अमेरिका के पास 1419 डिप्लॉएड परमाणु हथियार: न्यू स्टार्ट ट्रीटी के तहत किया खुलासा, रूस से कहा- अपने न्यूक्लिअर हथियारों की भी जानकारी दें…
Last Updated on 2 years by City Hot News | Published: May 16, 2023
अमेरिका ने मंगलवार को अपने परमाणु हथियारों की जानकारी सार्वजनिक की है। वहां के स्टेट डिपार्टमेंट ने बताया कि उनके पास कुल 1419 डिप्लॉएड परमाणु हथियार हैं। ये जानकारी अमेरिका की रूस के साथ 2011 में हुई न्यू स्टार्ट ट्रीटी के तहत दी गई है।
हालांकि, रूस ने यूक्रेन जंग का एक साल पूरा होने पर इस समझौते को सस्पेंड किया था। पुतिन ने अमेरिका पर आरोप लगाया था कि वो इस जानकारी का गलत इस्तेमाल कर रहा है। वहीं, अमेरिका अब रूस पर परमाणु हथियारों की जानकारी देने का दबाव बना रहा है।
अमेरिका में न्यूक्लियर हथियारों के लॉन्च कोड लेकर जाते हुए सेना के अफसर को देखा जा सकता है। (फाइल फोटो)
रूस पर जानकारी छिपाने के आरोप
अमेरिका ने रूस पर आरोप लगाया है कि वो अपने परमाणु हथियारों की जानकारी छिपा रहा है। जो ट्रीटी का उल्लंघन है। वहीं, अमेरिका की दी गई जानकारी से सामने आया है कि उसके पास 662 इंटरकॉन्टिनेंटल, सबमरीन बैलिस्टिक मिसाइल और हैवी बॉम्बर्स हैं।
जो पिछले साल के मुकाबले घटे हैं। पिछले साल तक अमेरिका के पास 686 ऐसी मिसाइल थीं, जबकि रूस के पास 2022 में 526 इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल थी। न्यू स्टार्ट ट्रीटी के मुताबिक इनकी संख्या 700 से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।
अमेरिका के परमाणु हथियारों की संख्या भी घटी
अमेरिका के पास 1419 डिप्लॉएड परमाणु हथियार हैं। जो पिछले साल के मुकाबले घटे हैं। न्यू स्टार्ट ट्रीटी के तहत अमेरिका ने पिछले साल 1515 परमाणु हथियार होने की जानकारी दी थी। जबकि रूस के पास पिछले साल तक 1474 डिप्लॉएड परमाणु हथियार थे। ट्रीटी के मुताबिक इनकी संख्या 1550 से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।
मार्च में रूस ने ऐलान किया था कि वो न्यू स्टार्ट ट्रीटी के तहत अमेरिका को अपने परमाणु हथियारों की जानकारी नहीं देंगे। इसके जवाब में अमेरिका ने भी जानकारी देने से इनकार कर दिया था।
ये संख्या सभी देशों के कुल परमाणु हथियारों की है। जिसमें डिप्लॉएड यानी तैनात, स्टोर किए गए और एक्सपायर हो चुके हथियार भी शामिल हैं।
क्या है न्यू स्टार्ट ट्रीटी
- 5 फरवरी 2011 को रूस और अमेरिका के बीच न्यू स्टार्ट ट्रीटी को लागू की गई थी।
- ट्रीटी का मकसद दोनों देशों में परमाणु हथियारों की संख्या को सीमित करना था।
- दोनों देशों ने तय किया था कि वो अपने पास 1550 से ज्यादा परमाणु हथियार और 700 से ज्यादा स्ट्रैटेजिक लॉन्चर नहीं रखेंगे।
- इसकी अवधि दस साल यानी साल 2021 तक थी। बाद में इसे 5 साल बढ़ाकर 2026 तक कर दिया गया था।
इसके मायने क्या हैं
- ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ से बातचीत में NATO के सेक्रेटरी जनरल जेन्स स्टोलेनबर्ग ने पुतिन के फैसले पर कहा- इससे तो एटमी हथियारों पर कंट्रोल का पूरा सिस्टम ही तबाह हो जाएगा। रूस को फैसले पर फिर विचार करना चाहिए।
- अमेरिकी विदेश मंत्रालय के मुताबिक- इस फैसले में कुछ नया नहीं है, क्योंकि रूस पहले ही इस करार का पालन नहीं कर रहा था। हमने जनवरी में ही इस बारे में जानकारी दे दी थी। रूस ने अमेरिकी टीम को अपनी न्यूक्लियर साइट्स के इन्सपेक्शन से रोक दिया था।
- वैसे, पुतिन ने एक रास्ता खुला रखा है। खुद पुतिन ने कहा- हम एटमी ट्रीटी को छोड़ नहीं रहे हैं, फिलहाल इसे सस्पेंड किया गया है। अभी इस बारे में विचार किया जाना है। नाटो, फ्रांस और ब्रिटेन के पास तो काफी बड़ा एटमी जखीरा है।