Astrology: अस्त ग्रह क्या होता है ? कोई ग्रह अस्त कैसे होता है, अस्त ग्रह के अशुभ परिणाम क्या होते हैं ?
Last Updated on 2 years by City Hot News | Published: April 24, 2023
चन्द्रमा 12 अंश पर, मंगल 7 अंश पर, बुध 13 अंश पर, गुरु 11 अंश पर, शुक्र 9 अंश पर और शनि 15 अंश पर अस्त होते हैं यानी कि अगर कोई भी ग्रह सूर्य की परिधि में इतने अंश तक आ गया तो वो अस्त हो जाता है।
सूर्य ग्रहों के राजा हैं और सूर्य को सबसे शक्तिशाली ग्रह की संज्ञा प्राप्त है और उसका कारण सूर्य का तेज होता है। वैदिक ज्योतिष के कई महत्वपूर्ण सूत्र है और अस्त ग्रहों के बारे में भी विस्तार से बताया गया है। दरअसल कोई ग्रह जब सूर्य के इतना निकट चला जाए की वो सूर्य के तेज और ओज से प्रभावहीन हो जाए तो ऐसे ग्रह को अस्त ग्रह कहा जाता है। माना जाता है कि वो शुभ फल नहीं देता हैं। ऐसे ग्रह कुपित ग्रह कहलाते हैं और माना जाता है कि इनकी दशा अंतर्दशा में इनका शुभ फल प्राप्त नहीं होता है। सूर्य के अलावा बाकी सभी ग्रहों के अस्त होने का दोष लगता है जिनकी जानकारी निम्नलिखित है।
कोई भी ग्रह कब अस्त होगा ?
चन्द्रमा 12 अंश पर, मंगल 7 अंश पर, बुध 13 अंश पर, गुरु 11 अंश पर, शुक्र 9 अंश पर और शनि 15 अंश पर अस्त होते हैं यानी कि अगर कोई भी ग्रह सूर्य की परिधि में इतने अंश तक आ गया तो वो अस्त हो जाता है। जैसे शुक्र 8 डिग्री का और सूर्य 14 डिग्री का एक ही भाव में हो तो दोनों में सिर्फ 6 डिग्री का अंतर आया यानी कि वो अब अस्त ग्रह हो गया। अब ऐसा ग्रह अपने कारक का शुभ फल प्रकट नहीं कर पाता है। हालांकि बुध सदैव सूर्य के समीप ही रहता है इसलिए कहा जाता है कि बुध के लिए 3 डिग्री को माना जाना चाहिए। अगर कोई भी ग्रह सूर्य के साथ है और उससे 15 डिग्री के फासले पर है तो वो पूर्ण उदित हुआ और अगर फासला सिर्फ 8 डिग्री का है तो वो मध्यम हुआ और अगर फासला 7 डिग्री से कम है तो ऐसा ग्रह बुध को छोड़कर पूर्ण अस्त कहा जाता है।
अस्त ग्रह का फल क्या होता है ?
चन्द्रमा – ऐसा सिर्फ अमावस के समय ही होगा। अगर चन्द्रमा अस्त हुआ तो जातक को मां के सुख में कमी और संपत्ति मिलने में देरी होगी।
मंगल – अगर मंगल सूर्य से अस्त हुआ तो साहस में कमी और प्रॉपर्टी से फायदा नहीं होगा। जिस भी धंधे में जायेगा नुकसान ही होगा।
बुध – इस ग्रह को अस्त होने का दोष नहीं होगा फिर भी ये देखा गया है कि अस्त होने के बाद यह ग्रह कोई खास लाभ नहीं देता है। त्वचा विकार और सम्मान की हानि होती है।
गुरु – अगर गुरु सूर्य से अस्त हो जाए तो चरित्र पर लांछन लगते हैं। ऐसा व्यक्ति स्वयं को सदैव सच्चा साबित करने की कोशिश करता रहता है। ज्ञानी होने के बाद भी उच्च पद नहीं मिलता है।
शुक्र- अगर कुंडली में शुक्र अस्त हुआ तो काम पूरे होने में बाधा आती है। पत्नी सुख में कमी और यौन रोग की सम्भावना होगी। ऐसा व्यक्ति लम्पट होता है।
शनि – अगर किसी जातक की कुंडली में शनि अस्त हो तो सरकारी कार्यो में बाधाएं आती हैं। जितना पैसा आएगा उससे अधिक चला जाएगा। सदैव सम्मान की कमी महसूस होगी।
क्या अस्त ग्रह शुभ फल देते है ?
जी हां ! शोध यह कहता है कि अगर किसी जातक की कुंडली के छठे, आठवे और द्वादश भाव के स्वामी अस्त हो तो जातक को शुभ परिणाम मिलता है। यानी की वो प्रभावहीन होकर उस भाव के अशुभ फल प्रकट नहीं करता है। जैसे अगर गुरु शुभ भाव का स्वामी हो और अस्त हो वो अपने कारक यानी पुत्र, धन, स्वर्ण प्राप्ति में समस्या देगा लेकिन वही गुरु अगर अशुभ भाव का स्वामी होकर अस्त हुए तो जातक को उस भाव के अशुभ परिणाम नहीं देंगे और जातक को आसानी से उस भाव से जुडी अच्छी चीजें मिल जायेगी। एक तरह से यह विपरीत राजयोग जैसा फल हो जाता है।