20 साल में आसमान से गायब हो सकते हैं तारे: साइंटिस्ट बोले- आकाश का रंग धुंधला हो रहा, हर साल नाइट स्काई ब्राइटनेस 10% बढ़ रही…
Last Updated on 1 year by City Hot News | Published: May 28, 2023
साइंटिस्ट्स का कहना है कि आने वाले 20 सालों में लोग तारे नहीं देख सकेंगे। उन्होंने इसकी वजह लाइट पॉल्यूशन को बताया है। ‘द गार्डियन’ के मुताबिक, ब्रिटिन में रहने वाले खगोलशास्त्री (एस्ट्रोनॉमर) मार्टिन रीस ने कहा- लाइट पॉल्यूशन के कारण आकाश का रंग धुंधला हो रहा। आसान शब्दों में कहें तो अब आकाश का रंग काला नहीं हल्का ग्रे दिखाता है। कुछ ही तारे दिखाई देते हैं।
लाइट पॉल्यूशन आर्टिफिशियल लाइट, मोबाइल-लैपटॉप जैसे गैजेट्स, शोरूम्स के बाहर लगी LED, कार की हेडलाइट या फिर होर्डिंग्स की आकर्षित करती तेज रोशनी के कारण होता है। 2016 में एस्ट्रोनॉमर्स ने कहा था कि पिछले कुछ सालों में लाइट पॉल्यूशन बढ़ा है। हर साल नाइट स्काई ब्राइटनेस 10% बढ़ रही है।
2016 में साइंटिस्ट्स ने कहा था कि लाइट पॉल्यूशन के कारण दुनिया की एक तिहाई से ज्यादा आबादी को आकाशगंगा (मिल्की वे) दिखाई नहीं देती है। इसी बात को आसान शब्दों में समझाते हुए अब जर्मन सेंटर फॉर जियोसाइंस के क्रिस्टोफर क्यबा ने कहा- एक ऐसे क्षेत्र में पैदा हुआ बच्चा जहां 250 तारे दिखाई देते हैं, वहां 18 साल बाद सिर्फ 100 तारे ही रह जाएंगे। यानी वो बच्चा जब तक 18 साल का होगा वो आसमान में सिर्फ 100 ही तारे देख पाएगा।
तस्वीर नॉर्थ-ईस्ट अमेरिका की है। पहले- 2003 में हुए ब्लैक आउट से पहले आसमान में तारे नहीं दिख रहे हैं। बाद में- ब्लैक आउट के बाद आसमान में तारे नजर आ रहे हैं।
लाइट पॉल्यूशन से कीड़े-मकोड़े असमय मर रहे
लाइट पॉल्यूशन से इकोलॉजिकल खतरा भी है। शंघाई के रुईजीन अस्पताल के डॉक्टर यूजू कहते हैं, अमेरिका और यूरोप के 99% लोग लाइट प्रदूषण वाले आसमान के नीचे रहते हैं। धरती का 24 घंटे का दिन-रात का क्लॉक होता है। यह सूरज की रोशनी और अंधेरे से तय होता है। यह इस ग्रह पर रहने वाले हर जीव पर लागू होता है, लेकिन इंसानों ने इसमें छेड़छाड़ कर दी है।
लाइट पॉल्यूशन की वजह से कीड़े-मकोड़ों, परिंदों और कई जानवरों का जीवन चक्र ही बदल गया है। इसमें समय से पहले ही इनकी मौत हो रही है और इससे दुनिया भर में जैव विविधता का भी बहुत ज्यादा नुकसान हो रहा है।
इस तस्वीर में बताया गया है कि कितनी रोशनी में तारे दिखाई देते हैं। ‘ठीक’ और ‘अच्छा’ स्थिति में तारे दिख रहे हैं।
डायबिटीज की आशंका 25% बढ़ी
चीन में 1 लाख लोगों पर हुए एक शोध से पता चला कि स्ट्रीट लाइट और स्मार्टफोन जैसी आर्टिफिशियल लाइट्स डायबिटीज की आशंका 25% तक बढ़ा सकती हैं। दरअसल, रात में भी दिन का एहसास कराने वाली ये रोशनी इंसानों के बॉडी क्लॉक को बदलने लगती हैं, जिससे शरीर के ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने की क्षमता कम होती जाती है।
लाइट से शरीर के ग्लूकोज लेवल में इजाफा
दरअसल, जो लोग हर वक्त आर्टिफिशियल लाइट्स के संपर्क में रहते हैं, उनके शरीर का ग्लूकोज लेवल बिना कुछ खाए ही बढ़ने लगता है। इससे हमारे शरीर में बीटा सेल्स की सक्रियता कम हो जाती है। इस सेल की सक्रियता की वजह से ही पैंक्रियाज से इंसुलिन हॉर्मोन रिलीज होता है। डॉ जू कहते हैं, आर्टिफिशियल लाइट का अधिकतम संपर्क सारी दुनिया के आधुनिक समाज की समस्या है और यह डायबिटीज होने की एक और बड़ी वजह बन गया है।