रूस या अमेरिका कौन भारत के लिए बेहतर, किसके साथ डिफेंस डील है फायदे का सौदा, विशेषज्ञों ने बताया सबकुछ…
Last Updated on 1 year by City Hot News | Published: June 15, 2023
Russia India US: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अमेरिका दौरा 21 जून से शुरू हो रहा है। अमेरिका की तरफ से भी उनके स्वागत की तैयारियां की जा रही हैं। विशेषज्ञों की मानें तो अमेरिका की पूरी ख्वाहिश है कि वह रूस की जगह भारत के लिए सबसे बड़ा मिलिट्री पार्टनर बन सके।
हाइलाइट्स
- भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 21 जून से अमेरिका दौरे पर होंगे
- इस दौरान कई बड़े सौदे होंगे जिनमें कई अहम रक्षा सौदे भी शामिल
- रक्षा विशेषज्ञों की मानें तो रूस की जगह कभी अमेरिका नहीं ले पाएगा
मॉस्को: भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 21 जून से अमेरिका दौरे पर होंगे। इस दौरान कई बड़े सौदे होंगे जिनमें कई अहम रक्षा सौदे भी शामिल हैं। विशेषज्ञों की मानें तो अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन हमेशा से चाहते हैं कि अमेरिका, रूस की जगह मिलिट्री सप्लाई में नंबर वन हो सके। जबसे यूक्रेन की जंग शुरू हुई है तब से उनकी यह ख्वाहिश भी कोई सीक्रेट नहीं रह गई है। मगर रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि भारत के दिल में रूस की जगह कभी अमेरिका नहीं ले पाएगा। रूस हमेशा से भारत के लिए हथियार और रक्षा उपकरणें का बड़ा सप्लायर रहा है और रहेगा।
भारत के सुरक्षा हित
रक्षा विशेषज्ञों के हवाले से स्पूतनिक न्यूज एजेंसी ने इस बारे में विस्तार से जानकारी दी है। स्पूतनिक ने दिल्ली पॉलिसी ग्रुप में सीनियर फेलो ब्रिगेडियर (रिटायर्ड) अरुण सहगल के हवाले से लिखा है कि भारत को जो उपकरण रूस से मिलते हैं, वो अमेरिका से नहीं मिलते हैं। उनकी कहना था कि भारतीय सेनाओं के मूल्यांकन के अनुसार रूसी सिस्टम भारत के लिए बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण हैं। साथ ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में मौजूद उपकरणों की तुलना में भारत के सुरक्षा हितों की बेहतर सेवा करते हैं।
रूस से मिले अहम उपकरण
भारतीय रक्षा विशेषज्ञ ने इस बात की तरफ भी ध्यान दिलाया कि स्व-चालित S-400 ट्रायम्फ वायु रक्षा प्रणाली, जो रूस से भारत को मिला है, वह भारत को चीन और पाकिस्तान के साथ अपनी पूर्वी और पश्चिमी दोनों सीमाओं पर सुरक्षा कवच प्रदान करता है। इन दोनों ही देशों के साथ भारत के लंबे समय से सीमा विवाद जारी हैं। भारत ने रूस से S-400 सिस्टम की पांच यूनिट्स खरीदी हैं। यह डील पांच अरब डॉलर के साथ साइन हुई थी। इनमें से तीन यूनिट्स भारत तक पहुंच वुकी हैं। जबकि रूस ने बाकी दो यूनिट्स भी साल 2024 की शुरुआत तक पूरी करने का वादा किया है।
रूस से दूर होना मुश्किल
ब्रिगेडियर सहगल इंडियन इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ (आईडीएस) में भी तैनात रहे हैं। उनका कहना है कि भारत और रूस ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल की रेंज को अपग्रेड करने के लिए भी बातचीत कर रहे हैं। ब्रह्मोस दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक मिसाइल है। इस मिसाइल को समुद्र, जमीन, हवा या पानी से लॉन्च किया जा सकता है। उनकी मानें तो महत्वपूर्ण बात यह है कि रूस सुरक्षा क्षेत्रों में सभी जरूरी कवरेज मुहैया करता है और ऐसे में भारत उससे कन्नी काटेगा, यह मुश्किल है।
अमेरिका का रहेगा नियंत्रण
साल 2017 से 2022 तक अमेरिका, भारत का तीसरा सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता है। अमेरिका की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक भारत में अमेरिकी हथियारों का निर्यात साल 2020 में करीब 20 बिलियन डॉलर तक बढ़ गया है। दोनों देशों के बीच जेट इंजन की एक डील होने वाली है। इस पर सहगल ने कहा कि भले ही अमेरिका की तरफ से प्लांट भारत में लगाने की बात कही जा रही हो लेकिन इसके ऑपरेशन का करीब 65 से 70 फीसदी हिस्सा अमेरिका के नियंत्रण में रहेगा। उनका कहना था कि अगर डील की घोषणा हो जाती है तो भी उसे अमेरिकी सीनेट की समीक्षा से गुजरना होगा। यह अपने आप में एक लंबी और थकाऊ प्रक्रिया है।