 दिन के भीतर सभापति तय किया जाना चाहिए।
इसके लिए कलेक्टर नगर निगम में पार्षदों का सम्मेलन बुलाते हैं। इस सम्मेलन में पार्षद सभापति को लेकर वोट करते हैं। सबसे अधिक वोट हासिल करने वाले काे सभापति नियुक्त किया जाता है। इस बार प्रदेश की नगर निगमों में भाजपा को बहुमत मिला है। तय है सभापति भाजपा के ही होंगे। कई जगहों पर मतदान की स्थिति नहीं बनेगी, निर्विरोध सभापति चुने जाएंगे।
इस प्रक्रिया से पहले भाजपा ने जिन्हें पर्यवेक्षक बनाया है, वो पार्षद दल की बैठक करेंगे। सभापति के नाम को लेकर रायशुमारी होगी। एक नाम तय होने के बाद पार्षद उसी का समर्थन करते हैं। आमतौर पर पार्टी के अनुशासन की वजह से ऐसा नहीं होता कि, तय नाम के अलावा कोई पार्षद खुद को सभापति बनाए जाने की मांग करे।