छत्तीसगढ़ में कागजों पर स्कूल भवनों का मेंटेनेंस पूरा:गरियाबंद में 89 करोड़ खर्च फिर भी छत से रिस रहा पानी; फर्श-दीवारों पर दरारें…

Last Updated on 12 months by City Hot News | Published: December 9, 2023

गरियाबंद// छत्तीसगढ़ में सरकार बदलते ही योजनाओं में गड़बड़ी और कामों में लापरवाही सामने आने लगी है। मुख्यमंत्री स्कूल जतन योजना के जरिए प्रदेश के सरकारी स्कूलों के मेंटेनेंस में क्वालिटी पर सवाल उठ रहे हैं। गरियाबंद जिले में जिन स्कूलों की मरम्मत की गई, वहां हल्की बारिश में ही सीपेज होने लगा है।

स्कूलों की मरम्मत के बाद भी टूट रही छत, छज्जे भी जर्जर हैं। - Dainik Bhaskar

स्कूलों की मरम्मत के बाद भी टूट रही छत, छज्जे भी जर्जर हैं।

जिले में पिछले 6 महीने में 13 सौ में से महज 473 स्कूलों का ही मेंटेनेंस हो पाया है। 5 ब्लॉकों में स्कूलों की मरम्मत के लिए 89.49 करोड़ की राशि मंजूर की गई थी। ये काम ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग के जिम्मे है। अप्रैल और मई महीने में करीब सौ ठेका कंपनियों को स्वीकृत कामों का टेंडर दिया गया था। हालत ये है कि मरम्मत के बाद ​​​​​​फर्श पर दरारें पड़ गई हैं। खिड़की और दरवाजों की अधूरी मरम्मत को रिकॉर्ड में पूरा दिखाया गया है।

दैनिक भास्कर की टीम ने की पड़ताल

दैनिक भास्कर की टीम ने देवभोग ब्लॉक के दहीगांव, नागलदेही, मूरगुडा, कैठपदर, बरकानी, उसरीपानी, खवास पारा समेत 23 स्कूलों का जायजा लिया। इसी तरह मैनपुर ब्लॉक के 12 स्कूलों की भी पड़ताल की। यहां जिन कामों को पूरा बताया गया है, उनमें से कई काम उम्मीद के मुताबिक नहीं हुए हैं।

BEO ने की स्कूल में सीपेज की पुष्टि

तीन दिन की हल्की बारिश के पानी ने ज्यादातर स्कूलों में हुए मेंटेनेंस की पोल खोल दी है। छत से पानी के रिसाव को रोकने जितने जगह मरम्मत कराई गई थी, उनमें ज्यादातर जगहों से पानी का रिसाव हो रहा है। इस मामले में देवभोग BEO देवनाथ बघेल से संपर्क किया गया, तो उन्होंने भी इसकी पुष्टि की।

स्कूल भवनों के छज्जे टूटे हुए हैं जबकि रिकॉर्ड में काम पूरा दिखाया गया।

स्कूल भवनों के छज्जे टूटे हुए हैं जबकि रिकॉर्ड में काम पूरा दिखाया गया।

कंप्लीट वर्क सर्टिफिकेट के बाद भी काम अधूरा

सर्गीगुड़ा स्कूल की दीवारों पर काम पूरा होने का मोना चस्पा है, लेकिन अंदर पेंटिंग, फ्लोरिंग का काम अधूरा पड़ा है। बरकानी समेत दर्जन भर स्कूल ऐसे हैं, जहां पुरानी खिड़कियों के छज्जे पर मरम्मत किए बगैर रंग रोगन कर दिया गया। ज्यादातर स्कूलों में केवल दीवारों की पुताई हुई, लेकिन खिड़की, दरवाजों को टूटे-फूटे हाल में ही छोड़ दिया गया है।

कमीशन देने पर मिला मेंटेनेंस का टेंडर

मुख्यमंत्री जतन योजना के तहत स्कूलों की मरम्मत का टेंडर जारी हुआ तो कई ठेकेदार कूद पड़े। विभाग ने भी मौके का जमकर फायदा उठाया। टेंडर की प्रकिया में दस्तावेजों से ज्यादा अहम सेटिंग का था। नाम न छापने के शर्त पर एक ठेकेदार ने बताया कि टेंडर के नाम पर पहले ही 10 प्रतिशत कमीशन ले लिया गया, बाद में 14 से 16 प्रतिशत तक लिया गया।

स्कूल का गेट भी टूटा।

स्कूल का गेट भी टूटा।

कलेक्टर बदलते ही बाबू की वापसी

काम में कमीशनबाजी की बात जब तत्कालीन कलेक्टर तक पहुंची तो लेखा शाखा के बाबू को हटा दिया गया। इसके बाद कलेक्टर बदलते ही फिर से कुर्सी पर वही बाबू बैठा दिया गया। अब दूसरे चरण में बिल पास फेल करने का खेल चल रहा है। अधूरे कामों का भी कागजी सत्यापन कर भुगतान किया जा रहा है।

ठेकेदारों को नहीं मिल रहा भुगतान

सरकार ने स्कूल जतन योजना को प्राथमिकता पर रखा था, लेकिन विभाग ने इसे हल्के में लिया। इस काम के लिए अब तक 14 करोड़ का भुगतान हो चुका है। रिकॉर्ड बताते हैं कि पहले चरण के काम का भुगतान पूरा नहीं कराने के बाद भी दूसरे चरण का काम पूरा कराने का दबाव बनाया गया। 141 कामों को ठेकेदारों ने शुरू तक नहीं किया।

अधिकारी सीपेज की बात से कर रहे इनकार

ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग के कार्यपालन यंत्री बीएस पैकरा सीपेज और अधूरे काम छोड़ने की बात खारिज कर रहे हैं। उनका कहना है कि कहीं भी ऐसा नहीं हुआ है। सीपेज मिला तो तोड़कर दोबारा काम कराएंगे। गड़बड़ी पाई गई तो कार्रवाई भी करेंगे।

25 हजार स्कूल और छात्रावास भवन जर्जर

छत्तीसगढ़ में करीब 25 हजार स्कूल और छात्रावास भवनों की मरम्मत के लिए इसी साल अप्रैल महीने से काम शुरू हुआ था। मुख्यमंत्री स्कूल जतन योजना के तहत इसके लिए 500 करोड़ रुपए का प्रावधान था। कलेक्टरों को जून यानी प्रवेशोत्सव से पहले सभी काम पूरा करने के निर्देश थे, लेकिन अब तक ये काम कई जगह अधूरा है।

क्यों शुरू हुई मुख्यमंत्री स्कूल जतन योजना

प्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री स्कूल जतन योजना की घोषणा स्कूलों, आश्रम स्कूलों, छात्रावासों के भवनों की मरम्मत और यहां नए अतिरिक्त कक्ष निर्माण के लिए की खी। अगर कोई भवन जर्जर हो गया है और उसका इस्तेमाल करना खतरनाक हो गया है तो उन भवनों को प्राथमिकता दी जाएगी।