Ayodhya Ram Mandir: रामलला के सूर्य तिलक का ट्रायल: तीसरी मंजिल पर सिस्टम, लेंस और पीतल के पाइप से पहुंचीं किरणें; रामनवमी पर होगा तिलक…

Last Updated on 1 month by City Hot News | Published: April 13, 2024

Surya Tilak विहिप नेता गोपाल के माध्यम से दैनिक जागरण ने इस ट्रायल की सफलता की जानकारी दस अप्रैल के अंक में ही दे दी थी। कुछ दिनों से वैज्ञानिकों का दल इसके उपकरणों को मंदिर में संयोजित कर रहा था। अब 17 अप्रैल को भी इसी तरह रामलला के ललाट पर किरणें पड़ेंगी और रामलला का सूर्य तिलक होगा। एक मिनट 19 सेकेंड के वीडियो में रामंमदिर के मुख्य अर्चक आचार्य सत्येंद्र दास रामलला की आरती उतार रहे हैं। इसी बीच सूर्य की किरणें रामलला के मुखमंडल को प्रकाशित करती नजर आ रही हैं। पार्श्व में बज रहा राम सियाराम, सियाराम जय जय राम का संगीत आनंदित कर रहा है। बताया गया है कि रामनवमी से पहले रविवार को भी वैज्ञानिक सूर्य तिलक का एक और ट्रायल करेंगे।

अयोध्या// अयोध्या में शुक्रवार को राम जन्मभूमि मंदिर में रामलला के सूर्य तिलक का सफल ट्रायल किया गया। दर्पण के जरिए भगवान के मस्तक पर सूर्य की किरण डाली गई।

राम जन्मभूमि ट्रस्ट ने बताया कि शुक्रवार को दोपहर 12 बजे रामलला के सूर्य तिलक का ट्रायल किया गया। - Dainik Bhaskar

राम जन्मभूमि ट्रस्ट ने बताया कि शुक्रवार को दोपहर 12 बजे रामलला के सूर्य तिलक का ट्रायल किया गया।

राम जन्मभूमि ट्रस्ट ने बताया कि वैज्ञानिकों की मौजूदगी में शुक्रवार दोपहर 12 बजे सूर्य तिलक किया गया। इस सूर्य तिलक के एक मिनट 19 सेकेंड के वीडियो में रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास आरती उतार रहे हैं। इसी बीच सूर्य की किरणें रामलला के मस्तक पर तिलक करती हैं।

17 अप्रैल को रामनवमी के मौके पर दोपहर ठीक 12 बजे रामलला का सूर्य तिलक किया जाएगा।

सूर्य तिलक के ट्रायल का विजुअल…

शुक्रवार दोपहर में सूर्य तिलक के दौरान प्रभु रामलला की आरती उतारी गई।

शुक्रवार दोपहर में सूर्य तिलक के दौरान प्रभु रामलला की आरती उतारी गई।

सूर्य तिलक ट्रॉयल के दौरान गर्भगृह की लाइट को कुछ देर के लिए बंद कर दिया गया था।

सूर्य तिलक ट्रॉयल के दौरान गर्भगृह की लाइट को कुछ देर के लिए बंद कर दिया गया था।

मुख्य पुजारी बोले- राम जन्म पर एक महीने अयोध्या में रुके थे सूर्य
आचार्य सत्येंद्र दास ने बताया कि सूर्य तिलक का दृश्य अद्भुत था। वैज्ञानिकों ने जिस तरह से प्रयास किया, वह बहुत सराहनीय है। त्रेतायुग में भी जब प्रभु राम ने जन्म लिया थे तो उस दौरान सूर्य देव 1 महीने तक अयोध्या में रुके थे। त्रेतायुग का वह दृश्य अब कलयुग में भी साकार हो रहा है।

CBRI ने बनाया सूर्य तिलक का सिस्टम
IIT रुड़की के सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (CBRI) ने यह सिस्टम बनाया है। प्रोजेक्ट के वैज्ञानिक देवदत्त घोष के मुताबिक, यह सूर्य के रास्ता बदलने के सिद्धांतों पर आधारित है। इसमें एक रिफ्लेक्टर, 2 दर्पण, 3 लेंस, पीतल पाइप से किरणें मस्तक तक पहुंचाई गईं।

CBRI के वैज्ञानिक डॉ. प्रदीप चौहान ने बताया कि रामनवमी की तारीख चंद्र कैलेंडर से तय होती है। सूर्य तिलक तय समय पर हो, इसीलिए सिस्टम में 19 गियर लगाए गए हैं, जो सेकंड्स में दर्पण और लेंस पर किरणों की चाल बदलेंगे। बेंगलुरु की कंपनी ऑप्टिका ने लेंस और पीतल के पाइप बनाए हैं। प्रोजेक्ट में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स भी शामिल है।

50 क्विंटल फूलों से सजेगी राम जन्मभूमि, हेलिकॉप्टर से बरसाएंगे फूल

  • रामनवमी पर करीब 50 क्विंटल​ फूलों से राम मंदिर और 70 एकड़ में फैले परिसर को सजाया जाएगा। राम मंदिर ट्रस्ट के सदस्य डॉ. अनिल मिश्रा ने बतयाा कि देश और विदेश के करीब 20 प्रकार से फूल इस्तेमाल किए जाएंगे।
  • फूल बेंगलुरु और दिल्ली से मंगाए गए हैं। ​​​​​राम मंदिर के साथ ही कनक भवन और हनुमानगढ़ी को भी फूलों से सजाया जाएगा।
  • प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दिन जिस तरह हेलिकॉप्टर से पुष्प वर्षा की गई थी, उसी तरह रामनवमी पर हेलिकॉप्टर से गुलाब की पंखुड़ियों की वर्षा राम भक्तों पर की जाएगी।

इस तरह तैयार हुआ पूरा मैकेनिज्म
सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीबीआरआई) रुड़की के वैज्ञानिकों की एक टीम ने सूर्य तिलक मैकेनिज्म को तैयार किया है। इसके डिजाइन को तैयार करने में टीम को पूरे दो साल लग गए थे। 2021 में राम मंदिर के डिजाइन पर काम शुरू हुआ था। सीबीआरआई के वैज्ञानिकों की एक टीम ने सूर्य तिलक मैकेनिज्म को इस तरह से डिजाइन किया है कि हर साल राम नवमी के दिन दोपहर 12 बजे करीब चार मिनट तक सूर्य की किरणें भगवान राम की प्रतिमा के माथे पर पड़ेंगी। इस निर्माण कार्य में सीबीआरआई के साथ सूर्य के पथ को लेकर तकनीकी मदद बेंगलूरु के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (आईआईए) की भी ली गई है। बेंगलूरु की एक कंपनी ऑप्टिका ने लेंस और ब्रास ट्यूब का निर्माण किया है।

मंदिर के गर्भगृह तक लाई जाएंगी सूर्य की किरणें
प्रोजेक्ट सूर्य तिलक में एक गियर बॉक्स, रिफ्लेक्टिव मिरर और लेंस की व्यवस्था इस तरह की गई है कि मंदिर के शिखर के पास तीसरी मंजिल से सूर्य की किरणों को गर्भगृह तक लाया जाएगा। इसमें सूर्य के पथ बदलने के सिद्धांतों का उपयोग किया जाएगा। सीबीआरआई के वैज्ञानिक डॉ. प्रदीप चौहान ने बताया कि, शत प्रतिशत सूर्य तिलक रामलला की मूर्ति के माथे पर अभिषेक करेगा।