चीन पहुंचे पाकिस्तान के आर्मी चीफ:चार दिन बीजिंग में रहेंगे जनरल आसिम मुनीर, इसके पहले UAE और सऊदी गए थे…
Last Updated on 2 years by City Hot News | Published: April 26, 2023
इस्लामाबाद/बीजिंग// पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर चार दिन के दौरे पर चीन पहुंच गए हैं। नवंबर में आर्मी चीफ का ओहदा संभालने के बाद मुनीर का यह पहला चीन दौरा है।
इसके पहले वो UAE और सऊदी अरब की विजिट कर चुके हैं। पाकिस्तानी सेना की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि मुनीर चीन के अफसरों से दोनों देशों के मिलिट्री रिलेशन्स ज्यादा मजबूत करने पर चर्चा करेंगे। मुनीर की विजिट में यह जरूर हो सकता है कि चीन किसी तरह पाकिस्तान के कर्ज की शर्तों में कुछ राहत दे। इस बारे में वहां की सरकार और फौज खामोश हैं।
दौरा ज्यादा लंबा क्यों
आसिम मुनीर 4 दिन चीन में रहेंगे। आमतौर पर इस तरह के दौरे इतने लंबे होते नहीं हैं। पाकिस्तान के सीनियर जर्नलिस्ट मुर्तजा सोलंगी ने सोशल मीडिया पर कहा- चीन की मिलिट्री लीडरशिप भी वहां की सरकार की तरह है। दोनों के ही बारे में बहुत ज्यादा चीजें सामने नहीं आतीं। दूसरी बात, पाकिस्तान पर चीन का जबरदस्त कर्ज है। IMF ने भी अब तक 1.2 अरब डॉलर के कर्ज की किश्त जारी करने का कोई ठोस वादा नहीं किया है। लिहाजा, यह देखना होगा कि यह मामला सिर्फ सैन्य संबंधों तक रहेगा या कुछ और मामलात भी हैं।
पिछले दिनों पाकिस्तान के अखबार ‘द डॉन’ ने एक रिपोर्ट में बताया था कि रूस ने पाकिस्तान को जो सस्ता तेल देने का भरोसा दिलाया है, उसके पीछे भी चीन का रोल है। इसके पहले भारत के दबाव में रूस किसी भी हालत में पाकिस्तान को तेल या अनाज देने को तैयार नहीं था। रूस ने भारत से बात करने के बाद ही पाकिस्तान को क्रूड ऑयल सप्लाई करने का फैसला किया।
पिछले दिनों ईद पर पाकिस्तान आर्मी के एक प्रोग्राम के दौरान जनरल मुनीर।
इसमें भी चीन का फायदा
इस रिपोर्ट में आगे कहा गया था- अगर रूस हमारे मुल्क पाकिस्तान को क्रूड ऑयल करने का फैसला कर भी लेता है तो इसमें चीन का फायदा होगा। इसकी वजह यह है कि पाकिस्तान के पास इस तरह की कोई रिफाइनरी ही नहीं है जो रूस का हैवी क्रूड रिफाइन करके उसे इस्तेमाल के लायक बना सके। भारत और चीन के पास इस तरह की कई रिफाइनरीज मौजूद हैं। यही वजह है कि भारत ने रूस से सस्ती कीमत पर जबरदस्त तेल खरीदा और उसे रिफाइन करके कई देशों को बेचकर तगड़ा प्रॉफिट कमाया।
इसी रिपोर्ट के मुताबिक- अब अगर पाकिस्तान को रूस से सस्ता तेल मिल भी जाता है तो इसका बहुत ज्यादा फायदा नहीं होगा। इसकी वजह यह है कि यह तेल पहले पाकिस्तान और फिर चीन पहुंचेगा। वहां रिफाइन करके इसे वापस पाकिस्तान लाया जाएगा। इसका मतलब पाकिस्तान को न सिर्फ रिफाइनिंग का चार्ज देना होगा, बल्कि ट्रांसपोर्टेशन का खर्च भी दोगुना हो जाएगा। इसका मतलब ये हुआ कि सस्ता तेल मिलने के बावजूद उसे महंगा पड़ेगा।
IMF की शर्त
IMF ने पिछले दिनों साफ कर दिया था कि पाकिस्तान को 1.2 अरब डॉलर की किश्त तभी जारी की जा सकती है, जब वो किसी दूसरे देश से कम से कम 2 अरब डॉलर कर्ज ले और उसे अपने फॉरेन रिजर्व में बतौर गारंटी मनी डिपॉजिट करे। शाहबाज शरीफ सरकार ने इस शर्त को पूरा करने के लिए तीन देशों से मदद मांगी। ये थे- चीन, UAE और सऊदी अरब।
सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस और प्रधानमंत्री मोहम्मद बिन सलमान (MBS) ने पांच महीने पहले शाहबाज शरीफ से वादा किया था कि वो पाकिस्तान को 2 अरब डॉलर लोन देंगे। हालांकि, शाहबाज के देश लौटने के बाद प्रिंस ने वादा पूरा नहीं किया। इसके बाद आर्मी चीफ ने सऊदी का दौरा किया और फिर मदद मांगी। इसके दो महीने बाद तक भी सऊदी ने लोन नहीं दिया। पाकिस्तान के अखबार, ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ ने पिछले महीने बताया था कि सऊदी अपने पैसे की गारंटी मांग रहा था।
मुल्क से ज्यादा सियासत जरूरी
- पाकिस्तान में इस वक्त जबरदस्त सियासी हलचल है। फौज और शाहबाज सरकार एक पेज पर नजर आ रहीं हैं तो दूसरी तरफ, सुप्रीम कोर्ट पूरी तरह इमरान खान के साथ दिखता है। खान को एक साथ 17 केस में जमानत दे दी गई। इतना ही नहीं पंजाब प्रांत में चुनाव के लिए 14 मई की तारीख भी सुप्रीम कोर्ट ने ही तय कर दी, जबकि ये काम इलेक्शन कमीशन का था। अब यह मामला भी कानूनी पचड़ों में फंस गया है।
- इलेक्शन कमीशन कहता है- हमारे पास इलेक्शन कराने के लिए फंड्स नहीं हैं। हमें पैसा सरकार देती है। दूसरी तरफ, फौज ने कहा कि मुल्क की सरहदों पर तनाव है, लिहाजा वो अभी सिक्योरिटी मुहैया नहीं करा सकती। इसके बावजूद सुप्रीम कोर्ट पंजाब में चुनाव कराने पर अड़ा है। इमरान खान भी इसी पर अड़े हैं। दरअसल, सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि अक्टूबर में जनरल इलेक्शन होने हैं, और उसी वक्त चारों राज्यों में विधानसभा चुनाव भी करा दिए जाएंगे। इससे दो बार खर्च से बचा सकेगा, क्योंकि सरकार के खजाने में इलेक्शन कराने के लिए जरूरी 21 अरब रुपए नहीं हैं।
- जब सुप्रीम कोर्ट ने पाकिस्तान के सेंट्रल बैंक के चीफ को बुलाकर सवाल-जवाब किए तो संसद में सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ माहौल बन गया। यह रस्साकशी अब तक जारी है।
- दूसरी तरफ, IMF से फाइनल राउंड की बातचीत के लिए वित्त मंत्री इशहाक डार को 9 अप्रैल को वॉशिंगटन जाना था, लेकिन संसद में सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ एक बिल पास होना था, लिहाजा डार ने वॉशिंगटन जाना मुनासिब नहीं समझा। उन्हें इकोनॉमी से ज्यादा सियासत की परवाह थी।