शिक्षा मंत्री के जिले में 209 स्टूडेंट को मिला जीरो: 10वीं के छात्रों का सामूहिक नकल के नाम रिजल्ट रोका, फिर गणित में दिया शून्य…
Last Updated on 1 year by City Hot News | Published: June 13, 2023
सूरजपुर// ‘स्कूल जाबो पढ़े बर, जिंदगी ला गढ़े बर’, यह छत्तीसगढ़िया स्लोगन बच्चों को एक बेहतर भविष्य का सपना दिखाने के लिए लिखा गया है, ताकि शिक्षा हासिल कर वे अच्छे पदों पर बैठ समाज को नई दिशा दिखा सकें, लेकिन प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री के गृह जिले सूरजपुर में विभागीय लापरवाही के कारण 209 छात्र-छात्राओं का भविष्य अधर में लटका नजर आ रहा है।
परिजनों में इस बात को लेकर काफी नाराजगी है।
माध्यमिक शिक्षा मंडल ने जिले के 4 स्कूलों के 10वीं के 209 छात्र-छात्राओं का रिजल्ट सामूहिक नकल की बात कहकर रोक दिया। इसके बाद सत्र शुरू होने से ठीक पहले गणित विषय में फेल का रिजल्ट थमा दिया गया है। जिसके बाद ये स्टूडेंट्स साल बर्बाद होने के डर से पूरक परीक्षा देने को मजबूर हैं।
कोई नकल का मामला सामने नहीं आया
परशुरामपुर हाई स्कूल में बोर्ड एग्जाम के समय 4 स्कूलों सुरता, साल्हि, आमगांव और परशुरामपुर स्कूल के छात्र-छात्राओं के लिए परीक्षा केंद्र बनाया गया था। जिसमें 209 छात्र-छात्राएं 10वीं की बोर्ड परीक्षा में शामिल हुए थे। इन सभी बच्चों ने अपने सभी विषयों के पेपर भी लिखे। इस दौरान कई बार इस केंद्र में उड़नदस्ता की टीम द्वारा परीक्षा हॉल में जाकर जांच भी की गई, लेकिन कोई भी नकल का मामला सामने नहीं आया।
4 स्कूलों सुरता, साल्हि, आमगांव और परशुरामपुर स्कूल के छात्र-छात्राओं का भविष्य अधर में।
मैथ्स में जीरो मार्क्स
इधर, जब परीक्षा का रिजल्ट छात्र-छात्राओं के हाथ में आया, तो वे हैरान रह गए, क्योंकि माध्यमिक शिक्षा मंडल ने सामूहिक नकल का हवाला देते हुए परीक्षा केंद्र परशुरामपुर में परीक्षा देने वाले 209 परीक्षार्थियों को गणित विषय में जीरो नंबर देकर फेल कर दिया। पीड़ित छात्र-छात्राओं का कहना है कि हम लोग अपने रोल नम्बर के अनुसार ही क्रम से बैठकर एग्जाम दिए, लेकिन अब हम लोगों को दोबारा परीक्षा देनी पड़ेगी, क्योंकि हमारे रिजल्ट में मैथ्स में जीरो मार्क्स दिख रहा है। विद्यार्थियों ने कहा कि हमारे सेंटर में जांच टीम भी आई थी, लेकिन उन्हें कोई भी छात्र-छात्रा नकल करते हुए नहीं मिला था। इसके बाद भी हम लोगों को पूरक घोषित कर दिया गया है, जिसकी वजह से अब दोबारा पेपर देना होगा।
ब्लॉक एजुकेशन ऑफिसर ने कहा कि उनके दौरे में नकल का कोई मामला सामने नहीं आया था।
शिक्षा विभाग की हो रही किरकिरी
वहीं, स्कूली छात्र-छात्राओं के भविष्य से खिलवाड़ करने के इस मामले के सामने आने के बाद शिक्षा विभाग की जमकर किरकिरी हो रही है। मामले को गंभीर बताते हुए भाजपा नेता रितेश गुप्ता ने कहा कि शिक्षा मंत्री के जिले में 209 बच्चों को एक साथ एक विषय में जीरो देना उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जाना है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है। ऐसा मामला प्रदेश की शिक्षा-व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर रह है। साथ ही स्कूल शिक्षा मंत्री के कार्यशैली पर भी प्रश्न लगा रहा है।
209 छात्र-छात्राओं को फेल करने से शिक्षा विभाग की किरकिरी।
‘यह विभाग की गलती’
ग्रामीणों की मानें तो यह विभाग की गलती है, जिसका खामियाजा स्टूडेंट्स भुगतने को मजबूर हैं। क्षेत्र में 209 बच्चों का रिजल्ट रोककर उन्हें एक विषय मे फेल करने से परिजन सहित ग्रामीण काफी आक्रोशित नजर आ रहे हैं। उनका कहना है कि जब इस क्षेत्र में एक भी नकल का मामला सामने नहीं आया है, फिर बच्चों का रिजल्ट नकल की बात कहकर क्यों रोकी गई। गणित में भी क्यों फेल किया गया। जबकि गणित विषय की परीक्षा के समय विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी खुद उस केंद्र पर पहुंचे थे। उसके बाद भी इस तरह से बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया गया, जो गलत है।
स्कूल शिक्षा मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम ने कही सप्लीमेंट्री परीक्षा देने की बात।
स्कूल के शिक्षक भी मानते हैं कि परीक्षा के समय कई बार उड़नदस्ता और अधिकारियों की टीम परीक्षा केंद्र पर आई थी। इसके बाद भी इस तरह का परिणाम आना निराशाजनक है। जब बोर्ड एग्जाम के समय 209 परीक्षार्थी दसवीं के गणित विषय की परीक्षा दे रहे थे, तब विकाखण्ड शिक्षा अधिकारी स्वयं जायजा लेने पहुंचे थे। वे केंद्र पर लगभग 45 मिनट तक रुके थे। जांच में किसी भी छात्र के पास आपत्तिजनक सामान बरामद नहीं हुआ था। इस केंद्र की उत्तर पुस्तिका को जहां जांच के लिए भेजा गया था, उन जांचकर्ताओं का कहना है कि सभी परीक्षार्थियों के उत्तर एक समान होने के कारण परीक्षा केंद्र में परीक्षार्थियों द्वारा सामूहिक नकल कर परीक्षा दी गई है, जिसके कारण 10वीं का रिजल्ट रोका गया।
मंत्री बोले-शंका के आधार पर ऐसा हुआ
वहीं इस मामले में प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री का बयान भी सामने आया है। उन्होंने कहा कि कई मामलों को लेकर रिजल्ट को रोका जाता है, मुझे बताया गया कि एक विषय में सभी के उत्तर एक जैसे थे, शंका के आधार पर ऐसा हुआ है। जब उन्हें इस बारे में पता चला, तो उन्होंने संबंधित अधिकारियों से बात कर कहा कि बच्चों का साल बर्बाद ना हो, इसके लिए वैकल्पिक व्यवस्था कर बच्चों को सप्लीमेंट्री का एग्जाम दिला दिया जाए और उन्हें पास किया जाए।