राजनांदगांव : छत्तीसगढ़ एवं मध्यप्रदेश के बागवानी विशेषज्ञों हेतु वाराणसी में कार्यशाला का आयोजन

Last Updated on 4 months by City Hot News | Published: July 29, 2024

  • – किसानों तक पहुँच बनाने में कृषि विज्ञान केंद्रों की अहम भूमिका 

    राजनांदगांव/रायपुर,(CITY HOT NEWS)//

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-भारतीय सब्जी अनुससंधान संस्थान वाराणसी एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद अटारी जबलपुर के संयुक्त तत्वावधान में मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के कृषि विज्ञान केन्द्रों के बागवानी विशेषज्ञों की प्रशिक्षण सह कार्यशाला का आयोजन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान वाराणसी में किया गया। इस कार्यशाला में कृषि विज्ञान केन्द्र सोमनी की प्रमुख एवं वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. गुंजन झा में शामिल हुई। कार्यशाला में मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ राज्यों के विभिन्न कृषि विज्ञान केन्द्रों के कुल 50 उद्यान विशेषज्ञ शामिल हुए। सभी विशेषज्ञों के अपने-अपने जिले में किये गए कार्यों के प्रदर्शन के बाद उचित सुझाव हेतु संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा मंथन किया जायेगा। 
    इस अवसर पर मुख्य अतिथि एवं संस्थान के निदेशक डॉ. नागेन्द्र राय ने कहा कि किसानों के लिए बदलते परिवेश में उद्यानिकी फसलें विशेषकर मुख्य एवं अल्पदोहित सब्जियों की खेती कर आमदनी बढ़ा सकते हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान आवश्यकता अनुसार समन्वित पोषण, कीट एवं रोग प्रबंधन पर ध्यान देने की आवश्यकता है, जिससे गुणवत्तायुक्त उत्पाद बाहर भेज सकें। कार्यशाला में निदेशक भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद अटारी जबलपुर डॉ. एसआरके सिंह़ ने कहा कि कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक देश के उत्कृष्ट संस्थान से समन्वय बनाकर नवीनतम तकनीकों को कृषकों को दे तथा लाभ-लागत कम करने हेतु उचित शोध करें। डॉ. अजय वर्मा ने कहा कि किसानों को निर्यात योग्य सब्जियों के उत्पादन एवं पैकेजिंग पर कार्य करने की आवश्यकता है। डॉ. शालिनी चक्रवती ने बताया कि सब्जियों का बीज उत्पादन बहुत आवश्यक है। संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. नीरज सिंह ने बताया कि किसानों को कम समय एवं कम लागत में तैयार होने वाली सब्जियों पर ध्यान देने की आवश्यकता है। इस अवसर पर परियोजना समन्वयक डॉ. राजेश कुमार, विभागाध्यक्ष फसल उत्पादन डॉ. अनन्त बहादुर, एवं विभागाध्यक्ष फसल डॉ. अरबिन्द नाथ सिंह सुरक्षा उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन एवं आभार प्रदर्शन प्रधान वैज्ञानिक डॉ. डीआर भारद्वाज ने किया।