छात्रा के रोने…स्कूल में बीयर पार्टी पर हाईकोर्ट सख्त:छत्तीसगढ़ के 297 स्कूलों में टीचर नहीं, चीफ जस्टिस बोले- बच्चों के भविष्य का क्या होगा
Last Updated on 2 months by City Hot News | Published: September 25, 2024
बिलासपुर// छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव सहित नक्सल प्रभावित 297 स्कूलों में शिक्षकों के बिना पढ़ाई चल रही है। वहीं बिलासपुर में स्कूल में बीयर पार्टी और छात्रा को जेल भेजने की धमकी पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई है।
चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाया है। उन्होंने सरकार से पूछा कि ऐसे में बच्चों के भविष्य का क्या होगा?
सरकार की तरफ से बताया गया कि इन स्कूलों में अल्टरनेटिव टीचर की व्यवस्था की गई है। डिवीजन बेंच ने टीचर की भर्ती को लेकर एजुकेशन सेक्रेटरी को 5 अक्टूबर तक शपथ पत्र पेश करने के लिए कहा है।
स्कूली छात्राओं को जेल भेजने की धमकी
दरअसल, राजनांदगांव में शिक्षकों की मांग करने वाली स्कूली छात्राओं को धमकाते हुए जेल भेजने की धमकी दी गई थी। मीडिया में आई इस खबर को हाईकोर्ट ने जनहित याचिका मानकर सुनवाई शुरू की है।
मंगलवार को चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई।
शिक्षा व्यवस्था का ये हाल है तो कैसे काम चलेगा ?
इस दौरान सरकार की तरफ से अतिरिक्त महाधिवक्ता यशवंत सिंह ठाकुर ने बताया कि प्रदेश में 297 स्कूल शिक्षकविहीन हैं, जहां वैकल्पिक व्यवस्था की गई है।
शासन का जवाब सुनकर हाईकोर्ट ने हैरानी जताई। चीफ जस्टिस सिन्हा ने कहा कि शिक्षा व्यवस्था का ये हाल है तो कैसे काम चलेगा।
अगली सुनवाई 5 अक्टूबर को होगी
डिवीजन बेंच ने शिक्षा विभाग के सचिव को शपथपत्र के साथ यह बताने के लिए कहा है कि प्रदेश के स्कूलों में शिक्षकों की कमी दूर करने के लिए भर्ती कब तक होगी।
इसके लिए चल रही प्रकिया की जानकारी भी मंगाई है। प्रकरण की अगली सुनवाई 5 अक्टूबर को होगी।
राजनांदगांव सहित नक्सल प्रभावित 297 स्कूलों में शिक्षकों के बिना पढ़ाई चल रही है।
एक टीचर पर 2 स्कूलों की जिम्मेदारी
अतिरिक्त महाधिवक्ता यशवंत सिंह ठाकुर ने बताया कि प्रदेश में 297 स्कूल ऐसे हैं, जहां शिक्षक नहीं हैं। इनमें से 60 स्कूलों में स्थानीय स्तर पर शिक्षकों की व्यवस्था की गई है।
आसपास पोस्टेड टीचर इन शिक्षकविहीन स्कूलों में पढ़ाते हैं। यहां कलेक्टर और स्थानीय प्रशासन ने जनभागीदारी समिति के जरिए अस्थाई टीचर की व्यवस्था भी की है।
वहीं, दूरस्थ और नक्सल प्रभावित स्कूलों में शिक्षा दूत नियुक्त किए गए हैं। इस तरह की वैकल्पिक व्यवस्था पर हाईकोर्ट ने सवाल उठाया है।