गो फर्स्ट की सभी फ्लाइट्स 12 मई तक सस्पेंड: लीज पर प्लेन देने वालों ने एक दिन पहले वापस मांगे थे 23 एयरक्राफ्ट…

Last Updated on 2 years by City Hot News | Published: May 6, 2023

कैश की तंगी से जूझ रही गो फर्स्ट एयरलाइन की सभी फ्लाइट्स को 12 मई तक सस्पेंड कर दिया गया है। एक दिन पहले कंपनी ने सभी फ्लाइट्स को 9 मई तक सस्पेंड करने की घोषणा की थी। इससे पहले एयरलाइन ने सोमवार को बताया था कि वो अपनी फ्लाइट 3, 4 और 5 मई के लिए कैंसिल कर रही है और जल्द ही टिकटों का रिफंड प्रोसेस करेगी।

गुरुवार को एयरलाइन को उस समय एक और झटका लगा, जब कंपनी को लीज पर प्लेन देने वालों ने अपने 23 प्लेन वापस मांग लिए थे। लीज पर प्लेन देने वालों ने डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) से कहा है कि वह 23 प्लेन डिरजिस्टर करे।

DGCA ने लीज देने वालों की मांग और उसकी डिटेल अपनी वेबसाइट पर पब्लिश की थी। नियमों के अनुसार DGCA को लीज देने वालों की मांग 5 दिन में माननी होगी। यानी 23 प्लेन को पांच दिनों में डिरजिस्टर करना होगा।

15 मई तक के फ्लाइट टिकट की बुकिंग पर भी रोक
एयरलाइन ने 15 मई तक फ्लाइट टिकट की बुकिंग भी रोक दी है। इससे यात्री भी परेशान हो रहे हैं। गो फर्स्ट की वेबसाइट के अनुसार एयरलाइन रोजाना 27 डोमेस्टिक और 8 इंटरनेशनल डेस्टिनेशन के लिए 200 से ज्यादा फ्लाइट ऑपरेट करती थी।

इंजन सप्लाई नहीं होने से इस हालत में पहुंची एयरलाइन
एयरलाइन ने कहा कि वो इंजनों की सप्लाई नहीं होने से इस हालत में पहुंची है। अमेरिका के एयरक्राफ्ट इंजन मैन्युफैक्चरर प्रैट एंड व्हिटनी (PW) को गो फर्स्ट को इंजन की सप्लाई करनी थी, लेकिन उसने समय पर इसकी सप्लाई नहीं की। ऐसे में गो फर्स्ट को अपनी फ्लीट के आधे से ज्यादा एयरक्राफ्ट ग्राउंडेड करने पड़े। इससे उसे भारी नुकसान हुआ।

यात्रियों को टिकटों का पैसा वापस करेगी एयरलाइन
इधर DGCA ने सख्त रुख दिखाते हुए फ्लाइट्स कैंसिल होने के बाद पैसेंजर्स को उनका पैसा तुरंत लौटाने को कहा है। एयरलाइन ने भी टिकटों का पैसा वापस करने की बात कही है। रिफंड ओरिजिनल पेमेंट मोड के जरिए किया जाएगा। मतलब, जिन लोगों ने क्रेडिट कार्ड के माध्यम से टिकट का पेमेंट किया है, उनके क्रेडिट कार्ड स्टेटमेंट में रिफंड दिखाई देगा। वहीं जिन्होंने UPI और नेट बैंकिंग से पेमेंट किया है, उन्हें रिफंड सीधे उनके अकाउंट में मिलेगा।

NCLT ने आदेश सुरक्षित रखा
नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने गो फर्स्ट की खुद से दायर की गई इन्सॉल्वेंसी यानी दिवालिया याचिका पर सुनवाई की। एयरलाइन ने NCLT से इंटरिम मोराटोरियम की मांग की थी। इंटरिम मोराटोरियम यानी लोन से जुड़े मामले में पेंडिंग कोई भी कानूनी कार्यवाही रुकी हुई मानी जाएगी। लेनदार किसी भी लोन के मामले में कोई लीगल एक्शन भी नहीं ले सकते।

NCLT ने इंटरिम मोराटोरियम पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है। NCLT ने कहा कि इन्सॉलवेंसी एंड बैकरप्सी कोड यानी IBC के तहत ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। गो फर्स्ट को लीज पर एयरक्राफ्ट देने वाली फर्म्स ने भी NCLT से कहा कि उन्हें एयरलाइन की इंटरिम मोराटोरियम की मांग पर गंभीर आपत्ति है। मोराटोरियम के गंभीर परिणाम होंगे।

लेसर्स ने जस्टिस रामलिंगम सुधाकर की अगुआई वाली बेंच को बताया कि उन्होंने लीज को खत्म कर दिया है और वे विमान वापस पाने के हकदार हैं। लेसर्स ने कहा कि मेंटेनेंस और अन्य खर्चों को लेकर भी गो फर्स्ट का रिकॉर्ड ठीक नहीं हैं। लेसर्स ने कहा कि यदि गो फर्स्ट को मोराटोरियम राहत दी जाती है, तो वे अपने ग्राउंडेड विमान को वापस नहीं ले पाएंगे।

एयरलाइन पर लेनदारों का 11,463 करोड़ रुपए बकाया
गो फर्स्ट ने अपनी एप्लिकेशन में कहा था कि उसने अप्रैल 2020 से अब तक अपने लेनदारों को 19,980 करोड़ रुपए का पेमेंट किया है। अब उसके सभी फाइनेंशियल रिसोर्स खत्म हो चुके हैं। बैंकों, वित्तीय संस्थानों, वेंडर्स और एयरक्राफ्ट लेजर्स सहित अन्य लेनदारों को उसे 11,463 करोड़ रुपए देना है। गो फर्स्ट ने कहा कि वित्तीय दबाव के कारण फ्यूल सप्लायर सहित अन्य सर्विस प्रोवाइडर उसे अपनी सर्विसेस ऑफर करने को तैयार नहीं हैं।

एप्लिकेशन में और क्या कहा गया है?

  • गो फर्स्ट ने कहा कि 5,000 इंजन आवर्स को पूरा करने से पहले ही 80% से ज्यादा इंजनों में खराबी आ गई। इंजनों में खराबी का प्रमुख कारण कंबस्टर डिस्ट्रेस था। गो एयर ने यह भी कहा कि प्रैट एंड व्हिटनी ने खुद इंजनों के फेलियर को स्वीकार किया है।
  • इंजन की खराबी के कारण विमानों के ग्राउंडिंग का गो फर्स्ट पर व्यापक प्रभाव पड़ा। गो फर्स्ट ने अपनी अर्जी में कहा कि वित्त वर्ष 2015 में 96% फ्लीट उड़ान के लिए उपलब्ध थी, जो वित्त वर्ष 2023 में घटकर 54% रह गई। इंजन की अनुपलब्धता से ऐसा हुआ।
  • विमानों की अनुपलब्धता और इंजन की खराबी से कंपनी को रेवेन्यू और ऐडिशनल एक्सपेंसेज के रूप में 10,800 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। गो फर्स्ट ने कहा कि एक समय वो भारत की सबसे तेजी से बढ़ती एयरलाइंस सर्विस प्रोवाइडर्स में से एक थी।
  • कोविड-19 आउटब्रेक के बाद से उसके फाइनेंशियल परफॉर्मेंस में गिरावट आने लगी। विमानों की ग्राउंडिंग और कोविड-19 के कारण, गो फर्स्ट का घाटा वित्त वर्ष 2020-21 में 1,346 करोड़ रुपए से बढ़कर वित्त वर्ष 2022-23 में 3,600 करोड़ रुपए हो गया।
  • उसका खर्च वित्त वर्ष 2014-15 के 2,250 करोड़ रुपए से बढ़कर वित्त वर्ष 2022-23 में 5,907 करोड़ रुपए हो गया। उसे अपने ग्राउंडेड एयरक्राफ्ट का भी लीज रेंटल, एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस चार्ज, पार्किंग चार्ज देना पड़ा। ग्राउंडेड फ्लीट में कंपनी को रेवेन्यू नहीं मिलता।
  • गो फर्स्ट ने कहा कि प्रैट एंड व्हिटनी ने 48 घंटों के भीतर इंजनों को बदलने और फेल इंजनों की रिपेयरिंग के लिए पर्चेज एग्रीमेंट के तहत गारंटी प्रदान की थी। हालांकि, इंजन निर्माता अपने कमिटमेंट से पीछे हट गया और अब इसकी रिपेयरिंग के लिए पेमेंट मांग रहा है।
  • गो फर्स्ट ने कहा कि उसने पिछले 30 दिनों में 77,500 पैसेंजर्स वाली 4,118 उड़ानें रद्द की हैं और आगे की उड़ानें भी रद्द करने के लिए विवश है। उड़ानें रद्द होने से 7,000 प्रत्यक्ष और 10,000 अप्रत्यक्ष कर्मचारियों की नौकरी प्रभावित होगी।
गो फर्स्ट ने अपने नुकसान के लिए इंजन सप्लायर को जिम्मेदार बताया है। इंजन नहीं मिलने के कारण एयलाइन को अपने एयरक्राफ्ट ग्राउंडेड करने पड़े।

गो फर्स्ट ने अपने नुकसान के लिए इंजन सप्लायर को जिम्मेदार बताया है। इंजन नहीं मिलने के कारण एयलाइन को अपने एयरक्राफ्ट ग्राउंडेड करने पड़े।

इंजन की सप्लाई नहीं होने से कैश की समस्या
इंजन की सप्लाई से जुड़ी समस्या के कारण एयरलाइन इस स्थिति में पहुंची है। एयरक्राफ्ट इंजन मैन्युफैक्चरर प्रैट एंड व्हिटनी (PW) को गो फर्स्ट को इंजन की सप्लाई करनी थी, लेकिन उसने समय पर इसकी सप्लाई नहीं की।

ऐसे में गो फर्स्ट को अपनी फ्लीट के आधे से ज्यादा एयरक्राफ्ट ग्राउंडेड करने पड़े। फ्लाइट नहीं उड़ने के कारण उसके पास कैश की कमी हो गई और फ्यूल भरने के लिए भी पैसे नहीं बचे। एयरलाइन के A20 नियो एयरक्राफ्ट में इन इंजनों का इस्तेमाल होता है।

गो फर्स्ट के साथ PW के कॉन्ट्रैक्ट में तीन बड़ी शर्तें थीं:

  • विमान का इंजन खराब हो जाता है तो 48 घंटे के भीतर स्पेयर इंजन देना होगा।
  • फॉल्टी इंजनों की फ्री में रिपेयरिंग करानी होगी क्योंकि सभी इंजन वारंटी में हैं।
  • ग्राउंडेड विमानों के कारण हुए नुकसान का कॉम्पेनसेशन भी देना होगा।

बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक मार्च 2020 तक, PW ने समय पर स्पेयर इंजन उपलब्ध कराए, फ्री में रिपेयरिंग की और कॉम्पेनसेशन भी दिया। हालांकि उसके बाद एयरलाइन को कुछ भी नहीं मिला। सीरियम के आंकड़ों के अनुसार, एयरलाइन ने पिछले साल मार्च में एक हफ्ते में 2,084 फ्लाइट ऑपरेट की थीं। विमानों के ग्राउंडेड होने के साथ इस साल मार्च तक ये आंकड़ा घटकर 1,642 पर आ गया।

एयरलाइन ने अमेरिका की कोर्ट में याचिका लगाई
इंडियन एविएशन रेगुलेटर के आंकड़ों से पता चलता है कि फ्लाइट के ग्राउंडेड होने के कारण मार्च में गो फर्स्ट की बाजार हिस्सेदारी जनवरी में 8.4% से गिरकर 6.9% हो गई। एयरलाइन ने इसे लेकर अमेरिका की डेलावेयर कोर्ट में पिटीशन भी दाखिल की है। एयरलाइन ने दावा किया है कि अगर इंजनों की जल्द सप्लाई नहीं की गई तो वह दिवालिया हो जाएगी।

एयरलाइन का पेमेंट नहीं करने का लंबा इतिहास
दिवालिया होने की कगार पर पहुंची बजट एयरलाइन गो फर्स्ट को लेकर उसके इंजन सप्लायर प्रैट एंड व्हिटनी (PW) का बयान सामने आया है। PW ने कहा कि गो फर्स्ट का समय पर पेमेंट नहीं करने का लंबा इतिहास रहा है। अब ये मामला कोर्ट तक पहुंच गया है, इसीलिए आगे कोई टिप्पणी नहीं करेंगे।

वो सब कुछ, जो आपके लिए जानना जरूरी है

सवाल: विमानन क्षेत्र पर क्या असर पड़ेगा?
जवाब:
 गो-फर्स्ट का घरेलू मार्केट में हिस्सा करीब 7% पर है। अभी प्रतिदिन कुल विमान यात्रियों की संख्या 4 लाख है। ऐसे में 28 से 30 हजार विमान यात्रियों का बोझ दूसरी एयरलाइंस पर जाएगा। उन्हें संभालना चुनौती साबित होगा। हालांकि, जब पायलटों की डिमांड बढ़ रही है तो अचानक एक कंपनी के दिवालिया होने से वर्कफोर्स की उपलब्धता बढ़ेगी।

सवाल: ऐसे हालात में केंद्र सरकार क्या करेगी?
जवाब:
 मई 2014 में भाजपा सरकार आने के बाद दिसंबर में स्पाइसजेट संकट में घिर गई थी। हालांकि, जैसे-तैसे वह अपना अस्तित्व बचा सकी। इसी तरह, अप्रैल 2019 में जेट एयरवेज की हालत खस्ता हो गई थी। मगर सरकार सीधे मदद से बचती रही।

इस बार भी सीधे हस्तक्षेप के आसार कम हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को अब पूरी सक्रियता के साथ स्थिति संभालनी होगी। प्रैट एंड व्हिटनी की जवाबदेही सुनिश्चित करने के अलावा DGCA को दूसरी एयरलाइंस में नई क्षमता विकसित करने की आपात तैयारी करनी होगी।

सवाल: गो-फर्स्ट क्या कदम उठा रही है?
जवाब:
 कंपनी ने कहा कि वह स्ट्रैटजिक इन्वेस्टर तलाश रही है। कई निवेशकों से बातचीत चल रही है। एयरलाइन की योजना थी कि इन गर्मियों में हर हफ्ते 1,538 फ्लाइट्स ऑपरेट करेगी, जो पिछले साल के मुकाबले 40 कम है।

यह सीजन 26 मार्च से शुरू हो चुका है, 28 अक्टूबर तक चलेगा। एयरलाइंस की खस्ता हालत 31 मार्च को ही सामने आई थी जब वह अपने 10 विमानों का लीज किराया दो महीने से नहीं दे पा रही थी। इसकी शिकायत भी डीजीसीए के पास पहुंच चुकी थी।

2005 में मुंबई से अहमदाबाद के लिए उड़ी थी पहली फ्लाइट
गो फर्स्ट वाडिया ग्रुप की बजट एयरलाइन है। कंपनी की वेबसाइट के अनुसार 29 अप्रैल 2004 को गो फर्स्ट की शुरुआत हुई थी। नवंबर 2005 में मुंबई से अहमदाबाद के लिए पहली फ्लाइट ऑपरेट की। एयरलाइन के बेड़े में 59 विमान शामिल हैं।

इनमें से 54 विमान A320 NEO और 5 विमान A320 CEO हैं। गो फर्स्ट 35 डेस्टिनेशन के लिए अपनी फ्लाइट ऑपरेट करता है। इसमें से 27 डोमेस्टिक और 8 इंटरनेशनल डेस्टिनेशन शामिल हैं। एयरलाइन ने साल 2021 में अपने ब्रांड नाम को गोएयर से बदलकर गो फर्स्ट कर दिया था।