Jyestha Purnima 2023 Date: ज्येष्ठ पूर्णिमा कब है, जानें तिथि, महत्व और शुभ मुहूर्त…
Last Updated on 1 year by City Hot News | Published: June 2, 2023
ज्येष्ठ पूर्णिमा इस बार दो दिन मनाई जाएगी। व्रत 3 जून को रखा जाएगा और दान पुण्य का कार्य 4 जून को किया जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु, मां लक्ष्मी और चंद्र देव की पूजा की जाती है। कई स्थानों पर वट सावित्री व्रत भी इस दिन रखा जाता है। आइए जानते हैं इसका महत्व और शुभ मुहूर्त।
Jyestha Purnima Kab Hai: ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा का धार्मिक दृष्टि से खास महत्व बताया गया है। ज्येष्ठ पूर्णिमा 4 जून को है और इस दिन धार्मिक कार्य पूजा अनुष्ठान, व्रत करने और दान पुण्य करने का विशेष महत्व होता है। कुछ स्थानों पर वट सावित्री व्रत भी ज्येष्ठ पूर्णिमा को रखा जाता है। महिलाएं पति की दीर्घायु के लिए व्रत करती हैं और बरगद के पेड़ की पूजा करके प्रार्थना करती हैं। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने और दान करने से मनुष्यों को शुभ फलों की प्राप्ति होती है। आइए आपको बताते हैं ज्येष्ठ पूर्णिमा की तिथि, महत्व और शुभ मुहूर्त।
ज्येष्ठ पूर्णिमा की तिथि और शुभ मूहूर्तज्येष्ठ पूर्णिमा इस साल दो दिन की पड़ रही है। यानी कि ज्येष्ठ पूर्णिमा का व्रत 3 जून को रखा जाएगा और स्नान और दान 4 जून को किया जाएगा। पंचांग के अनुसार, पूर्णिमा तिथि 3 जून को सुबह 11 बजकर 16 मिनट पर आरंभ होगी और उसका समापन 4 जून को होगा। चूंकि पूर्णिमा तिथि चंद्र द्रेव को समर्पित होती है इसलिए इसकी पूजा भी चंद्रोदय की गणना के अनुसार होती है।
ज्येष्ठ पूर्णिमा का महत्वज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान के साथ ही इस दिन भगवान सत्यनारायण की कथा सुनने का भी विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि इस दिन चंद्र देव के साथ ही मां लक्ष्मी की आराधना भी की जाती है। रात्रि में चंद्रमा को दूध से अर्घ्य देने से आपके घर में धन धान्य की वृद्धि होती है और हर प्रकार के रोगों से राहत मिलती है।
ज्येष्ठ पूर्णिमा की पूजाविधिज्येष्ठ पूर्णिमा पर भगवान विष्णु की पूजा करना भी शुभ माना जाता है। वहीं शाम के पहर में मां लक्ष्मी और रात को चंद्र देव की पूजा की जाती है। भगवान विष्णु की पीले फूल, फल और पीले चावल के साथ विधि विधान से पूजा करें। उसके बाद शाम को मां लक्ष्मी की पूजा करके केसर की खीर का भोग लगाएं। रात को इस चंद्र देव को दूध से अर्घ्य देना चाहिए और दीपक जलाना चाहिए। इस दिन महिलाएं बरगर के पेड़ की पूजा भी करती हैं और उसके चारों ओर परिक्रमा करके कलावा बांधती हैं। इस दिन ब्राह्माणों को भोजन और वस्त्र का दान करना चाहिए।