रायपुर : गौठानों के माध्यम से पशु उद्यमी सखियों को मिल रही है आर्थिक मजबूती…

Last Updated on 1 year by City Hot News | Published: May 26, 2023

  • गौठानों के पशुओं की देख-रेख की जिम्मेदारी उठा रही हैं स्वावलंबी महिलाएं
  • ’ग्रामीण अर्थव्यवस्था और पशु-धन की सुरक्षा में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभा रही हैं पशु उद्यम सखियां
  • ’रूपा जैसी ग्रामीण महिलाएं लिख रही हैं आर्थिक सशक्तीकरण की नई कहानी

    रायपुर(CITY HOT NEWS)//

गौठानों के माध्यम से पशु उद्यमी सखियों को मिल रही है आर्थिक मजबूती

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने एक दूरदर्शी सोच के साथ राज्य में सुराजी गांव योजना की शुरूआत की है। योजना के अंतर्गत गौठान  बने और अब ये गौठान महात्मा गांधी ग्रामीण औद्योगिक पार्क अर्थात रीपा का रूप ले चुके हैं। छत्तीसगढ़ में गौठान ,पशुधन की सुरक्षा और उनसे आर्थिक लाभ का सशक्त माध्यम बन चुके हैं। गौठानों से न सिर्फ लोगों को रोजगार मिल रहा है बल्कि पशुओं की स्वास्थ्य समस्याओं में भी कमी आई है।
    गौठानों और आस पास के क्षेत्र में पशुओं के बीमार होने की स्थिति में इलाज के लिए ग्रामीणों को उन्हें सरकारी पशु अस्पताल या फिर अन्यत्र ले जाने की दुविधा रहती थी। गौठानों में पशुओं के रहने से उन्हें यहीं चिकित्सा सुविधा मिल जाती है और इस कार्य के लिए कोई विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं बल्कि ग्रामीण महिलाएं ही सक्षम हो चुकी हैं।
’रूपा जैसी ग्रामीण महिलाएं लिख रही हैं आर्थिक सशक्तीकरण की नई कहानी’
    सरगुजा जिले में रूपा नाम की ऐसी ही एक पशु उद्यमी सखी हैं जिन्होंने गौठान से जुड़कर पहले तो अपनी कार्यकुशलता में वृद्धि की और अब पशुओं की छोटी-मोटी बिमारियां, टीकाकरण, कृमि निवारण, कृत्रिम गर्भाधान, खान-पान आदि का कार्य कर आर्थिक रूप से भी सशक्त हो गयी हैं। पिछले दो वर्षों से रूपा ये कार्य कर रही है और अब उनके जैसी सैकड़ों महिलाएं पशु उद्यमी सखी  बनकर आर्थिक रूप से सशक्त हो रही हैं। इस कार्य के लिए पशु उद्यमी सखियों को सुव्यवस्थित ड्रेस, आधारभूत किट उपकरण एवं जरूरी दवाइयां उपलब्ध कराया गया है.
    रूपा, सरगुजा जिले में आरती स्व-सहायता समूह से जुड़ी हैं। वो गौठानों में पशु चिकित्सा शिविरों में भी ड्यूटी करती हैं। टीकाकरण, डिवॉर्मिंग, बीमार पशुओं के इलाज इत्यादि कार्य करती हैं। प्रति टीकाकरण रूपा को 7 रुपये मिलते हैं और इस कार्य से प्रतिमाह रूपा को प्रतिमाह 5-6 हज़ार रुपये की आय हो जाती है।

’रूपा जैसी ग्रामीण महिलाएं लिख रही हैं आर्थिक सशक्तीकरण की नई कहानी
’सरगुजा जिले में काम कर रही हैं 125 पशु उद्यमी सखियां’
    सरगुजा जिले में कुल 555 पशु सखियां कार्यरत हैं ,इनमें से 125 पशु सखियों को पशु चिकित्सा  विभाग और कृषि विज्ञान केन्द्र , अम्बिरकापुर  के सहयोग से प्रशिक्षण देकर ग्रामीण क्षेत्रों में पशुओं के बेहतर इलाज के लिए महिलाओं को पशु उद्यमी सखी बनाया गया। इन्हें पशु चिकित्सा विभाग और कृषि विज्ञान केंद्र की तरफ से 10 दिनों का प्रारंभिक प्रशिक्षण दिया गया। इसके बाद एक महीने का फील्ड एक्सपोजर और आवश्यक प्रायोगिक प्रशिक्षण प्रदान किया गया। अंतिम चरण में दो दिवसीय प्रशिक्षण के बाद टेस्ट में प्राप्त ग्रेडिंग के आधार पर इन पशु सखियों को क्षेत्र में संलग्न कर दिया गया जिसके बाद ये पशु सखियां पशु उद्यमी सखी कहलाने लगी हैं।
’जिले के गौठानों में एक वित्तीय वर्ष में 25 हजार पशुओं का उपचार’
    सरगुजा जिले में स्वीकृत गौठानों की संख्या 326 है जिसमें से 316 का निर्माण पूरा हो चुका है। वित्तीय वर्ष 2022-23 में गौठानों में 1066 पशु चिकित्सा शिविर का आयोजन किया गया।  इसमें 5 हजार 684 कृतिम गर्भाधान, 1 हजार 862 वत्सोत्पादन, 6 हजार 154  बधियाकरण, 23 हजार 277 टीकाकरण , 25  हजार 213 पशुओं का उपचार, 3 हजार पशुओं को कृमिनाशक देने का कार्य किया जा चुका है।