रायपुर : राष्ट्रीय रामायण महोत्सव के दूसरे दिन अरण्यकांड की भावपूर्ण प्रस्तुति से दर्शक हुए भावविभोर…
Last Updated on 1 year by City Hot News | Published: June 2, 2023
- भगवान राम के वनवास, सीता हरण, जटायु-रावण युद्ध, शबरी प्रसंग की प्रस्तुति को लोगों ने सराहा, तालियां बजाई और कलाकारों का हौसला बढ़ाया
रायपुर(CITY HOT NEWS)//
राष्ट्रीय रामायण महोत्सव के दूसरे दिन कलाकरों के दल ने रामायण के विविधि प्रसंगों की शानदार प्रस्तुति देकर लोगों को भक्तिभाव से विभोर कर दिया। कार्यक्रम का आगाज झारखंड से आए कलाकार दल ने अरण्यकांड पर मनमोहक प्रस्तुति दी। सीता हरण और राम द्वारा शबरी के झूठे बेर खाने के प्रसंग की प्रस्तुति ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
दूसरे दिन के कार्यक्रम का शुभारंभ संस्कृति मंत्री श्री अमरजीत भगत एवं स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। इस अवसर पर लोकगायक दिलीप षडंगी ने अपनी टीम के साथ हनुमान चालीसा की प्रस्तुति दी। महोत्सव में उपस्थित सभी लोगों ने तालियों की थाप के साथ हनुमान चालीसा का पाठ किया। इस अवसर पर मंत्री श्री अमरजीत भगत ने महोत्सव में उपस्थित दर्शकों को सम्बोधित किया और उपस्थित लोगों के स्वागत के लिए लोकगीत गाया।
महाराष्ट्र के वर्धा से आए कलाकार दल ने श्रीराम के वनवास कथा से जुड़े प्रसंग की शानदार मंचन किया। मध्य प्रदेश से आए कलाकार दल ने अरण्यकांड पर जीवंत प्रस्तुति दी। उनकी भावपूर्ण प्रस्तुति ने उस दृश्य को दर्शकों के समक्ष जीवंत कर दिया जब दंडकारण्य में राम ने शबरी के जूठे बेर खाए थे। श्रीराम के वनवास कथा से जुड़े प्रसंग की जीवंत प्रस्तुति ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। मध्यप्रदेश की रामायण मंडली अरण्य कांड से जुड़े सीताहरण प्रसंग में जटायु-रावण का युद्ध और घायल जटायु से राम के संवाद, शबरी प्रसंग को प्रस्तुत किया। असम के परफोर्मिंग आर्ट्स कॉलेज डिब्रूगढ़ और झारखण्ड के कलाकारों ने भी सीताहरण प्रसंग, जटायु प्रसंग और राम के वन-वन भटकने के प्रसंग की भावपूर्ण प्रस्तुति दी।
असम से आए कलाकारों की टीम में कुल 21 कलाकार है, जिसमें 16 महिला कलाकार शामिल है। असम के कलाकारों की अरण्यकांड पर शानदार प्रस्तुति को दर्शकों ने खूब सराहा और तालियां बाजाकर कलाकारों की हौसला अफजाई की। उड़ीसा के कलाकारों द्वारा मारीच प्रसंग की भावपूर्ण प्रस्तुति को भी दर्शकों ने खूब सराहा। हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा के कलाकारों की अरण्य कांड की प्रस्तुति के दौरान माता सीता के प्रति भगवान श्रीराम का प्रेम, समर्पण और करुणा की भावाभिव्यक्ति ने दर्शकों को भावविभोर किया। स्वर्ण मृग बने हिरण की कथा रामायण के सबसे प्रेरक प्रसंगों में एक है। जब ऐसी घटना हो, जो अप्रत्याशित लगती हो तो इस पर आगे बढ़ने से पहले कई बार विचार करना चाहिये। लक्ष्मण रेखा का सिद्धांत भी गूढ़ अर्थ रखता है। जीवन में सेवा कार्य जरूरी है पर संशय भाव भी होना जरूरी है। सीता जी का अपहरण रावण कर लेता है। वह साधु बनकर आता है। कलाकरों की यह प्रस्तुति बेहद प्रशंसनीय रही। इस प्रस्तुति में शबरी का धैर्य भी दिखा। शबरी ने बरसों इंतज़ार किया और जितनी बड़ी उनकी तपस्या रही, उनका पुण्य उतना ही जागृत हुआ। भगवान उनकी कुटिया में आये। सबके हिस्से में शुभ हो, मीठा हो। सर्वे भवन्तु सुखिनः के वैदिक विचार से शबरी ने मीठे बेर खिलाये। प्रस्तुति के दौरान एक गहन आध्यात्मिक चर्चा हुई। राष्ट्रीय रामायण महोत्सव के मंच का यह दृश्य देखकर ऐसा लग रहा था कि रामलीला मैदान में हजारों की संख्या में रामकथा सुन रहे लोगों के मन में यह सुंदर विचार उतर रहा है।