सरकारी डॉक्टर कर रहे प्राइवेट अस्पताल में प्रैक्टिस: स्वास्थ्य विभाग ने 24 नर्सिंग होम्स, 31 क्लीनिक की बनाई सूची; जांच के बाद होगी सख्त कार्रवाई…
Last Updated on 11 months by City Hot News | Published: January 4, 2024
बिलासपुर// बिलासपुर जिले में सरकारी डॉक्टरों के प्राइवेट अस्पताल में प्रैक्टिस करने की जानकारी मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने 24 नर्सिंग होम्स और 31 क्लीनिक की लिस्ट तैयार की है। ऐसे डॉक्टर्स पर विभाग कार्रवाई करने की तैयारी में है। इनमें संभाग के सबसे बड़े CIMS और जिला अस्पताल के डॉक्टर्स भी शामिल हैं।
कलेक्टर के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग ने ऐसे डॉक्टरों के खिलाफ जांच शुरू कर दी है। इनमें 24 नर्सिंग होम्स और 31 प्राइवेट क्लीनिक की लिस्टिंग की गई है, जहां सरकारी डॉक्टर काम कर रहे हैं। माना जा रहा है कि प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले सरकारी डॉक्टरों पर बड़ी कार्रवाई हो सकती है। बता दें कि जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने भी डॉक्टरों के प्राइवेट प्रैक्टिस करने पर ऐतराज जताया था।
स्वास्थ्य विभाग की टीम के साथ ही नगर निगम की टीम भी कर रही प्राइवेट हेल्थ सेंटर्स की जांच।
दरअसल, सिम्स की अव्यवस्था को लेकर पहली बार हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाई है और इस केस की लगातार सुनवाई की जा रही है। हाईकोर्ट के निर्देश के बाद सिम्स परिसर में साफ-सफाई, वार्ड और टॉयलेट सहित सभी जगहों पर साफ-सुथरी व्यवस्था बनाने की कवायद चल रही है। हाईकोर्ट की फटकार के बाद शासन स्तर पर सिम्स की खामियों को दूर करने के लिए यहां ओएसडी की नियुक्ति की गई है, बावजूद इसके व्यवस्था में सुधार नहीं हो पा रहा है। इसकी प्रमुख वजह यहां के डॉक्टरों और स्टाफ की मनमानी है।
न्याय मित्रों ने बताई थी अव्यवस्था की मुख्य वजह
चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा की नाराजगी जताने के बाद कलेक्टर अवनीश शरण लगातार सिम्स का निरीक्षण कर रहे हैं। इसके साथ ही न्याय मित्रों ने सिम्स का निरीक्षण कर विस्तृत रिपोर्ट हाईकोर्ट को सौंपी थी, जिसमें बताया गया कि सिम्स में पदस्थ ज्यादातर डॉक्टर शहर के प्राइवेट अस्पताल में सेवाएं दे रहे हैं। यही वजह है कि यहां सभी सुविधाएं होते हुए भी अव्यवस्था का आलम है, ताकि यहां से परेशान होकर मरीज और उनके परिजन प्राइवेट अस्पताल का रुख करें।
कलेक्टर अवनीश शरण ने भी हाईकोर्ट में स्वीकार किया था कि सिम्स में प्रबंधन के अभाव में दिक्कतें हो रही हैं। जिसके कारण क्लिनिकली समस्याएं हो रही हैं। उन्होंने हाईकोर्ट को आश्वस्त किया था कि मनमानी करने वाले ऐसे डॉक्टरों पर सख्ती से कार्रवाई कर तमाम अव्यवस्थाओं को दुरुस्त किया जाएगा।
अब जानिए सरकारी अस्पताल में क्यों है अव्यवस्था ?
दरअसल, निगम क्षेत्र में 145 से अधिक ऐसे प्राइवेट स्वास्थ्य संस्थान हैं, जहां सिम्स और जिला अस्पताल की तरह ही मरीजों का इलाज किया जाता है। फर्क सिर्फ इतना है कि यहां सभी सुविधाएं मरीजों को बिना पैसे के मिलते हैं, जबकि प्राइवेट संस्थानों में सबके लिए अलग-अलग फीस तय है।
इन अधिकांश प्राइवेट संस्थानों में सिम्स और जिला अस्पताल के डॉक्टर और दूसरे स्टाफ सेवाएं देते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि प्राइवेट अस्पताल में मरीज लाने में उनकी अहम भूमिका होती है। सिम्स और जिला अस्पताल के ऐसे डॉक्टर जो प्राइवेट संस्थानों में सेवाएं दे रहे हैं, वो मरीजों को सरकारी अव्यवस्थाओं की बात कहकर बरगलाते हैं और उन्हें प्राइवेट अस्पताल में इलाज कराने का रास्ता दिखाते हैं। उन्हें यह भी कहा जाता है कि उस अस्पताल में आयुष्मान कार्ड से इलाज हो जाएगा और बेहतर सुविधाएं मिलेंगी।
डॉक्टरों और स्टाफ की मनमानी के चलते बिगड़ी है सिम्स और जिला अस्पताल की व्यवस्था।
प्राइवेट में हर जांच की अलग फीस
प्राइवेट अस्पताल में ओपीडी के साथ ही अपना अलग लैब और डायग्नोस्टिक सेंटर होता है, जहां मरीजों को हर जांच के लिए अलग-अलग और महंगी फीस देनी पड़ती है, जबकि सिम्स और जिला अस्पताल में सभी तरह की जांच मुफ्त या फिर कम पैसे में ही मुहैया कराई जाती है।
स्वास्थ्य विभाग और नगर निगम ने बनाई है प्राइवेट हेल्थ सेंटर की सूची
हाईकोर्ट की सख्ती के बाद अब शासन-प्रशासन स्तर पर भी सिम्स और जिला अस्पताल में अव्यवस्था पैदा करने वाले डॉक्टरों को चिन्हित किया जा रहा है। कलेक्टर के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग के साथ ही नगर निगम ने शहर में संचालित प्राइवेट हेल्थ सेंटरों की कुंडली बनाई है, जिसमें 145 से अधिक संस्थान हैं। इनमें 31 क्लीनिक, 24 नर्सिंग होम्स, 27 डायग्नोस्टिक सेंटर सहित अन्य संस्थाएं हैं। अफसरों ने बताया कि इनकी जानकारी जुटाकर लगातार निरीक्षण किया जाएगा। यहां काम करने वाले सरकारी डॉक्टरों का रिकॉर्ड चेक किया जाएगा, जिसके बाद उनके खिलाफ जांच की जाएगी, फिर शासन के प्रावधान के अनुसार कार्रवाई भी की जाएगी।
नगर निगम की अलग कार्रवाई
प्राइवेट संस्थानों में सेवाएं देने वाले सरकारी डॉक्टरों पर नकेल कसने के साथ ही सरकारी व्यवस्थाओं पर सवाल उठाने वाले ऐसे प्राइवेट संस्थानों पर नगर निगम की तरफ से अलग से कार्रवाई की जाएगी। इसमें अनियमित भवन निर्माण, आवासीय भवन का व्यावसायिक उपयोग, पार्किंग न होना जैसे मामलों में संस्थानों को नोटिस जारी किया गया है। इनमें से करीब 100 संस्थानों ने नोटिस का जवाब दिया है, जिनके दस्तावेजों की जांच कर भवन का निरीक्षण किया जा रहा है। जांच में किसी तरह की कमी या शर्तों का उल्लंघन करने पर संस्थानों को सील करने की कार्रवाई की जा रही है।
3 प्राइवेट अस्पताल में सर्जरी करते मिले सिम्स के डॉक्टर
बुधवार को स्वास्थ्य विभाग की टीम ने साईं हॉस्पिटल उसलापुर रोड, मेडिबोन हॉस्पिटल नेहरू नगर, रामकृष्ण हॉस्पिटल दयालबंद और श्री श्यामा हॉस्पिटल सीपत रोड पर जांच की। इस दौरान सिम्स के ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ राजीव सखूजा मरीजों को भर्ती कर उनका ऑपरेशन करते मिले। इस हॉस्पिटल के आइपीडी रिकॉर्ड का निरीक्षण किया गया। जिसमें यह स्पष्ट रूप से पाया गया कि डॉ सखूजा ऑन कॉल के तौर पर मरीजों का इलाज कर रहे हैं। इसी तरह मेडिबोन हॉस्पिटल में सिम्स के सर्जन डॉ विनोद तामश्कंद विजिटिंग डॉक्टर के रूप से पिछले एक साल से मरीजों की सर्जरी कर रहे हैं।
साईं हॉस्पिटल की लैब बंद को करने के निर्देश
साईं हॉस्पिटल के निरीक्षण के दौरान टीम को पता चला कि बिना पैथोलाजिस्ट के अन्य क्वालिफाइड डॉक्टरों द्वारा बड़ी लैब संचालित की जा रही है। इस पर निरीक्षण टीम ने तत्काल अस्पताल संचालक को लैब बंद करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही पैथोलॉजी संचालित करने वालों की पूरी लिस्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं। जब तक नर्सिंग होम एक्ट के तहत पैथोलॉजी संचालन की प्राथमिकताएं पूरी नहीं की जाती हैं, तब तक इसका संचालन नहीं किया जा सकता है।
नगर निगम के बाद अब स्वास्थ्य विभाग की टीम ने शुरू की नर्सिंग होम्स की जांच।
एनपीए लेने के बाद भी प्राइवेट प्रैक्टिस
सिम्स में ऐसे डॉक्टरों की संख्या अधिक है, जो कागजों पर निजी अस्पताल में सेवाएं नहीं दे रहे हैं और इसके बदले वे शासन से एनपीए (नॉन प्रैक्टिस अलाउंस) लेते हैं, लेकिन वास्तविकता में ज्यादातर डॉक्टर निजी अस्पताल में सेवाएं देकर कमाई कर रहे हैं। साथ ही एनपीए लेकर शासन को भी चपत लगाने का काम कर रहे हैं।
स्पेशलिस्ट डॉक्टर के बिना ही चल रहे प्राइवेट लैब।
ड्यूटी टाइम में रहते हैं नदारद
आमतौर पर देखने को मिलता है कि कि सिम्स के कई डॉक्टर ड्यूटी टाइम में नदारद रहते हैं। वे ओपीडी छोड़कर चले जाते हैं। साफ है कि इस दौरान वे निजी अस्पताल में सेवाएं देने का काम करते हैं। ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं, लेकिन कार्रवाई के अभाव में इस तरह के मामले रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं।
हाईकोर्ट की सख्ती के बाद अब प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले सरकारी डॉक्टरों पर नकेल कसने चल रही तैयारी।
CMHO बोले- जांच के बाद होगी कार्रवाई
CMHO डॉ राजेश शुक्ला ने बताया कि कलेक्टर और निगम आयुक्त के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग ने नर्सिंग होम की जांच के लिए टीम बनाई है। टीम लगातार संस्थानों की जांच कर रही है। इस दौरान सिम्स और जिला अस्पताल के सरकारी डॉक्टरों की जानकारी भी जुटाई जा रही है। ऐसे डॉक्टरों की जांच की जाएगी, जिसके बाद शासन के निर्देशों पर कार्रवाई की जाएगी।