Vande Bharat Express: वंदे भारत के 120 ट्रेन सेट की सप्लाई अटकी, यूक्रेन-रूस युद्ध से है कनेक्शन!

Last Updated on 1 year by City Hot News | Published: June 2, 2023

Vande Bharat Train: यह रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद, कई देशों द्वारा रूस पर प्रतिबंध लगाए गए हैं। इसकी आंच वंदे भारत ट्रेन तक भी पहुंच रही है। दरअसल, भारत सरकार ने 120 वंदे भारत ट्रेन सेट के निर्माण के लिए TMH-RVNL ज्वाइंट वेंचर को आर्डर दया है। इस ज्वाइंट वेंचर की रूसी कंपनी अमेरिका और यूरोपीय देशों के संक्शन की आंच से झुलस रहा है।

हाइलाइट्स

  • वंदे भारत एक्सप्रेस के 120 ट्रेन सेटों की सप्लाई के अटकने की खबर आ रही है
  • इसका कनेक्शन रूस और यूक्रेन युद्ध से जुड़ा है
  • दरअसल इन ट्रेनों को बनाने का ठेका जिस ज्वाइंट वेंचर को मिला है, उसमें उसमें एक रूसी कंपनी भी शामिल है
  • इस कंपनी को अमेरिका और यूरोप से स्पेयर मिलने में दिक्कत हो रही है

नई दिल्ली: भारतीय रेल (Indian Railways) इन दिनों वंदे भारत एक्सप्रेस (Vande Bharat Express) प्रोजेक्ट पर सबसे ज्यादा तवज्जो दे रहा है। रेलवे ने अगले कुछ सालों में 400 से भी ज्यादा वंदे भारत ट्रेन चलाने की योजना बनाई है। लेकिन इसके 120 ट्रेन सेट की सप्लाई का आर्डर खटाई में जाता दिख रहा है। दरअसल, इसे बनाने के लिए ट्रांसपोर्ट क्षेत्र की दिग्गज कंपनी ट्रांसमाशहोल्डिंग (TNH) और रेल मंत्रालय के पीएसयू (PSU) रेल विकास निगम लिमिटेड (RVNL) के बीच बने संयुक्त उद्यम (JV) को आर्डर दिया गया है। रूस और यूक्रेन युद्ध की वजह से इस कंपनी को स्पेयर पार्ट्स की सोर्सिंग में दक्कत हो रही है।

30 हजार करोड़ रुपये से भी ज्यादा का है आर्डर

इस ज्वाइंट (JV) वेंचर को जो आर्डर मिला है, उसकी कीमत लगभग $3.63 बिलियन (₹30,000 करोड़ से अधिक) है। यह आर्डर इसी साल की शुरुआत में दिया गया था। यह कंपनी सबसे कम बोली लगाने वाले के रूप में उभरी थी। इसके बाद भारतीय रेलवे ने टीएमएच-आरवीएनएल कंसोर्टियम को यह आर्डर अवार्ड किया था। दि हिंदू की एक खबर के मुताबक रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध लंबा खिंचने की वजह से इस ज्वाइंट वेंचर को दिक्कत हो रही है।

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इसिलए हो रही है दिक्कत

इस ज्वाइंट वेंचर को जो 120 वंदे भारत ट्रेन सेट बनाने का आर्डर है, उनमें से प्रत्येक की कॉस्ट करीब 120 करोड़ रुपये है। यूं तो ‘मेक इन इंडिया’ के नारे पर अमल करते हुए वंदे भारत ट्रेन सेट को भारत में ही बनाया जा रहा है। लेकिन दिक्कत यह है कि इसके सभी पार्ट पुर्जे देश में नहीं बनते हैं। इसके कई महत्वपूर्ण पार्ट वेस्टर्न यूरोप और अमेरिका से आते हैं। बीते 22 मई को अमेरिका ने Metrovagonmash पर सेक्शन लगा दिया। यह TMH का ही एक डिविजन है। रेलवे के रोलिंग स्टॉक बनाने का इसके पास स्पेशलाइजेशन है।

दो साल में देना है प्रोटोटाइप ट्रेन

रेलवे का इस ज्वाइंट वेंचर से जो समझौता हुआ है, उसके मुताबिक TMH-RVNL कंसोर्टियम को जून 2025 तक दो प्रोटोटाइप वंदे भारत ट्रेन सेट की डिलीवरी करनी है। ताकि इसकी टेस्टिंग और ट्रायल रन हो सके। यदि प्रोटोटाइप ट्रेन सेट को आरडीएसओ से मंजूरी मिल जाती है तो इसे हर साल 12 से 18 ट्रेनों का निर्माण करना है। कंसोर्टियम को ट्रेन सेट की डिलीवरी के बाद 35 साल तक ट्रेनों का मेंटनेंस भी करना होगा।

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इस चक्कर में आरवीएनएल के पिट रहे हैं शेयर

TMH-RVNL कंसोर्टियम को दिक्कत होने की खबर शेयर बाजार में पहले से पहुंची हुई है। बीते 5 मई को RVNL के शेयर ₹142 के रिकॉर्ड उच्च स्तर को छूआ था। इसके बाद, यह बीते मंगलवार को 18% फिसल कर 116 रुपये पर आ गया था। हालांक बुधवार को फिर चढ़ कर ₹121 पर बंद हुआ लेकिन गुरुवार को फिर गिर कर 118.55 रुपये पर बंद हुआ। शुक्रवार को भी इसके शेयर में गिरावट देखी गई। शुक्रवार को खबर लिखे जाने के वक्त यह 0.55% गिर कर 117.90 पर ट्रेड कर रहा था।