स्मार्ट सिटी कंपनी ने बिना अनुमति दुकानें बनाकर की नीलाम: कहा-पुलिसकर्मियों के आवास के लिए रुपयों की जरूरत थी; छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने मांगा जवाब…
Last Updated on 9 months by City Hot News | Published: March 4, 2024
बिलासपुर// छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में स्मार्ट सिटी कंपनी ने पहले तो बिना अनुमति के दुकानें बनाईं, फिर 15 करोड़ में नीलाम भी कर दिया। इन दुकानों को मल्टी-लेवल पार्किंग में बनाया गया है। बताया जा रहा है कि पुलिसकर्मियों के आवास बनाने के लिए कंपनी ने ऐसा किया है।
इस मामले में हाईकोर्ट चीफ जस्टिस की बेंच ने राज्य शासन, नगर निगम और स्मार्ट सिटी कंपनी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। साथ ही दुकानों के आवंटन को फिलहाल फैसले से बाधित रखा है। खास बात यह है कि, शासन ने इस गड़बड़ी को स्वीकार भी किया है।
शहर की यातायात व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए बनाई जा रही मल्टी-लेवल पार्किंग।
याचिका में कहा गया- आरक्षण नियमों का पालन भी नहीं हुआ
दरअसल, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के राष्ट्रीय संगठन मंत्री नंद किशोर राज ने एडवोकेट सुदीप श्रीवास्तव के माध्यम से हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। इसमें बताया गया है कि, स्मार्ट सिटी कंपनी ने सिटी कोतवाली परिसर में मल्टी-लेवल कार पार्किंग बनाई है।
इसी पार्किंग के ग्राउंड फ्लोर पर 46 दुकानों का निर्माण कराया गया है। आरोप है कि इसके लिए नगर निगम और एमआईसी से भी सहमति नहीं ली गई। इनमें से 27 दुकानों की 15 करोड़ में नीलामी कर दी गई, लेकिन आवंटन में आरक्षण नियमों का भी पालन नहीं किया गया है।
भू-खंड का स्वामित्व नहीं, नक्शा भी नहीं कराया पास
याचिका में कहा गया है कि बिना नक्शा पास कराए ही दुकानों का निर्माण करा दिया गया है। जबकि, नगर निगम अधिनियम के तहत शासकीय, अर्धशासकीय और व्यवसायिक व आवासीय निर्माण के नक्शा पास कराना जरूरी है।
शासन ने कहा- पहले दुकानें बनाने की नहीं थी योजना
प्रारंभिक सुनवाई के दौरान शासन ने स्वीकार किया कि पहले दुकानों के निर्माण की कोई योजना नहीं थी। केवल कार पार्किंग बनाई जा रही थी, लेकिन बाद में पुलिस कर्मियों के मकानों के निर्माण के लिए धन की व्यवस्था करने के लिए दुकानें निर्मित की गई हैं।
दुकानों से हो सकता है खतरा
याचिकाकर्ता ने याचिका के साथ कार पार्किंग और दुकानों के फोटोग्राफ भी लगाए हैं। दुकानों का कोई नक्शा पास नहीं है। कार पार्किंग में सभी वेंटीलेशन को बंद कर भूतल को अवैध रूप से दुकानों में परिवर्तित किया गया है। इसके कारण अग्नि दुर्घटना की स्थिति में भारी जन धन नुकसान की आशंका है।
नियमों को दरकिनार कर दुकानें बनाकर कर दी गई है आवंटित।
नियमों में आरक्षण का प्रावधान
नगर निगम स्थाई संपत्ति अंतरण नियम 1994 के अनुसार दुकानों के आवंटन में क्षेत्र की एससी, एसटी, ओबीसी जनसंख्या के हिसाब से और महिला, दिव्यांग, भूतपूर्व सैनिक और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी जैसी श्रेणियों के लिए भी दुकानें आरक्षित करने का प्रावधान है।
हाईकोर्ट ने पूछा- दुकान आवंटन का अधिकार कैसे है
सुनवाई के दौरान शासन की तरफ से महाधिवक्ता प्रफुल्ल भारत ने बताया गया कि जून 2024 में स्मार्ट सिटी कंपनी समाप्त हो जाएगी और उक्त परिसर नगर निगम के कब्जे में रहेगा। इस स्तर पर डिवीजन बेंच ने सवाल उठाया कि फिर स्मार्ट सिटी दुकान आवंटन करने का अधिकार कैसे रख सकता है।