RBI: बढ़ते ब्याज दरें और उच्च महंगाई से असुरक्षित कर्ज डूबने का खतरा बढ़ा, आरबीआई ने बैंकों को किया आगाह…

Last Updated on 2 years by City Hot News | Published: April 22, 2023

  • असुरक्षित कर्ज में ज्यादातर पर्सनल और क्रेडिट कार्ड के कर्ज आते हैं। इनके लिए बैंक कोई भी  गिरवी नहीं रखते हैं। इसलिए इस तरह के कर्ज पर ज्यादा जोखिम की आशंका बनी रहती है।

नई दिल्ली।// बढ़ती ब्याज दरें और उच्च महंगाई दर से असुरक्षित कर्ज पर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंकों को आगाह किया है। इसने कहा है कि आने वाले समय में इस तरह के कर्ज पर डिफॉल्ट का खतरा बढ़ सकता है। पिछले माह बैंकों के साथ  बैठक में केंद्रीय बैंक ने यह निर्देश दिया था।

असुरक्षित कर्ज में ज्यादातर पर्सनल और क्रेडिट कार्ड के कर्ज आते हैं। इनके लिए बैंक कोई भी  गिरवी नहीं रखते हैं। इसलिए इस तरह के कर्ज पर ज्यादा जोखिम की आशंका बनी रहती है। कोरोना कम होने से अब बैंक असुरक्षित कर्ज बांटने में फिर तेजी दिखाने लगे हैं। क्रेडिट कार्ड पर बैंकों ने जनवरी, 2023 तक कुल 1.87 लाख करोड़ रुपये का कर्ज दिया है। जनवरी, 2022 में यह 1.53 लाख करोड़ रुपये था।  एक साल में इसमें 34 हजार करोड़ की बढ़त आई है। 

पर्सनल लोन में हिस्सा

सेगमेंट             कर्ज         वृद्धि
हाउसिंग            19.10       15%
क्रेडिट कार्ड       1.87          29.2%
वाहन                 4.96         23.4%
अन्य लोन           10.78        25.8%
कर्ज की रकम लाख करोड़ रुपये में
कंज्यूमर ड्यूरेबल 37,011 करोड़ 39.4%


एनपीए पर पड़ सकता है असर


सरकारी बैंकों में ज्यादा धोखाधड़ी
एक निजी बैंक के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, असुरक्षित कर्ज देने में जोखिम आरबीआई के रडार पर रहा है। आरबीआई निजी तौर पर बैंकों को इस तरह के जोखिमों के प्रति आगाह करता रहा है। उन्हें अंडरराइटिंग प्रैक्टिस को कड़ा करने के लिए कहा है। ताजा आंकड़ों के अनुसार, सितंबर, 2022 तक सभी उत्पाद श्रेणियों में कुल कंज्यूमर क्रेडिट में धोखाधड़ी का स्तर सरकारी बैंकों के लिए 4.3 फीसदी और निजी बैंकों के लिए 1.5 फीसदी था। एक साल पहले यह क्रमशः 4.8 फीसदी और 2.4 फीसदी पर था। आक्रामक उधार देने से ज्यादा डिफॉल्ट हो सकता है। अगर चेक और बैलेंस बनाए नहीं रखा जाता है तो संपत्ति की गुणवत्ता में गिरावट आ सकती है।

और बढ़ सकती है दर
बैंकरों का कहना है कि आरबीआई इस बात को लेकर चिंतित है कि ब्याज दरों में तेज वृद्धि कर्ज डिफॉल्ट को और बढ़ावा दे सकती है। इससे अधिक जोखिम पैदा होने की आशंका है। पिछले साल मई से इस साल फरवरी तक आरबीआई ने छह बार में रेपो दर में 2.5 फीसदी की वृद्धि की है।

nआरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने इस महीने की शुरुआत में रेपो दर को 6.50 फीसदी पर स्थिर रखा था, पर एमपीसी की हालिया बैठक के ब्योरे से पता चला कि सदस्य निकट भविष्य में महंगाई के जोखिमों को लेकर चिंतित थे। इससे अनुमान है कि आगे नीतिगत दरें और बढ़ सकती हैं।