महासमुंद : मुख्यमंत्री श्री बघेल 21 मई को गोधन न्याय योजना के हितग्राहियों को राशि का ऑनलाईन अंतरण करेंगे…
Last Updated on 2 years by City Hot News | Published: May 20, 2023
- ज़िले के 11 हज़ार 512 क्विंटल गोबर के एवज में ग्रामीण पशुपालकों को 23 लाख रुपये बैंक खातों में आयेंगे
- ज़िले में अब तक इस योजना में गोबर ख़रीदी का 11 करोड़ 66 लाख 14 हज़ार 803 का भुगतान किया जा चुका
महासमुंद (CITY HOT NEWS)//
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल कल रविवार 21 मई दुर्ग जिले के सांकरा पाटन में आयोजित हो रहे भरोसे के सम्मेलन में गोधन न्याय योजना के प्रदेश के हितग्राहियों को 13 करोड़ 57 लाख रूपए की राशि का ऑनलाईन अंतरण करेंगे। जिसमें 01 मई से 15 मई तक गौठानों में क्रय किए गए 1.98 लाख क्विंटल गोबर के एवज में ग्रामीण पशुपालकों को 3.95 करोड़ रूपए तथा गौठान समितियों को 5.66 करोड़ एवं स्व-सहायता समूहों को 3.96 करोड़ रूपए की लाभांश राशि शामिल है।
महासमुंद ज़िले के पशुपालकों ने 01 मई से 15 मई तक गौठानों में 11512.18 (1151218 किलो) गोबर बेचा था। ज़िले के इन सभी पशुपालकों के बैंक खातों में कुल 2302436 रुपये अंतरित होंगे। महासमुंद ज़िले में 564 गौठानों में 561 गौठान सक्रिय हैं। इनमें 17566 गोबर विक्रेता है। गौरतलब है कि गोधन न्याय योजना के तहत ज़िले में 30 अप्रैल 2023 की स्थिति मेंं गोबर विक्रेताओं से 5,83,074.01 से क्विंटल गोबर ख़रीदी कर उन्हें 11 करोड़ 66 लाख 14 हज़ार 803 का भुगतान किया जा चुका हैं। 21 मई को 2302436 रूपए का भुगतान होने के बाद यह आंकड़ा बढ़कर 11 करोड़ 89 लाख 17 हज़ार 239 रूपए हो जाएगा। छत्तीसगढ़ शासन की सर्वाधिक लोकप्रिय योजनाओं में से एक गोधन न्याय योजना की शुरूआत 20 जुलाई 2020 हरेली पर्व से हुई थी। इस योजना के तहत गौठानों में ग्रामीण पशुपालकों से 2 रूपए किलो में गोबर की खरीदी तथा 4 रूपए लीटर में गौमूत्र की खरीदी की जा रही है।
महासमुंद ज़िले में सुराजी गांव योजना के गरूवा घटक के तहत गांवों में 564 गौठान स्वीकृत किए गए हैं, जिसमें से 561 गौठान निर्मित एवं संचालित है। संचालित गौठानों में 30 अप्रैल 2023 की स्थिति में 5,83,074.01 क्विंटल गोबर क्रय किया गया है, जिसमें गोबर विक्रेताओं को 11 करोड़ 66 लाख 14 हज़ार 803 का भुगतान किया जा चुका हैं।
पूरे छत्तीसगढ़ की बात करें तो गोधन न्याय योजना से 3 लाख 41 हजार 713 पशुपालक ग्रामीण लाभान्वित हो रहे है, जिसमें 46.51 प्रतिशत महिलाएं हैं। इस योजना से भूमिहीन ग्रामीणों को भी बड़ा सहारा मिला है। लगभग 2 लाख भूमिहीन परिवार के लोग भी गौठानों में गोबर की बिक्री और रोजगार हासिल कर अपनी आजीविका चलाने में सक्षम हुए हैं।