बुजुर्ग की याचिका- पत्नी अलग रहती है, गुजारा-भत्ता दिलाओ: रायपुर फैमिली कोर्ट में दिया आवेदन, भरण-पोषण के लिए 50 हजार रुपए महीने की मांग…
Last Updated on 1 year by City Hot News | Published: October 11, 2023
रायपुर// दंपती के बीच होने वाले वैवाहिक विवाद के ज्यादातर मामलों में पत्नी भरण-पोषण की मांग करती है, लेकिन रायपुर के फैमिली कोर्ट में 65 साल के एक बुजुर्ग ने याचिका दायर की है। इसमें उन्होंने पत्नी से गुजारा भत्ता और भरण-पोषण देने के लिए कहा है।
दरअसल, मामला है, रायपुर के ही रहने वाले फतेहचंद का। उन्होंने अपनी याचिका में कहा कि उनकी पत्नी सालों से अलग रह रही है। बढ़ती उम्र के कारण उनकी तबीयत ठीक नहीं रहती। वह अपने खाने, रहने और दवाइयों का भी खर्च उठाने में असमर्थ हैं और उधार लेकर खर्च चलाते हैं।
रायपुर फैमिली कोर्ट
तीन लाख रुपए कमाती है, पर पत्नी धर्म नहीं निभा रही
फतेहचंद ने भरण-पोषण की अपनी याचिका एडवोकेट अनुराग गुप्ता और आयुष सरकार के माध्यम से कोर्ट में दर्ज की है। आवेदन में बताया है कि उसकी पत्नी 3 लाख रुपए महीना कमाती है। इसके बाद भी पत्नी धर्म नहीं निभा रही। उसका पत्नी के अलावा कोई नहीं है। वह पूरी तरह से अपनी पत्नी पर ही निर्भर है। ऐसे में 50 हजार रुपए मासिक भरण पोषण दिलाया जाए।
कोर्ट ने स्वीकार किया आवेदन
याचिकाकर्ता के वकील अनुराग गुप्ता ने बताया कि फैमिली कोर्ट में सोमवार को भरण पोषण के लिए याचिका दायर की गई थी, जिसे स्वीकार कर लिया गया है। इस केस की सुनवाई 28 नवम्बर को होगी। कोर्ट ने फतेहचंद की पत्नी को नोटिस जारी कर सुनवाई में हाजिर होने कहा है।
2016 में भी आ चुका है ऐसा मामला
युवक राहुल गुप्ता ने भी ऐसी ही एक याचिका 2016 में दायर की थी। इसमें बताया था कि उसकी पत्नी सरकारी नौकरी कर रही है। ऐसे में उसे स्थाई गुजारा भत्ता दिया जाए, लेकिन फैमिली कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी। इस पर उसने हाईकोर्ट में अपील की, लेकिन वहां भी खारिज कर दिया गया। कोर्ट ने कहा था कि शारीरिक रूप से सक्षम और शिक्षित को प्रावधानों का लाभ नहीं मिल सकता।
पति -पत्नी एक-दूसरे से गुजारा भत्ता मांगने और पाने के अधिकारी
हिंदू विवाह अधिनियम 1955 में लागू हुआ था। इसकी धारा-24 कहती है कि पति या पत्नी जो भी अपने ख़र्च उठाने में सक्षम नहीं है अथवा उसकी स्वतंत्र आय नहीं है, तो वह न्यायालय से अपने भरण-पोषण और कोर्ट कार्यवाहियों के खर्च की मांग कर सकता है। न्यायालय जीवन साथी की आय को ध्यान में रखते हुए उसे प्रतिमास एक उचित राशि देने के लिए बाध्य कर सकता है।
यदि पति की स्वतंत्र आय नहीं है और पत्नी कमाऊ है, तो पति भी पत्नी से यह मांग कर सकता है। इसी अधिनियम की धारा-25 कहती है कि भरण-पोषण और स्थायी निर्वाहिका के लिए भी आवेदन दिया जा सकता है। इस मामले में न्यायालय जीवन साथी की आय, आचरण और संपत्ति को ध्यान में रखकर आदेश देता है। यह मांग भी पति या पत्नी, कोई भी कर सकता है।