पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा गिरफ्तार…कोर्ट ने 21 जनवरी तक कस्टोडियल रिमांड पर भेजा…

रायपुर// छत्तीसगढ़ शराब घोटाला केस में पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा को ED ने गिरफ्तार कर लिया है। बुधवार को तीसरी बार वे ED दफ्तर पूछताछ के लिए पहुंचे थे। पूछताछ के दौरान ED ने उन्हें अरेस्ट किया। उनका बेटा भी इस केस में आरोपी है, लेकिन उसे गिरफ्तार नहीं किया गया है।
कोर्ट ने 21 जनवरी तक ED को कवासी लखमा की रिमांड दे दी है। कोर्ट में पेश होने के दौरान कवासी लखमा ने कहा-
मेरे पास से एक रुपए नहीं पकड़ा गया, ना ही कोई दस्तावेज मिला है। शाह, मोदी और पूरी बीजेपी सरकार फर्जी मामला बनाकर मुझे परेशान कर रहे। मैं बस्तर की आवाज उठाता रहूंगा।
CA के साथ नहीं पहुंचे थे लखमा ED के अधिकारियों ने आज कवासी को पूछताछ के लिए CA के साथ बुलाया था। लेकिन वे अकेले ही ED दफ्तर पहुंचे थे। लखमा ने बताया कि, उनके CA बाहर हैं, इस वजह से वह नहीं आए हैं। लखमा अपने बेटे के साथ पहुंचे थे हालांकि उनके बेटे हरीश लखमा को गिरफ्तार नहीं किया गया है।
पहले 8-8 घंटे और पूछताछ हो चुकी है इससे पहले 2 बार उनसे और उनके बेटे हरीश लखमा से 8-8 घंटे ED के अधिकारियों ने पूछताछ की थी। दफ्तर के अंदर जाने से पहले लखमा ने कहा कि, देश कानून के हिसाब चलता है, अगर कानून के हिसाब से बुलाएंगे, तो मैं 25 बार आऊंगा। ED के अधिकारी जो सवाल करेंगे, उसका जवाब दूंगा। उनका सम्मान करुंगा।

ED को अहम सबूत मिले सूत्रों के मुताबिक, कवासी लखमा ने कांग्रेस सरकार के समय चलाए गए शराब के सिस्टम को लेकर ED को जानकारी दी है। लखमा इस पूछताछ में कई बार खुद के अनपढ़ होने, दस्तावेज में क्या लिखा था, समझ नहीं आने की बात कर ED के अफसरों को कन्फ्यूज भी करते रहे।
हालांकि, ED ने आधिकारिक तौर पर इस पूछताछ को लेकर कुछ नहीं कहा है। लखमा के घर पर छापे के बाद निदेशालय ने पूर्व मंत्री के कमीशन लेने की बात कही थी। अब इस केस में जल्द ही ED कुछ नई गिरफ्तारी करने की तैयारी में है।
डुप्लीकेट होलोग्राम लगाकर शराब बेचने का आरोप छत्तीसगढ़ शराब घोटाले की जांच कर रही ED ने ACB में FIR दर्ज कराई है। दर्ज FIR में दो हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के घोटाले की बात कही गई है। ED ने अपनी जांच में पाया कि तत्कालीन भूपेश सरकार के कार्यकाल में IAS अफसर अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी AP त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के अवैध सिंडिकेट के जरिए घोटाले को अंजाम दिया गया था।
ED की ओर से दर्ज कराई गई FIR की जांच ACB कर रही है। ACB से मिली जानकारी के अनुसार साल 2019 से 2022 तक सरकारी शराब दुकानों से अवैध शराब डूप्लीकेट होलोग्राम लगाकर बेची गई थी। जिससे शासन को करोड़ों के राजस्व का नुकसान हुआ है।
ED ने कार्रवाई पर क्या खुलासा किया 28 दिसंबर 2024 को ED ने पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा, उनके बेटे हरीश कवासी के घर छापा मारा था। टीम रायपुर के धरमपुरा स्थित कवासी लखमा के बंगले पहुंची थी। पूर्व मंत्री की कार को घर से बाहर निकालकर तलाशी ली गई। साथ ही, कवासी के करीबी सुशील ओझा के चौबे कॉलोनी स्थित घर और सुकमा जिले में लखमा के बेटे हरीश लखमा और नगर पालिका अध्यक्ष राजू साहू के घर पर भी दबिश दी गई।
आपत्तिजनक रिकॉर्ड भी मिले ED ने X पर लिखा था कि, छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले मामले में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) 2002 के प्रावधानों के तहत रायपुर, धमतरी और सुकमा जिलों में स्थित 7 जगह तलाशी अभियान चलाया गया।
ईडी घोटाले की प्रासंगिक अवधि के दौरान कवासी लखमा द्वारा नकद में (पीओसी) प्रोसीड ऑफ क्राइम यानी की अपराध से अर्जित आय के उपयोग से जुड़े सबूत जुटाने में सक्षम हो गया है। इसके अलावा, तलाशी में कई डिजिटल डिवाइस बरामद और जब्त की गईं, जिनके बारे में माना जाता है कि उनमें आपत्तिजनक रिकॉर्ड हैं।

कवासी लखमा के बेटे हरीश कवासी से भी 2 बार दफ्तर बुलाकर ED के अधिकारियों ने पूछताछ की है।
घोटाले की रकम 2161 करोड़ निदेशालय की ओर से लखमा के खिलाफ एक्शन को लेकर कहा गया कि, ED की जांच में पहले पता चला था कि अनवर ढेबर, अनिल टुटेजा और अन्य लोगों का शराब सिंडिकेट छत्तीसगढ़ राज्य में काम कर रहा था। इस घोटाले की रकम 2161 करोड़ रुपए है। जांच में पता चला है कि कवासी लखमा को शराब घोटाले से पीओसी से हर महीने कमिशन मिला है ।
2019 से 2022 के बीच चले शराब घोटाले में ED के मुताबिक ऐसे होती थी अवैध कमाई।
- पार्ट-A कमीशन: सीएसएमसीएल यानी शराब की खरीद और बिक्री के लिए राज्य निकाय द्वारा उनसे खरीदी गई शराब के प्रति ‘केस’ के लिए डिस्टिलर्स से रिश्वत ली जाती थी।
- पार्ट-B कच्ची शराब की बिक्री: बेहिसाब “कच्ची ऑफ-द-बुक” देशी शराब की बिक्री हुई। इस मामले में सरकारी खजाने में एक भी रुपया नहीं पहुंचा और बिक्री की सारी रकम सिंडिकेट ने हड़प ली। अवैध शराब सरकारी दुकानों से ही बेची जाती थी।
- पार्ट-C कमीशन: शराब बनाने वालों से कार्टेल बनाने और बाजार में निश्चित हिस्सेदारी दिलाने के लिए रिश्वत ली जाती थी। एफएल-10ए लाइसेंस धारकों से कमीशन ली गई जिन्हें विदेशी शराब के क्षेत्र में कमाई के लिए लाया गया था।