8 दिसंबर को AICC में होगी हार की समीक्षा: खड़गे के साथ कुमारी सैलजा, भूपेश बघेल समेत बड़े नेता बैठक में होंगे शामिल…

रायपुर// छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की करारी हार हुई है। इस हार की समीक्षा 8 दिसंबर को AICC में होगी। कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे और महासचिव केसी वेणुगोपाल हार की समीक्षा करेंगे। इस बैठक में प्रदेशाध्यक्ष दीपक बैज, प्रदेश प्रभारी कुमारी सैलजा, पूर्व सीएम भूपेश बघेल शामिल होंगे।

बैठक में प्रदेश की स्थिति से लेकर विधानसभा वार विधायकों के हारने की क्या वजह रही ? डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव समेत मंत्रियों के हारने का क्या कारण रहा है? इन विषयों पर चर्चा होगी।

AICC करेगी छत्तीसगढ़ हार की समीक्षा (फाइल फोटो)

AICC करेगी छत्तीसगढ़ हार की समीक्षा (फाइल फोटो)

पूर्व डिप्टी सीएम भी बैठक में हो सकते हैं शामिल

कांग्रेस पार्टी को सरगुजा संभाग की सभी 14 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा है। ऐसे में संभावना है कि सरगुजा संभाग के बड़े कांग्रेस नेता और छत्तीसगढ़ के पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव भी इस बैठक में शामिल हो सकते हैं।

दो तिहाई सीटों पर हारी कांग्रेस

दो तिहाई सीटों पर भाजपा को बहुमत मिला है। भाजपा ने 54 कांग्रेस को 35 सीटें मिली हैं। वहीं गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने 1 सीट पर जीत दर्ज की है। सबसे बड़ा झटका सरगुजा और रायपुर में कांग्रेस को लगा है। यहां सभी सीटें कांग्रेस के हाथ से निकल गई हैं।

कांग्रेस सरकार में छत्तीसगढ़ कैबिनेट (फाइल फोटो)

कांग्रेस सरकार में छत्तीसगढ़ कैबिनेट (फाइल फोटो)

चुनाव में कांग्रेस सरकार के 9 मंत्री हारे

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार के 9 मंत्रियों को हार का सामना करना पड़ा है। उप-मुख्यमंत्री रहे सिंहदेव को अंबिकापुर से शिकस्त मिली। इसके अलावा आरंग से शिवकुमार डहरिया, नवागढ़ से गुरु रुद्र कुमार, कवर्धा से मोहम्मद अकबर, दुर्ग ग्रामीण से ताम्रध्वज साहू, साजा से रविंद्र चौबे, सीतापुर से अमरजीत भगत, कोरबा से जयसिंह अग्रवाल और कोंडागांव से मोहन मरकाम को हार झेलनी पड़ी है।

सरकार से नाराज थे अधिकारी-कर्मचारी !

छत्तीसगढ़ में पोस्टल बैलेट के नतीजों ने यह साफ़ कर दिया है कि अधिकारी-कमर्चारियों ने भी सरकार का साथ नहीं दिया। अपनी वेतन विसंगति, डीए सहित विभिन्न मांगों को लेकर अधिकारी-कर्मचारी फेडरेशन ने आंदोलन किया था, तब सरकार ने उनकी मांगों को पूरा करने का भरोसा दिलाया था और आंदोलन खत्म करा दिया था, लेकिन सरकार ने उनकी मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया।

सरकार के खिलाफ वोट किया

अधिकारी-कर्मचारी केंद्र सरकार की तरह डीए की मांग कर रहे थे, जिसे भी सरकार ने पूरा नहीं किया। इसके साथ ही लिपिक वर्गीय कर्मचारी संघ, स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के साथ ही संविदा कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर विरोध-प्रदर्शन किया। लेकिन उन्हें निराशा हाथ लगी, जिसका बदला कर्मचारियों के साथ ही परिवार के सदस्यों ने भी सरकार के खिलाफ वोट कर लिया।