बिन ब्याही मां के बेटे को 29 साल बाद मिला न्याय:: हाईकोर्ट ने कहा- जैविक पिता की संपत्ति पर बेटे का कानूनी अधिकार…

Last Updated on 3 months by City Hot News | Published: August 20, 2024

बिलासपुर।। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में बिन ब्याही मां के बेटे को जन्म के 29 साल बाद उसका हक दिलाया है। हाईकोर्ट के जस्टिस गौमत भादुड़ी और जस्टिस रजनी दुबे की डिवीजन बेंच ने वैध पुत्र मानते हुए उसे जैविक पिता की संपत्ति सहित सभी लाभ लेने का अधिकारी बताया है। हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के आदेश को कानून के अनुरूप न होने के कारण खारिज कर दिया है।

दरअसल, सूरजपुर जिले में रहने वाले 29 वर्षीय युवक ने अपने जैविक पिता से भरण पोषण और उनकी सम्पति में हक़ दिलाने फैमिली कोर्ट में परिवाद प्रस्तुत किया था। सुनवाई के बाद फैमिली कोर्ट ने परिवाद को खारिज कर दिया, जिसके बाद युवक ने न्याय के लिए फैमिली कोर्ट के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की।

गर्भपात कराने के लिए दबाव बनाया

इसमें कहा गया कि उसके जैविक पिता और मां पड़ोस में रहते थे, तब दोनों के बीच प्रेम संबंध हो गया। उसकी मां गर्भवती हो गई। पिता ने गर्भपात कराने के लिए दबाव बनाया तो मां ने इनकार कर दिया। साथ ही मामले की रिपोर्ट दर्ज करा दी, जिसके बाद नवंबर 1995 को लड़के का जन्म हुआ। इस दौरान वह अपनी मां के साथ रहा।

फैमिली कोर्ट ने कहा- वैवाहिक पक्ष के दायरे में होता है संपत्ति की घोषणा

युवक की मां ने स्वयं और बच्चे के भरण पोषण के लिए परिवार न्यायालय में प्रकरण लगाया। फैमिली कोर्ट ने संपत्ति के अधिकारों की घोषणा वैवाहिक पक्ष के दायरे में न होने के कारण इसे बनाए रखने योग्य नहीं माना था। इस निर्णय के खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट में अपील की।

हाईकोर्ट ने कहा- जैविक पिता की संपत्ति पर बेटे का कानूनी अधिकार

इधर अप्रैल, 2017 में युवक जब बीमार हो गया। तब उसे आर्थिक संकटों का सामना करना पड़ा। इसके चलते वह अपने जैविक पिता के घर जाकर इलाज के लिए आर्थिक मदद मांगी, लेकिन पिता ने उसे बेटा मानने से इनकार करते हुए पैसे देने से मना कर दिया। इससे नाराज होकर युवक ने अपने जैविक पिता की संपत्ति पर दावा पेश किया था।