जानते हैं देश की सबसे पुरानी ट्रेन को, आज प्रवेश कर गई 112वें साल में…
Last Updated on 1 year by City Hot News | Published: June 1, 2023
नई दिल्ली: भारत की सबसे पुरानी ट्रेन कौन है, जो अभी भी चल रही है? नहीं बता सकते.. तो हम बताते हैं। यह ट्रेन है पंजाब मेल, जो कि पंजाब के फिरोपुर से मुंबई के बीच चलती है। इस ट्रेन की शुरुआत एक जून 1912 को Ballard Pier Mole स्टेशन से हुई थी। उस समय यह ट्रेन मुंबई से पेशावर तक जाती थी। पेशावर इस समय पाकिस्तान में है। यह भारतीय रेल की सबसे पुरानी ट्रेन है जो आज भी चल रही है।
पंजाब मेल को अंग्रेजी सरकार ने एक जून 1912 को चलाया था। तब यह ट्रेन बंबई के बंदरगाह के पास स्थित स्टेशन बलार्ड पियर मोल नाम के स्टेशन से चली थी। उस समय यह ट्रेन पेशावर तक जाती थी। देश के बंटवारे के बाद पेशावर पाकिस्तान में चला गया। उसके बाद यह ट्रेन पंजाब के फिरोजपुर से मुंबई तक चलने लगी।
दो साल में ही बदल गया शुरुआती स्टेशन और नाम
इस ट्रेन को पहले बलार्ड पियर मोल स्टेशन से चलाया गया था। लेकिन बाद में इसे ऑपरेशनल वजहों से 1914 में इसे बॉम्बे वीटी (Bombay VT) या विक्टोरिया टर्मिनस ट्रांसफर कर दिया गया। आजकल इसी स्टेशन का नाम बदल कर छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस कर दिया गया है। इस ट्रेन का नाम भी बदल कर पंजाब मेल कर दिया गया।
शुरू में सिर्फ साहबों के लिए
इस ट्रेन में पहले सिर्फ गोरे साहबों को चढ़ने की अनुमति थी। दरअसल, उस समय भारत में पोस्टेड ब्रिटिश राज के अधिकारी पी एंड ओ स्टीमर मेल में ब्रिटेन से अपने परिवार के साथ यात्रा करते थे। साउथेम्प्टन और बॉम्बे के बीच स्टीमर यात्रा तेरह दिनों में खत्म होती थी। ब्रिटिश अधिकारियों के पास ब्रिटेन से बंबई की अपनी यात्रा के साथ-साथ भारत मे अपनी पोस्टिंग के स्थान तक जाने के लिए रेल से अपनी अंतर्देशीय यात्रा के लिए संयुक्त टिकट रहते थे। इसलिए वे जहाज से मुम्बई उतरने के बाद, आगे मद्रास, कलकत्ता या दिल्ली के लिए जाने वाली ट्रेनों में सवार हो कर आगे बढ़ते थे।
बाद में सेकेंड और थर्ड क्लास के डिब्बे भी जुड़े
जब यह ट्रेन शुरू हुई थी तो इसमें सिर्फ फर्स्ट क्लास के डिब्बे हुआ करते थे। उन डिब्बों में भी सिर्फ गोरे साहबों को ही चढ़ने की अनुमति थी। बाद में इस ट्रेन में निचले दर्जे के डिब्बे, मतलब कि सेकेंड क्लास और थर्ड क्लास के डिब्बे भी जोड़े गए। इसके बाद देशी लोगों को भी इस ट्रेन में चढ़ने की अनुमित मिली।
समय में कोई बदलाव नहीं
साल 1914 में बॉम्बे से दल्ली का GIP route from करीब 1,541 km का था। इस दूरी को तय करने में पंजाब मेल को 29 घंटे 30 मिनट लगते थे। 1920s में स्टॉपेज की संख्या बढ़ कर 18 होने के बावजूद समय घट कर 27 घंटे 10 मिनट रह गया। लेकिन साल 1972 में यह समय फर बढ़ कर 29 घंटे पर पहुंच गया।
1980 में लगे इलेक्ट्रिक इंजन
1970 के दशक के अंतिम साल में इसमें इलेक्ट्रिक इंजन जोड़ा गया। शुरू में WCAM/1 dual current locomotive लगाया गया जो कि बॉम्बे से भुसावल तक आता था। फिर इसे धीरे धीरे आगे बढ़ाया गया। अब तो इस ट्रेन की पूरी जर्नी में इलेक्ट्रिक इंजन ही लगाया जाता है।
शुरु में स्टीम, बाद में डीजल
इस ट्रेन की शुरुआत स्टीम इंजन से हुई थी। 1945 में इसे एयर कंडीशन डिब्बा जोड़ा गया। शुरू में इस ट्रेन में बॉम्बे से झांसी के लिए डीजल इंजन लगाया जाता था। फिर इसे दिल्ली तक बढ़ाया गया। एक मई 1976 से इस ट्रेन में पूरी जर्नी के लिए डीजल इंजन लगाए गए। इसमें डिब्बों की संख्या भी 12 से बढ़ा कर 15 कर दी गई।
उस समय की सबसे तेज चलने वाली ट्रेन थी
आज की तारीख में भारतीय रेल की सबसे तेज चलने वाली ट्रेन भले ही वंदे भारत एक्सप्रेस हो। लेकिन जब पंजाब मेल चली थी, उस समय यह देश की सबसे तेज गति की ट्रेन (The fastest train in British India) थी। इस ट्रेन की अलग शान हुआ करती थी। यह ट्रेन उन अंग्रेजों के बीच बेहद लोकप्रिय थी जो इंग्लैंड से पानी के जहाज से मुंबई उतरते थे और फिर ट्रेन से दिल्ली या लाहौर जाते थे।
पूरे हुए 111 गौरवशाली वर्ष
पंजाब मेल ने गौरवशाली 111 वर्ष पूरे कर लिए हैं। आज इस ट्रेन ने 112 वें वर्ष में कदम रख दिया है। इसकी शुरुआत बंबई के बंदरगाह के पास स्थित स्टेशन बलार्ड पियर मोल नाम के स्टेशन से हुई थी। उसके बाद इटारसी, आगरा, दल्ली और लाहौर होते हुए पेशावर कैंट तक जाती थी। उस समय इसका नाम पंजाब लिमिटेड (Punjab Limited) था।
लॉकडाउन में बंद हुई थी यात्रा
22 मार्च, 2020 से कोविड -19 लॉकडाउन के दौरान सभी यात्री ट्रेन सेवाओं को बन्द कर दिया गया था। उस दौरान पंजाब मेल के पहिये भी थम गए थे। अनलॉक के बाद 1.5.2020 से इसे स्पेशल ट्रेन के रूप में फिर से शुरू किया गया। दिनांक 1.12.2020 से पंजाब मेल स्पेशल ने एलएचबी कोचों के साथ अपनी यात्रा शुरू की है। इस गाड़ी की नियमित सेवा 15.11.2021 से शुरु की गई।