रायपुर : जनजातीय समाज की वाचिक परंपरा का अभिलेखीकरण भावी पीढ़ियों के लिए बनेगा पथ-प्रदर्शक : डॉ. संध्या भोई…
Last Updated on 1 year by City Hot News | Published: May 27, 2023
- जनजातीय तीज-त्यौहार, जीवन संस्कार (जन्म, विवाह, मृत्यु इत्यादि) एवं जनजातीय समुदाय की उत्पत्ति पर साझा किया गया वाचिक ज्ञान
- तीन दिवसीय ‘‘जनजातीय वाचिकोत्सव 2023’’ के दूसरे दिन तीन सत्रों में पारंपरिक वाचिक ज्ञान पर व्यापक चर्चा
रायपुर(CITY HOT NEWS)//
आदिम जाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान द्वारा भारत सरकार जनजातीय कार्य मंत्रालय एवं राज्य शासन के सहयोग से ज्त्ज्प् संस्थान में चल रहे तीन दिवसीय ‘‘जनजातीय वाचिकोत्सव 2023’’ के दूसरे दिन शुक्रवार को तीन विषयों जनजातीय तीज-त्यौहार से संबंधित वाचिक ज्ञान, जनजातीय जीवन संस्कार (जन्म, विवाह, मृत्यु इत्यादि) संबंधी वाचिक परम्परा तथा जनजातीय समुदाय की उत्पत्ति संबंधी वाचिक परंपरा विषय पर जनजातीय वाचन किया गया।
‘‘जनजातीय वाचिकोत्सव 2023’’ के प्रथम सत्र की अध्यक्षता डॉ. वेदवती मण्डावी, सेवानिवृत्त प्राध्यापक, दुर्ग ने की। इस सत्र में कुल 25 जनजातीय वाचकों ने जनजातीय तीज-त्यौहार से संबंधित वाचिक ज्ञान पर अपना ज्ञान साझा किया। जनजातीय समाज में मनाए जाने वाले विभिन्न तीज-त्यौहारों की उत्पति के संबंध में अपने वाचिक ज्ञान को साझा करने के साथ-साथ जनजातीय समाज की सामाजिक एवं धार्मिक व्यवस्था में इनके महत्व पर भी इन्होंने प्रकाश डाला।
‘‘जनजातीय वाचिकोत्सव 2023’’ के द्वितीय सत्र की अध्यक्षता डॉ. किरण नुरूटी, सहायक प्राध्यापक, कोंडागावं एवं सह अध्यक्षता डॉ. संध्या भोई, सहायक प्राध्यापक, सरायपाली ने की। इस अवसर पर डॉ. संध्या भोई ने कहा कि जनजातीय वाचन परंपरा का अभिलेखीकरण आने वाली पीढ़ियों के लिए पथ-प्रदर्शक का काम करेगा। इस सत्र में कुल 22 जनजातीय वाचकों ने जनजातीय जीवन संस्कार (जन्म, विवाह, मृत्यु इत्यादि) संबंधी वाचिक परम्परा के संबंध में वाचिक ज्ञान साझा किया गया। जीवन संस्कार अंतर्गत बोड कुदराना (नाल काटना), पोईंग ऐर्राना (प्रसव होना), चूरचा नियोम (विवाह संस्कार), बीड़ा, बाडील, चावील तपराना, चूरचेल पारेकर (विवाह के प्रकार), सेमल आदि विषय पर विस्तार से अपने वाचिक ज्ञान को साझा किया।
तृतीय सत्र की अध्यक्षता डॉ. महेन्द्र कुमार मिश्रा, लोक साहित्य विशेषज्ञ, रायपुर ने की। इस सत्र में कुल 27 जनजातीय वाचकों ने जनजातीय समुदाय की उत्पत्ति संबंधी धारणा एवं वाचिक ज्ञान विषय पर जनजातीय वाचन किया। जनजातीय समाज की उत्पति के संबंध में समाज में प्रचलित विभिन्न पूर्वज धारणाओं को, जो उन्होंने सुना है, को वाचिक ज्ञान के रूप में सबके साथ साझा किया।
उल्लेखनीय है कि आदिवासी जीवन से संबंधित वाचिक परंपरा के संरक्षण, संवर्द्धन एवं उनके अभिलेखीकरण के उददेश्य से TRTI भवन, नवा रायपुर में इस जनजातीय वाचिकोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। तीन दिवसीय इस कार्यक्रम का समापन आज होगा। उक्त तीन दिवसीय आयोजन के उपरांत संस्थान द्वारा जनजातीय वाचिक परंपरा के संरक्षण एवं अभिलेखीकरण के दृष्टिगत पुस्तक का प्रकाशन भी किया जाएगा, जिसमें कार्यक्रम में प्रस्तुत किए गए विषयों के साथ-साथ राज्य के अन्य जनजातीय समुदाय के व्यक्तियों से भी जनजातीय वाचिक परंपरा के क्षेत्र में प्रकाशन हेतु आलेख आमंत्रित किए गए हैं।