रायपुर : धान की फसल में तना छेदक, बंकी और झुलसा जैसे बीमारियों से बचाव के लिए किसानों को कृषि वैज्ञानिकों की सलाह
Last Updated on 2 months by City Hot News | Published: September 20, 2024
रायपुर (CITY HOT NEWS)//
छत्तीसगढ़ में चालू खरीफ सीजन में अब तक 48.16 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में विभिन्न फसलों की बोनी हो चुकी हैं। जबकि राज्य सरकार द्वारा इस सीजन में 48.63 लाख बोनी का लक्ष्य रखा गया है। इनमें प्रमुख रूप से धान की फसल की बोनी जाती है। इस साल अच्छी बारिश हुई हैं। लेकिन अच्छी बारिश होने के बावजूद, हाल के दिनों में तेज धूप और बदलते मौसम के कारण कुछ जिलों में धान की फसल में तना छेदक, बंकी और झुलसा जैसी बीमारियों के लक्षण सामने आ रहे हैं। कृषि विभाग ने किसानों को इन बीमारियों से बचाव के लिए कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं।
कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि तना छेदक से बचाव के लिए किसान फेरोमोन ट्रैप और लाइट ट्रैप का इस्तेमाल कर सकते हैं। भूरा माहो कीट के नियंत्रण के लिए फोरेट का उपयोग न करने की सलाह दी गई है। यदि कीट प्रकोप गंभीर हो जाता है, तो इमिडाक्लोप्रिड या इथीप्रोप$इमिडाक्लोप्रिड दवाओं का उपयोग किया जा सकता है।
धान की फसल में झुलसा रोग के लक्षण दिखाई देने पर ट्राइसाइक्लोजोल, आइसोप्रोथियोलेन, या टेबुकोनाजोल जैसी फफूंदनाशक दवाओं का छिड़काव करने की सलाह दी गई है। छिड़काव दोपहर 3 बजे के बाद करने पर यह अधिक प्रभावी होगा, और 10 से 15 दिन के अंतराल पर इसे दोहराने की आवश्यकता होगी।
जीवाणु जनित झुलसा (बहरीपान) रोग के लक्षण दिखने पर खेत से पानी निकालकर 3-4 दिन तक खुला छोड़ने और 25 किलो पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करने की सलाह दी गई है। शीथ ब्लाइट रोग के लिए हेक्साकोनाजोल का छिड़काव उपयोगी साबित हो सकता है।
कृषि विभाग ने किसानों को सलाह दी है कि दलहनी और तिलहनी फसलों में जल निकासी का प्रबंधन सही तरीके से करें और फसल में कीट और बीमारियों की सतत निगरानी बनाए रखें। किसानों को धान की फसल में रोग और कीटों से बचाव के लिए आवश्यक जानकारी और मार्गदर्शन देने के लिए मैदानी अमलों को सक्रिय किया गया है। किसान अधिक जानकारी के लिए अपने नजदीकी ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी या कृषि विभाग से संपर्क कर सकते हैं।