रायपुर : शरारत मेरे हिस्से में नहीं आई, परिस्थितियां अलग थीं, बच्चों को शरारत जरूर करनी चाहिए- मुख्यमंत्री श्री साय
Last Updated on 5 months by City Hot News | Published: June 21, 2024
- धमतरी जिले में जिला प्रशासन द्वारा आयोजित मिशन अव्वल, मेधावी विद्यार्थी सम्मान समारोह में बच्चों की जिज्ञासा का मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने किया समाधान
- कहा पढ़ने के लिए गांव-शहर का अंतर जरूरी नहीं, केवल दृढ़ इच्छा शक्ति और कड़ी मेहनत चाहिए
रायपुर(CITY HOT NEWS)//
शरारत मेरे हिस्से में नहीं आई लेकिन बच्चों को शरारत जरूर करनी चाहिए। साथ ही अपने सपने पूरे करने के लिए दृढ़ इच्छा शक्ति के साथ कड़ी मेहनत करनी चाहिए। इसके लिए यह मायने नहीं रहता कि आप गांव के स्कूल से पढ़ रहे हैं या शहर के स्कूल से। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने यहां धमतरी जिले में जिला प्रशासन द्वारा आयोजित मिशन अव्वल, मेधावी विद्यार्थी सम्मान समारोह में बच्चों की जिज्ञासाओं का समाधान करते हुए यह बातें कहीं। कुरुद से आई वेदिका देवांगन, कक्षा दसवीं की छात्रा ने मुख्यमंत्री श्री साय से पूछा कि जैसे सारे बच्चे स्कूल लाइफ में शरारती होते हैं। वैसे ही आप भी शरारती थे क्या।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वेदिका आपने बहुत अच्छा प्रश्न किया। शरारत तो बचपन में करते ही हैं लेकिन मेरे साथ अलग परिस्थितियां थीं। दस साल की उम्र में ही पिता का साया उठ गया था। परिवार में मैं सबसे बड़ा बेटा था, उस समय मैं चौथी कक्षा में था। पूरे परिवार का भार मुझ पर आ गया। खेतीबाड़ी देखना, समाज देखना, घर वालों को देखना, यह सब मेरे जिम्मे आया। पढ़ाई तो की, शरारत करने का मौका नहीं मिल पाया। बचपन से ही जिम्मेदारी संभाली इसलिए परिस्थिति अलग थी। हमेशा सोचता था कि पढ़ाई कैसे करूं, घर को कैसे देखूं। मेरा छोटा भाई एक साल का ही था। सबको संभालना था, लेकिन आपसे कहता हूँ कि शरारत भी जरूर करें, यह सब बचपन की यादें रहती हैं।
एकलव्य विद्यालय की सविता सोरी ने मुख्यमंत्री से पूछा कि क्या यह सच है कि गांव के स्कूल पढ़ाई में शहर से पीछे होते हैं। आप भी तो गांव से हैं क्या यह सही है।
मुख्यमंत्री श्री साय ने सविता को उत्तर देते हुए कहा कि मैं इस बात से सहमत नहीं हूँ कि गांव के स्कूल पढ़ाई में शहरों से पीछे होते हैं। गांव और शहर की बात नहीं है। जहां भी शिक्षक अच्छे मिल जाते हैं वहां पढ़ाई का स्तर अच्छा हो जाता है। जैसा मैंने अपने उद्बोधन में कहा कि शिक्षक राष्ट्र निर्माता हैं। किसी स्कूल में एक शिक्षक भी बहुत अच्छे हैं तो पूरे स्कूल का शैक्षणिक स्तर अच्छा हो जाता है। हमारे समय में मैट्रिक होती थी। गांव के स्कूल में पढ़ने के बावजूद भी मैंने अपने स्कूली जीवन में दसवी कक्षा तक अनेक बार पूर्णांक लाये हैं। दीक्षा साहू ने अपने प्रश्न में पूछा कि मुझे सिविल सेवा में जाना है मुझे क्या करना चाहिए। मुख्यमंत्री ने दीक्षा को कहा कि आपकी इच्छा शक्ति दृढ़ होनी चाहिए और मेहनत खूब करनी चाहिए। आपको निश्चित ही अच्छा परिणाम मिलेगा।