जिला अस्पताल में समय पर नहीं पहुंची डॉक्टर: लेट से डिलीवरी होने पर बिगड़ी नवजात की हालत, प्राइवेट अस्पताल में भर्ती;प्रसूता ने लगाए आरोप…

बिलासपुर// बिलासपुर के जिला अस्पताल में गर्भवती महिला की डिलीवरी कराने समय पर डॉक्टर नहीं पहुंची, जिसके चलते उसकी तबीयत बिगड़ गई। इसके बाद आनन-फानन में पहुंची डॉक्टर ने उसका ऑपरेशन कर दिया। लेकिन, डिलीवरी में देरी होने के कारण बच्चे की स्थिति गंभीर हो गई है। डॉक्टर ने उसे प्राइवेट अस्पताल भेज दिया है। इधर प्रसूता और उसके परिवार ने डॉक्टर पर इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है।

पचपेड़ी क्षेत्र के ग्राम केंवतरा की रहने वाली डिडनेश्वरी पाटले ने बताया कि उसे 23 अप्रैल को प्रसव पीड़ा शुरू हुई, तब वह जिला अस्पताल पहुंची। इस दौरान उसे असहनीय दर्द हो रहा था। इस दौरान अस्पताल के स्टाफ उसकी नॉर्मल डिलीवरी कराने का दावा करते रहे। लेकिन जब महिला का दर्द बहुत ज्यादा बढ़ गया, तब स्टाफ नर्स सहित दूसरे कर्मचारियों ने उसकी डिलीवरी कराने की कोशिश की। मगर तब तक महिला की हालत गंभीर हो गई। फिर बाद में स्टाफ ने कहा कि डॉक्टर के आने पर वह देखेंगी, जिसके बाद ऑपरेशन करना पड़ेगा।

तबीयत बिगड़ने पर पहुंची डॉक्टर

महिला ने बताया कि जब दर्द से उसकी तबीयत बिगड़ने लगी, तब जाकर डॉक्टर अस्पताल पहुंची। उन्होंने जांच के बाद ऑपरेशन करने की बात कही। इस बीच शिफ्ट खत्म होने के बाद देर शाम उसे ऑपरेशन थिएटर ले जाया गया। जहां परेशान महिला ने पूछताछ की, तो पता चला कि डॉक्टर बाहर गए हुए हैं। स्टाफ के कॉल करने पर डॉक्टर फिर अस्पताल पहुंची। इसके बाद आनन-फानन में महिला का ऑपरेशन किया गया।

प्राइवेट असपताल में भर्ती है नवजात, 5 दिनों से नहीं मिल पाई है मां

इधर डिलीवरी के बाद बच्चे की हालत गंभीर होने पर उसे निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। प्रसूता ने कहा कि उसके बच्चे की हालत ठीक नहीं है। डॉक्टरों ने उसे सिम्स भेजने के बजाय प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराने की सलाह दी। अब बच्चा प्राइवेट अस्पताल में भर्ती है। प्रसूता ने कहा कि वो डिलीवरी के 5 दिन बाद भी अपनी नवजात का चेहरा नहीं देख पाई है। महिला ने बताया कि उसने अपने बच्चे का सही इलाज कराने की मांग को लेकर शिकायत भी की है।

सिविल सर्जन बोले- खुद से परिजन ले गए हैं प्राइवेट अस्पताल

इधर, महिला के आरोपों पर सिविल सर्जन डॉ अनिल गुप्ता का कहना है कि जिला अस्पताल में महिलाओं की समय पर डिलीवरी कराने के निर्देश दिए गए हैं। वहीं, नवजात बच्चों का भी सरकारी अस्पताल में उपचार कराने के निर्देश दिए गए हैं। परिजनों के कहने पर प्राइवेट अस्पताल भेजा जाता है। इस मामले में मुझे पूरी जानकारी नहीं है।