‘पॉक्सो एक्ट में विश्वसनीयता पर संदेह गलत’: हाईकोर्ट ने कहा- केवल अनुमान पर पीड़िता पर शक नहीं कर सकते; दुष्कर्मी बुजुर्ग की अपील खारिज..
Last Updated on 8 months by City Hot News | Published: April 10, 2024
बिलासपुर// छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा की डिवीजन बेंच ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि पॉक्सो एक्ट में केवल अनुमान लगाकर पीड़िता की विश्वसनीयता पर संदेह नहीं किया जा सकता। इस धारणा के आधार पर फैसले को चुनौती नहीं दी जा सकती। डिवीजन बेंच ने 65 साल के बुजुर्ग की अपील को खारिज करते हुए उसकी आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा है।
दरअसल, बलौदाबाजार जिले के पलारी थाना क्षेत्र के 65 साल के बुजुर्ग गज्जू लाल फेकर ने 25 फरवरी 2022 को 13 साल की पांचवीं की छात्रा से दुष्कर्म किया था। बच्ची को वह घर में अकेली पाकर घुस गया और उसके साथ रेप की वारदात को अंजाम दिया। बाद में बच्ची ने इस घटना की जानकारी अपने परिजनों को दी, जिसके बाद आरोपी के खिलाफ थाने में केस दर्ज कराया गया।
पुलिस ने आरोपी के खिलाफ पेश किया चार्जशीट
इसके बाद पुलिस ने आरोपी गज्जूलाल को गिरफ्तार किया। पुलिस ने उसके खिलाफ सबूत जुटाकर फास्ट ट्रैक कोर्ट में चालान पेश किया। ट्रायल कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद आरोपी को पॉक्सो एक्ट के तहत दोषी ठहराया। जिसके बाद उसे आजीवन कारावास और जुर्माने की सजा सुनाई।
निचली अदालत के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में की अपील
फास्ट ट्रैक कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए अभियुक्त ने हाईकोर्ट में अपील की। इस दौरान उसके एडवोकेट ने पुलिस की जांच और जुटाए गए साक्ष्य पर सवाल उठाए। साथ ही पीड़िता के उम्र संबंधी दस्तावेजों को जुटाने के तरीके को भी गलत बताया।
अपील में कहा गया कि उसे झूठा फंसाया जा रहा है। जिस लड़की के साथ दुष्कर्म होने की बात कही गई है, वह मानसिक रूप से कमजोर है और उसकी विश्वसनीयता पर संदेह है। अपीलकर्ता ने कोर्ट के फैसले को खारिज करने की मांग की। वहीं, शासन की तरफ से अपीलकर्ता के विरोध में जांच के दस्तावेज पेश किए गए और गवाहों के बयान की भी जानकारी दी।
हाईकोर्ट ने की महत्वपूर्ण टिप्पणी, अपील खारिज कर सजा बरकरार
सभी पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने अपीलकर्ता के तर्कों पर महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि पॉक्सो एक्ट के तहत केवल अनुमान और धारणाओं के आधार पर पीड़िता की विश्वसनीयता पर सवाल उठाकर संदेह नहीं जताया जा सकता। डिवीजन बेंच ने फास्ट ट्रैक कोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए अभियुक्त की सजा को बरकरार रखा है। साथ ही उसकी अपील खारिज कर दी है।