Vrat Tyohar ListMay 2023: बुद्ध पूर्णिमा, शनि जयंती, गंगा दशहरा सहित मई में 3 एकादशी व्रत, जानें मई के व्रत त्योहारों की तारीख और महत्व…
Last Updated on 2 years by City Hot News | Published: April 29, 2023
May 2023 Festival List: मई के महीने की शुरुआत इस बार एकादशी तिथि से हो रही है और इस दिन मोहिनी एकादशी का व्रत किया जाएगा। इसके साथ ही इस माह एक नहीं बल्कि तीन एकदाशी तिथि आने वाली हैं। इसके साथ ही प्रदोष व्रत, बुद्ध पूर्णिमा, शनि जयंती, गंगा दशहरा कई प्रमुख त्योहार पड़ने वाले हैं। आइए जानते हैं मई के व्रत त्योहारों की डेट और उनका महत्व।
May Festival 2023: मई माह में कई प्रमुख व्रत त्योहार पड़ने वाले हैं और इस माह की शुरुआत रवि योग में भी हो रही है। साथ ही इस माह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि मई में एक नहीं तीन एकादशी का शुभ संयोग बन रहा है, जिससे धार्मिक दृष्टि से इस माह का महत्व और भी बढ़ गया है। इस माह भगवान विष्णु का प्रिय व्रत मोहिनी एकादशी, अपरा एकादशी और निर्जला एकादशी का व्रत किया जाएगा। इसके साथ ही वैशाख पूर्णिमा, संकष्टी चतुर्थी, शनि जयंती, गंगा दशहरा समेत कई प्रमुख व्रत त्योहार पड़ने वाले हैं। आइए जानते हैं मई के महीने में कौन से प्रमुख व्रत त्योहार पड़ रहे हैं और इनका महत्व क्या है…
मोहिनी एकादशी (1 मई, सोमवार)
वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोहिनी एकादशी कहा जाता है। मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। एक बार गुरु वशिष्ठ के कहने पर भगवान राम ने यह व्रत किया था और द्वापर युग में भगवान कृष्ण के कहने पर राजा युधिष्ठिर ने भी मोहिनी एकादशी का व्रत किया था।
प्रदोष व्रत (3 मई, बुधवार)
वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है और यह व्रत भगवान शिव को समर्पित है। धार्मिक मान्यता है कि प्रदोष तिथि का व्रत करने से जीवन में चल रही सभी अड़चन दूर हो जाती हैं और मृत्यु के बाद व्यक्ति जन्म-मरण के बंधन से मुक्त हो जाता है। संतान प्राप्ति के लिए यह व्रत करना बेहद शुभ फलदायी माना गया है।
वैशाख पूर्णिमा बुद्ध पूर्णिमा (5 मई, शुक्रवार)
वैशाख मास की पूर्णिमा तिथि को वैशाख पूर्णिमा कहा जाता है और इस दिन बुद्ध पूर्णिमा भी है। इस पूर्णिमा तिथि पर गंगा स्नान करने और पितरों के नाम का दान तर्पण आदि करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और पितृ दोष भी दूर होता है। साथ ही इस दिन साल का पहला चंद्र ग्रहण भी लगने जा रहा है, जो भारत में दिखाई देगा।
संकष्टी चतुर्थी (8 मई, सोमवार)
ज्येष्ठ मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी का व्रत किया जाएगा। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन विधिवत रूप से भगवान गणेश की पूजा अर्चना करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और परिवार में कभी भी धन धान्य की कमी नहीं होती है। व्रतधारी भगवान गणेश की पूजा करने के बाद चंद्रमा को अर्घ्य दें और दर्शन करें। चंद्र दर्शन के बिना गणेशजी का व्रत पूरा नहीं माना जाता।
अपरा एकादशी (15 मई, सोमवार)
ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को अपरा एकादशी कहा जाता है। इस दिन अनजाने में हुई गलतियों और पापों को नष्ट करने के लिए भगवान विष्णु की विशेष पूजा का विधान है। इस दिन ध्यानपूर्वक पूजा पाठ और धर्म-कर्म के काम किए जाएं तो साल भर भगवान विष्णु की कृपा और मार्गदर्शन मिलता है। साथ ही अपरा एकादशी का व्रत काफी दिव्य और शुभ माना जाता है।
मासिक शिवरात्रि (17 मई, बुधवार)
प्रत्येक माह की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि का व्रत किया जाता है। ज्येष्ठ माह में पड़ने वाली इस शिवरात्रि पर कई शुभ योग बन रहे हैं, जिससे इस शिवरात्रि का काफी महत्व है। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। मासिक शिवरात्रि पर विधि विधान के साथ भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से हर मनोकामना पूरी होती है और जीवन में तरक्की के नए मार्ग बनते हैं।
शनि जयंती और वट सावित्री व्रत (19 मई, शुक्रवार)
ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को शनि जयंती और वट सावित्री का व्रत किया जाएगा। वट सावित्री के दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखकर बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं। धार्मिक मान्यता है कि बरगद के पेड़ में ब्रह्माजी, विष्णुजी और महादेव का वास होता है और बरगद पेड़ के पूजा और परिक्रमा करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है। साथ ही इस दिन सूर्य और देवी छाया के पुत्र शनिदेव का जन्म हुआ था इसलिए इस दिन शनि जयंती भी मनाई जाएगी।
गंगा दशहरा (30 मई, मंगलवार)
ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दसवीं तिथि को गंगा दशहरा का पर्व मनाया जाएगा। पौराणिक कथा के अनुसार, राजा भागीरथ ने अपने पूर्वजों का उद्धार करने के लिए कड़ी तपस्या की थी, जिससे प्रसन्न होकर मां गंगा इस शुभ तिथि में पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं। मान्यता है कि गंगा दशहरा पर गंगा स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
निर्जला एकादशी (31 मई, बुधवार)
ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी का व्रत किया जाएगा। इस दिन किए गए व्रत, पूजन व दान पुण्य के कार्यों से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। सभी एकादशियों में निर्जला एकादशी का व्रत सबसे कठिन माना जाता है। अगर आप साल किसी भी एकादशी का व्रत नहीं करते तो इस एकादशी का व्रत करने से सभी एकादशियों के व्रत का पुण्य कमा सकते हैं। इस दिन एकादशी का व्रत करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।