गलत ब्लड चढ़ाने से 12 साल की बच्ची की मौत:अंबिकापुर ​​​​​​​कोर्ट ने CMHO और नोडल अधिकारी पर लगाया 2-2 लाख का जुर्माना

Last Updated on 8 months by City Hot News | Published: March 22, 2024

स्थाई लोक अदालत ने जानकारी नहीं देने पर दिया अर्थदंड - Dainik Bhaskar

स्थाई लोक अदालत ने जानकारी नहीं देने पर दिया अर्थदंड

सरगुजा// अंबिकापुर स्थाई लोक अदालत ने दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराने पर तत्कालीन CMHO और प्रभारी अधिकारी नर्सिंग होम एक्ट को 2-2 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। 3 साल पहले शहर के प्राइवेट हॉस्पिटल में गलत ब्लड ग्रुप का ब्लड चलाने के कारण 12 वर्षीय बालिका की मौत हो गई थी। पूरा मामला सिटी कोतवाली थाना क्षेत्र का है।

जानकारी के मुताबिक, सूरजपुर पुलिस लाइन में पदस्थ प्रधान आरक्षक अमरेश कुमार दुबे की बेटी अदिति दुबे को 7 दिसंबर 2020 में अंबिकापुर के अरिहंत हॉस्पिटल में उपचार के लिए लाया गया था। उसका ब्लड 5.2 ग्राम होने पर चिकित्सक ने अदिति को ब्लड चढ़वाने की सलाह दी।

गलत ब्लड चढ़ाने से बच्ची की मौत

परिजन अदिति को लेकर माता राजरानी मेमोरियल हॉस्पिटल पहुंचे, जहां चिकित्सक डॉ. आशीष जायसवाल की देखरेख में उसे ब्लड चढ़ाया गया। अदिति का ब्लड ओ निगेटिव था। पिता के अनुसार डॉक्टर ने सही जांच न कर उसे ए पॉजीटिव ब्लड चढ़ाने के लिए दे दिया।

ब्लड चढ़ाने के दौरान बिगड़ी हालत, रांची में मौत
हॉस्पिटल में खून चढ़ाने के बाद बच्ची को कंपकंपी और सांस लेने में दिक्कत होने लगी। उसे आक्सीजन देकर राहत देने की कोशिश की गई। बच्ची को आक्सीजन देकर ब्लड चढ़ाया जा रहा था। इसी बीच बच्ची के शरीर का रंग काला पड़ गया।

12 दिसंबर 2020 को अदिति की मौत

11 दिसंबर 2020 को तबीयत बिगड़ने पर उसे रेफर कर दिया गया। रांची में इलाज के दौरान 12 दिसंबर 2020 को अदिति की मौत हो गई। पिता की शिकायत पर सीएमएचओ ने मामले की जांच कराई। जांच के बाद कोतवाली पुलिस ने चिकित्सक के खिलाफ ब्लड चढ़ाने में लापरवाही का अपराध दर्ज किया है। मृत बालिका के पिता ने ब्लड डोनर की विस्तृत जानकारी मांगी थी।

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पिता को नहीं दी गई जानकारी
मामले में पीड़ित पिता अमरेश कुमार दुबे ने 29 सितंबर 2022 को सूचना के अधिकार के तहत रक्तदान करने वाले रक्तदाता की जानकारी, उसका नाम, पता एवं अन्य जानकारी मांगी थी। जनसूचना अधिकारी द्वारा यह जानकारी अमरेश कुमार को नहीं दी गई।

न ही अदिति को चढ़ाए गए ब्लड के ग्रुप की जानकारी ही दी गई। पुत्री की मौत हो सेवा में कमी मानते हुए अमरेश कुमार दुबे ने क्षतिपूर्ति के रूप में 50 लाख रुपए मांगते हुए वाद स्थाई लोक अदालत में पेश किया है।

चिकित्सक का पंजीयन भी नहीं
प्रधान आरक्षक अमरेश दुबे ने बताया कि माता राजरानी मेमोरियल हॉस्पिटल के चिकित्सक डा. आशीष जायसवाल के संबंध में उन्होंने छत्तीसगढ़ मेडिकल कांउसिल की जनसूचना अधिकारी से जानकारी मांगी तो जानकारी दी गई कि डा. आशीष जायसवाल का पंजीयन भी नहीं है। स्वयं को एमबीबीएस व एमडी बताने वाले चिकित्सक को बिना पंजीयन ही अस्पताल ने सेवा में रख लिया था।

सीएमएचओ व नोडल अधिकारी ने नहीं दी जानकारी
मामले में स्थाई लोक अदालत की अध्यक्ष श्रीमती उर्मिला गुप्ता ने सीएमएचओ अंबिकापुर, सरगुजा और प्रभारी अधिकारी नर्सिंग होम एक्ट, अंबिकापुर को आर्थिक एवं मानसिक रूप से प्रताड़ित किए जाने के एवज में दो-दो लाख रुपये क्षतिपूर्ति दिए जाने का आदेश दिया है। दोनों अधिकारी 30 दिनों के अंदर राशि जमा करेंगे।

दोनों अधिकारियों ने सूचना के अधिकार के तहत आवेदन लगाने पर यह बता दिया था कि निजी हॉस्पिटल एवं नर्सिंग होम के रिकार्ड उनके पास नहीं होते हैं, जबकि वे निजी हॉस्पिटल का रिकार्ड मांग सकते थे। उन्होंने निजी हॉस्पिटल को इसके लिए पत्र तक नहीं लिखा और जवाब आवेदक को दे दिया था। इसे स्थाई लोक अदालत की अध्यक्ष ने सेवा में कमी माना है।

तीन साल बाद भी चालान नहीं हुआ पेश
मामले में कोतवाली पुलिस ने एफआईआर दर्ज किया है, लेकिन तीन साल बाद भी पुलिस ने कोर्ट में चालान पेश नहीं किया है। अदिति के पिता अमरेश दुबे एवं मां रीता दुबे ने कहा कि उन्हें न्याय नहीं मिल सका है।