4 साल के बच्चे को जिंदा जलाने वाले को कोर्ट ने दी फांसी की सजा…
Last Updated on 3 hours by City Hot News | Published: November 28, 2024
रायपुर// रायपुर जिले में 4 साल के बच्चे को जिंदा जलाने वाले को फांसी की सजा दी गई है। उरला इलाके में अप्रैल 2022 की सुबह मासूम पर पेट्रोल छिड़ककर आग लगा दी गई थी। दोषी पंचराम को कोर्ट ने मृत्युदंड की सजा सुनाई है।
केस में पहले ही यह खुलासा हुआ था कि, वारदात को अंजाम देने वाला पंचराम बच्चे की मां से प्यार करता था। मां को हासिल करना चाहता था। इसी मकसद से बच्चे को रास्ते से हटाने के लिए उसने 4 साल के हर्ष को किडनैप किया। घर से दूर ले गया और जिंदा जलाकर भाग गया।
यह है पूरा मामला
उरला इलाके से 5 अप्रैल 2022 की सुबह हर्ष नाम के 4 साल के बच्चे का किडनैप हुआ था। पड़ोस में रहने वाले पंचराम ने उसे किडनैप किया था। बच्चे के पिता जयेंद्र, उरला इलाके में पूर्व पार्षद अशोक बघेल के मकान में किराए से रहते हैं।
वहीं आरोपी पंचराम भी वहीं किराएदार था। वो अपनी मां के साथ यहां अकेला रहता था। कुछ साल पहले उसकी पत्नी उसे छोड़कर भाग गई थी। पंचराम, जयेंद्र के बच्चों के साथ घुला मिला था। मासूम हर्ष को अक्सर अपनी बाइक पर घुमाया करता था। इसी भरोसे की वजह से जब हर्ष को पंचराम लेकर गया तो किसी ने रोका नहीं।
बेमेतरा के श्मशान में जिंदा जलाया
देर शाम तक बच्चा और पंचराम नहीं लौटा तो मामला थाने पहुंचा। हर्ष को ढूंढने के दौरान, पुलिस को उसकी जली हुई लाश मिली है। उसे पंचराम ने बेमेतरा ले जाकर श्मशान में जिंदा जला दिया था। हर्ष को ले जाने के बाद पंचराम ने अपनी मां को किसी दूसरे फोन नंबर से फोन किया था।
जब उस नंबर पर बात की गई तो पता चला कि भिलाई में पंचराम ने अपनी बाइक 15 हजार में एक शख्स को बेच दी है। वह नंबर उसी ऑटो डीलर का था। इस बात की जानकारी परिजन ने पुलिस को दी और फिर पुलिस ने पंचराम को नाकपुर से पकड़ लिया।
वारदात के दौरान मासूम के माता-पिता की तस्वीर, मां ने पंचराम से किसी संबंध की बात पर इनकार किया था।
पूछताछ में खोला राज
पुलिस ने पंचराम को पकड़ा तो बच्चे की हत्या और उसकी मां से प्यार की बातें सामने आईं। पता चला कि, दोषी पंचराम बच्चे की मां से एक तरफा प्यार करता था। हर्ष की मां उससे बातचीत भी नहीं करती थी। बच्चे की मां को सबक सिखाने के लिए उसने बच्चे को मार दिया।
46 साल बाद किसी को फांसी की सजा
कोर्ट की ओर से वारदात के ढाई साल के अंदर फांसी की सजा का फैसला सुनाया गया है। वहीं रायपुर में 46 साल बाद किसी दोषी को फांसी की सजा सुनाई गई है। पहली बार 25 अक्टूबर 1978 को रायपुर सेंट्रल जेल में बैजू नामक कैदी को फांसी दी गई थी। बैजू पर आरोप था, कि उसने 2 हजार रुपए के लिए चार लोगों को मार डाला।