रायपुर में बावली के भीतर हनुमान की आकृति दिखी: दर्शन करने उमड़ी भीड़, नेता भी पहुंचे; 500 साल पुराना है कुएं का इतिहास…

Last Updated on 2 years by City Hot News | Published: April 22, 2023

रायपुर// रायपुर के एक कुएं को साफ किया जा रहा था। तभी अचानक दीवार पर एक आकृति दिखाई दी। ऊपर की ओर लंबी पूंछ थी, हाथ पैर दिख रहे थे, वैसे ही जैसे भगवान बजरंग बली के होते हैं। इसके बाद भीड़ जय श्री राम के नारे, लगाने लगी। तस्वीरें खींचने लगी।

शनिवार को भगवान बजरंग बली की दोपहर के वक्त विशेष आरती की गई और मंदिर आ रहे लोगों को प्रसाद बांटा गया।

सोशल मीडिया पर तस्वीरें वायरल हुईं और मंदिर में लोगों की भीड़ लग गई। शनिवार को इसी वजह से मंदिर में विशेष पूजन का कार्यक्रम किया गया।

इस स्वरूप में बावली के भीतर दिखी आकृति।

इस स्वरूप में बावली के भीतर दिखी आकृति।

मामला रायपुर के पुरानी बस्ती स्थित बावली वाले हनुमान मंदिर से जुड़ा है। इस मंदिर के नाम के पीछे भी आस्था से जुड़ी मान्यताएं हैं। क्षेत्र के पार्षद जितेंद्र अग्रवाल ने बताया कि करीब 100-150 सालों से इस मंदिर की बावली की सफाई नहीं हाे पाई थी, हमने इसकी सफाई करवाई तो भीतर बावली( कुएं का बड़ा रूप) की दीवार पर वानर स्वरूप की आकृति दिखी, अब इस वजह से मंदिर में भक्त पहुंच रहे हैं। शनिवार को सुबह 4 बजे से लोगों का तांता मंदिर में लगता रहा।

प्रमोद दुबे भी आकृति देख हैरान थे।

प्रमोद दुबे भी आकृति देख हैरान थे।

प्रमोद दुबे ने किए दर्शन
रायपुर नगर निगम के सभापति प्रमोद दुबे भी मंदिर परिसर में पहुंचे और बावली में नजर आ रही भगवान बजरंगबली की आकृति को प्रणाम किया। शनिवार को चूंकि भगवान परशूराम की जयंती और अक्षय तृतिया का त्योहार भी रहा, मंदिर में भगवान बजरंग बली की दोपहर के वक्त विशेष आरती की गई और मंदिर आ रहे लोगों को प्रसाद बांटा गया।

बावली की पूजा की गई।

बावली की पूजा की गई।

क्यों कहा जाता है बावली वाले हनुमान मंदिर
रायपुर शहर में कुएं करीब-करीब खत्म हो चुके हैं। पुरानी बस्ती का मंदिर इकलौता ऐसा मंदिर है, जहां प्राचीन बावली है। बताया जाता है कि ये करीब 500 साल पुरानी बावली है। शुरुआत में जब पानी के स्त्रोत के लिए इस जगह पर खुदाई की गई तो भगवान बजरंग बली की तीन प्रतिमाएं निकलीं, इनमें से एक प्रतिमा बावली के बगल में ही स्थापित की गई है। इसी मंदिर का नाम बावली वाले हनुमान है, जहां फिर से बावली में आकृति दिखी है, दूसरी प्रतिमा तीन किलोमीटर दूर दूधाधारी मठ में और तीसरी पांच किलोमीटर दूर गुढ़ियारी इलाके के मच्छी तालाब के किनारे स्थापित की गई है, ये शहर के पुराने मंदिर हैं, जहां हर मंगलवार को सैंकड़ों भक्त दर्शन करने पहुंचते हैं।

बावली में कछुए भी रहते हैं।

बावली में कछुए भी रहते हैं।

सपने में दिए थे भगवान ने दर्शन, प्रचलित हैं कई रोचक मान्यताएं
पुरानी बस्ती के नागरीदास मठ और जैतूसाव मठ के बीच 600 साल से भी अधिक पुरानी बावली वाले हनुमान मंदिर के पुजारी दिनेश शर्मा ने बताया कि यहां मौजूद भगवान के प्रति लोगों में गजब की आस्था है, मंदिर आने वाले श्रद्धालू खुद अपने अनुभवाें के बारे में कहते हैं कि यहां दर्शन के बाद उनकी मनोकामनाएं पूरी हुई हैं।

स्थानीय रहवासी देवेंद्र शर्मा ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि मेरे सपने में भगवान बजरंग बली दिखे थे। कुछ दिन बाद मुझे मंदिर में लंबी पूंछ दिखी थी, जैसे किसी विशाल वानर की हो, मैं उस वक्त भाव विभोर हो गया था। मंदिर के बारे में स्थानीय लोगों में एक किस्सा प्रचलित है कि बावली के पास आकर एक गाय खड़ी होती थी, उसके थन से अपने आप दूध निकलना शुरू हो जाता था।

मंदिर में शनिवार को दिनभर भक्त पहुंचते रहे।

मंदिर में शनिवार को दिनभर भक्त पहुंचते रहे।

गांव वालों ने जब देखा तो बावली के भीतर घुसे, जहां तीन प्रतिमाएं दिखाई दीं। उन प्रतिमाओं को निकाला गया तो वे हनुमानजी की थीं। गांव वालों ने एक प्रतिमा बावली के बगल में ही छोटा सा मंदिर बनवाकर स्थापित कर दिया। कालांतर में इस मंदिर का विस्तार होता गया और आज यहां भव्य मंदिर बन चुका है, जो बावली वाले हनुमान मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है।

हनुमान जी की आरती में शामिल हुए भक्त।

हनुमान जी की आरती में शामिल हुए भक्त।

कभी सूखती नहीं ये बावली
रायपुर के ऐसे इलाकों में पुरानी बस्ती का हिस्सा भी शामिल हैं, जहां गर्मियों के दिनों में टैंकर से पानी की सप्लाई होती है। ग्राउंड वॉटर लेवल नीचे चला जाता है। मगर मुहल्ले में बनी इस बावली का पानी कभी नहीं सूखा। इस बार जब बावली की सफाई की गई तो कई मोटर लगाकर बावली के पानी को बाहर निकाला गया। रात को सफाई की गई, फिर सुबह पानी लबालब देखने को मिला। बावली में भीतर कई सीढ़ियां बनी हैं, अब तब बावली के पूरी तरह भीतर नहीं देखा जा सका है। बावली में कई कछुए हैं। बड़ी मछलियां भी भीतर रहती हैं। लोगों ने बताया कि पुराने समय में इस बावली का पानी पीने में भी इस्तेमाल होता था।

मंदिर में बावली से निकली प्रतिमा स्थापित है।

मंदिर में बावली से निकली प्रतिमा स्थापित है।

यही प्रतिमा सालों पहले बावली से निकली।

यही प्रतिमा सालों पहले बावली से निकली।

इस तरह की सीढ़ियां कई फीट नीचे तक हैं।

इस तरह की सीढ़ियां कई फीट नीचे तक हैं।