रायपुर : देश के पुराविदों ने छत्तीसगढ़ के ऐतिहासिक और पुरातात्विक धरोहरों पर दिया व्याख्यान…
Last Updated on 9 months by City Hot News | Published: February 18, 2024
- ‘छत्तीसगढ़ का इतिहास-राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य’ पर राष्ट्रीय संगोष्ठी
रायपुर(CITY HOT NEWS)//
संस्कृति विभाग अंतर्गत संचालनालय पुरातत्त्व, अभिलेखागार एवं संग्रहालय द्वारा ‘छत्तीसगढ़ का इतिहास-राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य’ पर आयोजित राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी के दूसरे दिन आज महंत घासीदास स्मारक संग्रहालय रायपुर में तीन अकादमिक सत्रों का आयोजन हुआ। संगोष्ठी में देश के इतिहासकारों और पुराविद्ों ने छत्तीसगढ़ के ऐतिहासिक और पुरातात्विक धरोहरों पर विस्तारपूर्वक व्याख्यान दिया।
संगोष्ठी में बिलासपुर की डॉ. अलका यादव ने रायपुर के कंकाली मठ में नागा साधुओं की परंपरा, तीजराम पाल ने ठाकुर देव विवाह पर और कोंडागांव के श्री घनश्याम नाग ने बड़े डोंगर के लिमऊ राजा पर शोध पत्र पढ़े। श्री राहुल कुमार सिंह ने शुक और मृतक स्मारकों का वृहत्तर परिप्रेक्ष्य और प्रोफेसर आर.एन. विश्वकर्मा ने भारतीय कला को छत्तीसगढ़ की देन पर व्याख्यान प्रस्तुत किया।
संगोष्ठी में रायपुर की डॉ. अनामिका शर्मा ने भारतीय राजनीति में जनजातीय महिलाओं की भूमिका, सरगुजा के श्री अजय चतुर्वेदी ने भारतीय स्वतंत्रता में सरगुजा के सेनानियों, दंतेवाड़ा के श्री ओम प्रकाश सोनी ने भारतीय लोक पर्वों में फागुन मड़ई का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक अध्ययन, महासमुंद जिले के डॉ. विजय शर्मा ने जनजागरण पर शोध लेख पढ़ा। वहीं रायपुर के डॉ. के.के. अग्रवाल ने छत्तीसगढ़ में राजनीतिक चेतना के विकास तथा ओडिसा के डॉ. महेंद्र कुमार मिश्र ने छत्तीसगढ़ और ओडिशा के सांस्कृतिक संबंध के प्रतीक जगन्नाथ पर व्याख्यान प्रस्तुत किया।
संगोष्ठी में मध्यप्रदेश के पुरात्वेत्ता डॉ. कामता प्रसाद वर्मा ने सरगुजा क्षेत्र में त्रिपुरी कलचूरी स्थापत्य कला, अमरकंटक के डॉ. देवेंद्र कुमार सिंह और प्रिया शर्मा ने कोरबा जिले के कोटेसर नगोई मंदिर के भग्नावशेष और शिल्प, डॉ. भेनू ने बस्तर के शैल चित्रों में छायावाद पर अपना शोध प्रस्तुत किया। रायपुर के डॉ. दिनेश नंदिनी परिहार ने छत्तीसगढ़ के प्राचीन पथ प्रणाली के राष्ट्रीय महत्व पर और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण नई दिल्ली के निदेशक डॉ. प्रवीण कुमार मिश्रा ने व्याख्यान दिया और शोधार्थियों का मार्गदर्शन किया। संगोष्ठी में देश के विभिन्न राज्यों के इतिहासकार एवं पुराविद् तथा शोधार्थी उपस्थित थे।