पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का 92वें साल की उम्र में निधन:दिल्ली के एम्स में आखिरी सांस ली; राहुल, खड़गे कर्नाटक से दिल्ली रवाना…

Last Updated on 2 weeks by City Hot News | Published: December 26, 2024

नई दिल्ली।।

डॉ मनमोहन सिंह 2004 से 2014 तक देश के प्रधानमंत्री थे। - Dainik Bhaskar

डॉ मनमोहन सिंह 2004 से 2014 तक देश के प्रधानमंत्री थे।

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह (92 साल) की उम्र में निधन हो गया। गुरुवार रात अचानक तबीयत बिगड़ गई थी। उन्हें दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराया गया थ।

कर्नाटक के बेलगावी में चल रही कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) मीटिंग रद्द कर दी है। साथ ही 27 दिसंबर को होने वाले सभी प्रोग्राम भी रद्द कर दिए गए हैं। राहुल गांधी और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे बेलगावी से दिल्ली रवाना हो गए हैं।

AIIMS के बाहर सिक्योरिटी बढ़ा दी गई है। प्रियंका गांधीा AIIMS पहुंच चुकी हैं। सोनिया गांधी भी थोड़ी देर में अस्पताल पहुंच रही हैं।

बतौर वित्तमंत्री देश में उदारीकरण लाए मनमोहन सिंह, नरसिम्हा राव बोले थे- सफल हुए तो श्रेय हम दोनों को, नाकाम हुए तो आपकी जिम्मेदारी

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का आज निधन हो गया। वे अविभाजित भारत के पंजाब के गाह गांव में पैदा हुए थे। मनमोहन सिंह को भारत की अर्थव्यवस्था में उदारीकरण लाने का श्रेय दिया जाता है। वे पीवी नरसिम्हा राव सरकार (1991-96) में वित्तमंत्री रहे थे।

पीवी नरसिम्हा राव ने तब एक आला अफसर पीसी अलेक्जेंडर की सलाह पर वित्तमंत्री बनाया था। नरसिम्हा ने मनमोहन से कहा था कि अगर आप सफल हुए तो इसका श्रेय हम दोनों को जाएगा। अगर आप असफल हुए तो सिर्फ आपकी जिम्मेदारी होगी।

नरसिम्हा राव के शपथ ग्रहण से एक दिन पहले मनमोहन को फोन गया… नरसिम्हा राव 1991 में प्रधानमंत्री बने तो वे कई चीजों के एक्सपर्ट बन चुके थे। स्वास्थ्य और शिक्षा मंत्रालय वे पहले देख चुके थे। वो विदेश मंत्री भी रह चुके थे। उनका एक ही विभाग में उनका हाथ तंग था और वो था वित्त मंत्रालय। प्रधानमंत्री बनने से दो दिन पहले कैबिनेट सचिव नरेश चंद्रा ने उन्हें 8 पेज का एक नोट दिया था, जिसमें बताया गया था कि भारत की आर्थिक स्थिति बहुत खराब है।

नरसिम्हा राव ने उस समय के अपने सबसे बड़े सलाहकार पीसी अलेक्जेंडर से पूछा कि क्या आप वित्तमंत्री के लिए ऐसे व्यक्ति का नाम सुझा सकते हैं, जिसकी इंटरनेशनल लेवल पर स्वीकार्यता हो। अलेक्जेंडर ने उन्हें रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर रह चुके और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के निदेशक आईजी पटेल का नाम सुझाया।

आईजी पटेल दिल्ली आना नहीं चाहते थे, क्योंकि उनकी मां बीमार थीं और वे वडोदरा में थे। फिर अलेक्जेंडर ने ही मनमोहन सिंह का नाम लिया। अलेक्जेंडर ने शपथ ग्रहण समारोह से एक दिन पहले मनमोहन सिंह को फोन किया। उस समय वे सो रहे थे, क्योंकि कुछ घंटे पहले ही विदेश से लौटे थे। जब उन्हें उठाकर इस प्रस्ताव के बारे में बताया गया तो उन्होंने इस पर विश्वास नहीं किया।

इसलिए ऐतिहासिक माना जाता है 1991 का बजट… 1991 में नरसिम्हा राव की सरकार में वित्तमंत्री रहते हुए उन्होंने बजट में उदारीकरण (Liberalization), निजीकरण (Privatization) और वैश्वीकरण (Globalization) से जुड़ी अहम घोषणाएं की, जिससे भारत की अर्थव्यवस्था को नई रफ्तार मिली। इसके चलते देश में व्यापार नीति, औद्योगिक लाइसेंसिंग, बैंकिंग क्षेत्र में सुधार और प्रत्यक्ष विदेश निवेश (FDI) की अनुमति से जुड़े नियम-कायदों में बदलाव किए गए।

2004 में ऐसे आया मनमोहन का नाम 2004 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने UPA गठबंधन बनाया और कई दलों के साथ मिलकर सरकार बनाई। सोनिया गांधी 1998 में राजनीति में आई थीं और 2004 में पार्टी की कमान संभाल रही थी। लोकसभा चुनाव के ओपिनियन पोल में भाजपा को दो-तिहाई बहुमत मिलने की भविष्यवाणी की गई थी। भाजपा जीत के भरोसे में थी। नतीजे आए तो बीजेपी 182 सीटों से लुढ़ककर 138 सीटों पर आ गई थी। कांग्रेस 114 से बढ़कर 145 सीटों पर पहुंच गई। हालांकि, पीएम कौन बनेगा, इस बात को लेकर अनिश्चितता थी।

UPA सरकार में विदेश मंत्री रहे नटवर सिंह अपनी किताब ‘वन लाइफ इज नॉट एनफ’ में लिखते हैं, ‘उस समय गांधी परिवार पसोपेश में था। राहुल ने अपनी मां से कहा कि वो PM नहीं बनेंगी। राहुल अपनी मां को रोकने के लिए कुछ भी करने को तैयार थे। दोनों मां-बेटे के बीच ऊंची आवाज में बातें हो रही थीं। राहुल को डर था कि मां PM बनीं तो उन्हें भी दादी और पिता की तरह मार दिया जाएगा।’

नटवर लिखते हैं, ‘राहुल बेहद गुस्से में थे। उस वक्त मैं, मनमोहन सिंह और प्रियंका वहीं थे। बात तब बढ़ गई जब राहुल ने कहा कि मां मैं आपको 24 घंटे का टाइम दे रहा हूं। आप तय कर लीजिए क्या करना है? आंसुओं से भरी मां (सोनिया) के लिए यह असंभव था कि राहुल की बात को वे दरकिनार कर दें।’

18 मई 2004 की सुबह सोनिया गांधी सुबह जल्दी उठीं। राहुल और प्रियंका के साथ चुपचाप घर से बाहर निकल गईं। सोनिया की कार राजीव गांधी की समाधि पहुंची। तीनों थोड़ी देर तक समाधि के सामने बैठे रहे।

उसी शाम 7 बजे संसद के सेंट्रल हॉल में कांग्रेस सांसदों की बैठक हुई। सोनिया गांधी ने राहुल और प्रियंका की तरफ देखकर कहा- मेरा लक्ष्य कभी भी प्रधानमंत्री बनना नहीं रहा है। मैं हमेशा सोचती थी कि अगर कभी उस स्थिति में आई, तो अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनूंगी। आज वह आवाज कहती है कि मैं पूरी विनम्रता के साथ ये पद स्वीकार न करूं।

इसके बाद दो घंटे तक कांग्रेस के सांसद सोनिया को पीएम बनने के लिए मनाते रहे, लेकिन नाकामी हाथ लगी। इसी दौरान UP के एक सांसद ने कहा, ‘मैडम आपने वो मिसाल कायम की है, जैसा पहले महात्मा गांधी ने की है। आजादी के बाद जब देश में पहली बार सरकार बनी तो गांधी जी ने भी सरकार में शामिल होने से मना कर दिया था। तब गांधी जी के पास नेहरू थे। अब कोई नेहरू कहां है।’

सोनिया जानती थीं कि उनके पास एक तुरुप का पत्ता था और वो थे मनमोहन सिंह। कांग्रेस संसदीय दल की बैठक में प्रधानमंत्री पद के लिए मनमोहन सिंह के नाम का ऐलान कर दिया गया। पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने किताब ‘टर्निंग पॉइंट्सः ए जर्नी थ्रू चैलेंजेज’ में लिखा कि UPA की जीत के बाद राष्ट्रपति भवन ने सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री बनाने से संबंधित चिट्ठी भी तैयार कर ली थी, लेकिन जब सोनिया गांधी उनसे मिलीं और डॉ. मनमोहन सिंह का नाम आगे किया तो वह चकित रह गए थे। बाद में दोबारा चिट्ठी तैयार करनी पड़ी थी। मनमोहन सिंह ने 22 मई 2004 से 26 मई 2014 तक पहली बार प्रधानमंत्री पद संभाला।

2009 में राहुल ने कहा था- मैं पीएम नहीं बनना चाहता 2009 लोकसभा चुनाव में यूपीए को 262 सीटें मिलीं। एक बार प्रधानमंत्री के नाम को लेकर अटकलें का दौर शुरू हो गया। सियासी गलियारों में राहुल गांधी का नाम उछाला गया। सीनियर जर्नलिस्ट वीर सांघवी अपनी बुक अ रूड लाइफ: द मेमॉयर में लिखते हैं- मनमोहन सिंह दूसरी बार पीएम बनने को तैयार नहीं थे। उन्होंने सोनिया के सामने शर्त रखी थी कि बतौर प्रधानमंत्री जब कार्यकाल पूरा करने का मौका मिलेगा, तभी दोबारा पद संभालेंगे।

इसके बाद राहुल ने उन्हें भरोसा दिलाया था कि उनकी प्रधानमंत्री बनने की कोई इच्छा नहीं है। इसके बाद मनमोहन ने दोबारा (22 मई 2009- 17 मई 2014) प्रधानमंत्री पद संभाला।