Amarnath Yatra 2023: बाबा बर्फानी की आई पहली तस्वीर, जानें अमरनाथ यात्रा से जुड़ी जरूरी बातें…
Last Updated on 1 year by City Hot News | Published: June 6, 2023
बाबा अमरनाथ यात्रा 1 जुलाई से शुरू हो जाएगी और इस बार बाबा बर्फानी की सुबह शाम की आरती का लाइव प्रसारण भी किया जाएगा। अमरनाथ बाबा की पहली तस्वीर आते ही सोशल मीडिया पर वायरल हो गई है। आइए जानते हैं अमरनाथ यात्रा से जुड़े जानकारी के बारे में…
अमरनाथ यात्रा की तैयारियां शुरू हो गई हैं और इसी बीच बाबा बर्फानी की पहली तस्वीर सामने आ गई है। हर वर्ष पवित्र अमरनाथ गुफा में बर्फ से प्राकृतिक शिवलिंग का निर्माण होता है। प्राकृतिक हिम से बनने के कारण इस शिवलिंग को स्वयंभू हिमानी शिवलिंग और बाबा बर्फानी भी कहा जाता है। अमरनाथ यात्रा के लिए प्रशासन पूरी तरह तैयार है और बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए 1 जुलाई 2023 दिन शनिवार से यात्रा शुरू हो जाएगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसी स्थल पर भगवान शिव ने माता पार्वती को मोक्ष का मार्ग दिखाया था। इस ज्ञान को अमर कथा के नाम से जाना जाता है इसलिए इस पवित्र स्थल का नाम अमरनाथ पड़ा।
सुबह-शाम आरती होगी लाइव
तस्वीर में बाबा बर्फानी आकर्षक रूप में दिख रहे हैं और अपनी गुफा में विराजमान हैं। बाबा बर्फानी की पहली तस्वीर आते ही सोशल मीडिया पर वायरल हो गई है। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बाबा अमरनाथ की प्रथम पूजा में शामिल हुए थे। साथ ही अमरनाथजी श्राइन बोर्ड इस बार बाबा अमरनाथ की सुबह शाम की आरती सीधा प्रसारण करेगा।
यहां करवा सकते हैं रजिस्ट्रेशन
अमरनाथ यात्रा 1 जुलाई से शुरू होगी और 30 अगस्त रक्षा बंधन पर समाप्त होगी। अमरनाथ यात्रा के लिए सरकार ने 10 अप्रैल को शेड्यूल जारी कर दिया था। अमरनाथ यात्रा को करने के लिए सरकार ने उम्र निर्धारित कर रखी है। यात्रा करने के लिए उम्र 13 साल से लेकर 75 साल के बीच होनी चाहिए। बताया जा रहा है कि इस बार 8 लाख से ज्यादा श्रद्धालु बाबा बर्फानी के दर्शन कर सकते हैं। अमरनाथ यात्रा पर जाने के लिए 17 अप्रैल से रजिस्ट्रेशन शुरू हो गए हैं। आधिकारिक वेबसाइट https://jksasb.nic.in/ पर जाकर इसके बारे में पूरी जानकारी ले सकते हैं और इस साइट पर रजिस्ट्रेशन भी करवा सकते हैं।
हिमालय की गोद में स्थित हैं अमरनाथ बाबा
हिमालय की गोद में स्थित अमरनाथ बाबा का यह पवित्र तीर्थस्थल माना जाता है। यह एकमात्र शिवलिंग है, जिसका आकार चंद्रमा की रोशनी के आधार पर तय होता है। यह शिवलिंग सावन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को पूरा हो जाता है और उसके बाद आने वाली अमावस्या तक आकार में काफी छोटा हो जाता है। मान्यता है कि एक मुस्लिम गड़रिए ने बाबा बर्फानी की पवित्र गुफा की खोज की थी। आज भी उसके वंशजों को बाबा के दान में चढ़ाई गई राशि का एक हिस्सा दिया जाता है।