CG: स्कूल ड्रेस पहनकर क्लास में पहुंची टीचर:बच्चों को पढ़ाने का अनोखा अंदाज, उन्हीं के ड्रेस में पहुंचती हैं छात्रों के बीच…
Last Updated on 1 year by City Hot News | Published: August 7, 2023
रायपुर// रायपुर में एक टीचर के पढ़ाने का अनोखा अंदाज बेहद पसंद किया जा रहा है। रामनगर स्थित शासकीय गोकुलराम वर्मा प्राइमरी स्कूल की टीचर जाह्नवी यदु बच्चों के ही यूनिफॉर्म में उन्हें पढ़ाने पहुंचती हैं। स्कूल के छात्रों की तरह 2 चोटी करती हैं। रिबन लगाती हैं और स्कूल बेल्ट भी पहनती हैं।
खेल-खेल में सिखाने के साथ ही टीचर छात्रों के ही तरह दिखने के लिए स्कूल ड्रेस भी पहनती हैं।
स्कूल यूनिफॉर्म में टीचर जाह्नवी बच्चों के बीच बैठती हैं। और पढ़ाई कराती हैं। कई दिनों से वे इस तरह का प्रयोग कर रही हैं। जिससे बच्चे भी उनसे घुल-मिल गए हैं। एक टीचर को अपने जैसे यूनिफॉर्म में देखकर बच्चे भी खुशी-खुशी पढ़ाई करते नजर आते हैं।
कनेक्शन लर्निंग का बेहतर तरीका
जाह्नवी बताती हैं कि मैंने ये प्रयोग बच्चों के करीब आने, उनकी समस्या को बेहतर तरीके से जानने के लिए किया। वे बिना किसी डर या झिझक के मेरे पास आते हैं और मुझसे सवाल-जवाब करते हैं। उन्होंने कहा कि प्राइमरी के बच्चों के लिए जरूरी होता है, कनेक्शन लर्निंग। इससे बच्चे जल्दी सीख पाते हैं। इस प्रयोग से मैं भी बच्चों का मेंटल लेवल अच्छे से समझ पाई हूं। यही नहीं ऐसे बच्चे जो देर से सीखते या समझते हैं मैं उनके पास ही जाकर बैठकर उन्हें पढ़ाई कराती हूं।
स्कूल यूनिफॉर्म में बिल्कुल बच्चों के अंदाज में पढ़ाती हैं जाह्नवी टीचर।
बच्चों में भी यूनिफॉर्म के लिए दिखा उत्साह
स्कूल के हेडमास्टर एम.गुरुनाथ ने कहा कि, स्कूल में ज्यादातर बच्चे स्लम एरिया से आते हैं। पहले अधिकांश बच्चे यूनिफॉर्म न पहनकर घर के कपड़ों में ही स्कूल पहुंच जाते थे। लेकिन टीचर के नए तरीके अपनाने से बच्चे भी यूनिफॉर्म में आना पसंद कर रहे हैं। टीचर को देखकर जो बच्चे घर के कपड़ों में आते थे वह भी स्कूल ड्रेस पहन रहे हैं। साथ ही पढ़ाई में भी उत्साह दिखाते हैं।
नहीं समझने या देरी से समझने वालों बच्चों के बीच बैठकर भी समझाती हैं।
डॉक्टर ने भी इस तरीके को बताया मददगार
अंबेडकर अस्पताल के मनोरोग विभागाध्यक्ष डॉ मनोज साहू ने कहा कि टीचर और स्टूडेंट्स में डिफरेंस रहना जरूरी है। लेकिन कई बार हम देखते हैं, कि जब हमें कोई बात सामने वाले को समझानी हो तो खुद वो तरीका अपनाना पड़ता है। ऐसे में जाह्नवी का ये तरीका बच्चों के लिए मददगार साबित हो सकता है, क्योंकि बच्चे प्राइमरी के हैं।
स्कूल में बच्चों को पढ़ाई से जोड़ने के लिए शिक्षक कई तरह के एक्टिविटी कराते हैं। कोई खेल-खेल में बच्चों को पढ़ाता है तो कोई डांस और गीत-संगीत के जरिए बच्चों को पढ़ाई कराते हैं। इसी तरह यह तरीका भी एक-दूसरे को समझने के लिए मददगार हो सकता है।