जशपुरनगर : आयुर्वेद पद्धति से किया अष्मरी रोग का ईलाज
Last Updated on 1 year by City Hot News | Published: September 23, 2023
- 10 दिवस की चिकित्सा से रोगी को उदर शूल एवं मूत्र दाह में राहत महसूस हुआ
- आयुष चिकित्सा पद्धति से विगत सप्ताह 2942 रोगियों का किया गया है निःशुल्क उपचार
जशपुरनगर(CITY HOT NEWS)//
जिला में आयुष विभाग के अंतर्गत आयुष पॉलीक्लीनिक, आयुषविंग, स्पेशलाइज्ड थेरेपी सेंटर, आयुर्वेद, होम्योपैथी औषधालय, सीएचसी,पीएचसी में आयुर्वेद, होम्योपैथी, यूनानी संस्था संचालित है। जिसके माध्यम से पंचकर्म क्रिया के द्वारा रोगियों को ईलाज करके निःशुल्क औषधि वितरण किया जा रहा है।
आयुष विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले में विगत सप्ताह में कुल 2942 रोगियों को औषधि वितरण कर निःशुल्क उपचार किया गया साथ ही पंचकर्म क्रिया नाड़ी स्वेद, सर्वांग स्वेद, नस्य एवं शिरो धारा के द्वारा 44 रोगियों की चिकित्सा की गई। विभाग द्वारा मुख्य रूप से जीर्ण वात व्याधि, ज्वर, संधिवात, त्वक विकार, पाददाह, गृध्रासी, जीर्ण श्वास रोग, दौर्बल्यता, जीर्ण काश रोग एवं उदर रोग की सफलता पूर्वक चिकित्सा की गई। साथ ही हाट बाजार एवं सियान जतन क्लीनिक के माध्यम से 153 रोगियों की चिकित्सा की गई।
उल्लेखनीय है कि जिले में कुल 03 आयुष हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर संचालित है। जहां संस्थाओं में 110 हितग्राहियों को योगाभ्यास कराया गया है। साथ ही 122 हितग्राहियों को काढ़ा वितरण कराया गया। इसके साथ ही सूचना, शिक्षा एवं संचार के माध्यम से पम्पलेट द्वारा भी लोगों को अधिक संख्या में आयुष चिकित्सा पद्धति द्वारा उपचार हेतु सफलता पूर्वक जागरूक किया जा रहा है।
शासकीय आयुर्वेद औषधालय बटईकेला के आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी डॉ. सुबोध कुजूर के द्वारा अष्मरी (गुर्दे के पथरी) का सफलतापूर्वक ईलाज किया गया। कुछ समय पूर्व 54 वर्षीय युवक द्वारा तेज उदर सूल एवं मूत्र दाह के साथ वमन की समस्या की ईलाज के लिए आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी डॉ. सुबोध कुजूर से मुलाकात की थी।
गुर्दे के पथरी से ग्रसित युवक द्वारा पहले कई जगह से ईलाज कराया और ज्यादा फायदा नहीं हो पाया। इसके पश्चात उन्होने आयुर्वेद की औषधि लेने का निर्णय किया। जिस हेतु उन्होंने शासकीय आयुर्वेद औषधालय बटईकेला में पदस्थ डॉ. सुबोध कुजूर आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी से सम्पर्क किया। डॉ. सुबोध कुजूर के द्वारा उनसे जानकारी लेकर अष्मरी रोग से ग्रसित बताया और आयुर्वेद पद्धति से ईलाज प्रारम्भ किया। लगभग 10 दिवस की चिकित्सा के पश्चात् रोगी को उदर शूल एवं मूत्र दाह में राहत महसूस हुआ और रोगी को योगासन कपाल भारती तथा व्याधि संबंधित पथ्य आहार विहार की जानकारी दी गई। आज वर्तमान की स्थिति में रोगी को अष्मरी से संबंधित आहार और विहार का सेवन कर रहे है। साथ ही नियमित रूप से योगा और व्यायाम करते हैं एवं स्वस्थ्य जीवन व्यतीत कर रहे हैं।