छत्तीसगढ़ में जल्द घोषित होंगे मंत्रियों के विभाग: शाह कर रहे हैं मॉनिटरिंग; अनुभवी मंत्रियों को दिए जा सकते हैं पुराने विभाग…
Last Updated on 11 months by City Hot News | Published: December 26, 2023
रायपुर// छत्तीसगढ़ में मंत्रियों के शपथ ग्रहण को 5 दिन बीत चुके हैं, लेकिन विभागों का बंटवारा अभी तक नहीं हुआ है। हालांकि साय कैबिनेट में किसी क्या जिम्मेदारी मिलेगी, इसका अंतिम फैसला दिल्ली में होना है। गृहमंत्री अमित शाह इसकी मॉनिटरिंग कर रहे हैं। माना जा रहा है कि मंगलवार या बुधवार शाम तक ऐलान हो सकता है।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, डिप्टी CM अरुण साव और विजय शर्मा शपथ ग्रहण के बाद ही दिल्ली चले गए थे। वहां अगले दिन 23 दिसंबर को PM नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। सभी नेताओं के बीच काफी देर तक इनके प्रदेश की राजनीति को लेकर चर्चा हुई। मंत्रियों के विभागों को लेकर भी बात हुई थी।
नई दिल्ली में अमित शाह से मुलाकात की थी तीनों नेताओं ने।
विभाग बंटवारे में संतुलन दिखेगा
विष्णुदेव साय सरकार में 9 मंत्रियों के शपथ लेने के बाद अब 12 सदस्यीय मंत्रिमंडल हो गया है। इसमें 2 डिप्टी सीएम भी हैं। भाजपा अपनी सरकार को वन मैन शो की तरह लोगों के बीच प्रोजेक्ट नहीं होने देना चाहती। ऐसे में सत्ता और ताकत का संतुलित बंटवारा विभागों में दिखेगा।
चार पुराने नेताओं बृजमोहन अग्रवाल, केदार कश्यप, दयालदास बघेल और राम विचार नेताम को मंत्रिमंडल में लिया गया है। बाकी सभी मंत्री पद के लिहाज से नए हैं। इसमें सबसे कम उम्र 31 साल की लक्ष्मी राजवाड़े भी हैं जो पहली बार विधायक बनीं हैं। बाकी नेता संगठन में ही सक्रिय रहे हैं।
सीएम के विभागों का दोनों डिप्टी सीएम के बीच हो सकता है बंटवारा।
CM और डिप्टी CM के पास कौन से विभाग होंगे
सीएम साय वित्त और सामान्य प्रशासन विभाग अपने पास रख सकते हैं। पिछले 20 सालों से यह विभाग मुख्यमंत्री के पास ही रहा है। इसके साथ जनसंपर्क, खनिज और ऊर्जा विभाग भी अपने पास रख सकते हैं। हालांकि ऊर्जा और खनिज विभाग दोनों डिप्टी सीएम में बांटे जा सकते हैं।
गृह, जेल विधि विधायी या खनन, ऊर्जा
अरुण साव भाजपा की पिछली सरकार में हाईकोर्ट में बतौर वकील सरकार का पक्ष कई मामलों में रख चुके हैं। चुनावी अभियान में कानून व्यवस्था को लेकर पहली बार बुलडोजर वाले बयान दिए। सरकार बनते ही इसका असर देखने को मिला। माना जा रहा है कि साव को गृह विभाग मिल सकता है। पावर बैलेंस करने के लिए उन्हें ऊर्जा और खनन भी दिया जा सकता है। हालांकि इस विभाग के लिए विजय शर्मा का नाम भी चर्चा में है।
धर्मस्व, संस्कृति, पर्यटन,आवास और पर्यावरण जैसे विभाग
विजय शर्मा प्रदेश सरकार का युवा हिंदू चेहरा हैं, डिप्टी CM हैं। उनकी छवि के मुताबिक ये विभाग उन्हें मिल सकते हैं। आवास के मसले पर विपक्ष में रहते हुए जब आंदोलन हुए थे, तब शर्मा की महत्वपूर्ण भूमिका रही। भाजपा के लिए चुनाव में आवास का मसला महत्वपूर्ण रहा।
अगर पुराने अनुभवों के आधार पर बंटवारा हुआ तो ये सभी विभाग बृजमोहन अग्रवाल को मिल सकते हैं। वे रमन सिंह सरकार में भी इन विभागों के मंत्री रह चुके हैं।
लखनलाल देवांगन मेयर रहें हैं और श्याम बिहारी जायसवाल किसाना आंदोलन से जुड़े रहे।
नगरीय प्रशासन विभाग, ग्रामोद्योग
प्रदेश सरकार के मंत्रियों में लखन लाल देवांगन एक ऐसे नेता हैं, जिन्होंने पार्षद से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की है। कोरबा से लंबे वक्त के बाद भाजपा को जीत दिलाने में इनका हाथ है। महापौर भी रहे हैं। इस विभाग में नए नेताओं को मौका देने की चर्चा है, श्याम बिहारी जायसवाल को भी इस विभाग में लाने की चर्चा है।
कृषि, पशुपालन और जल संसाधन
श्याम बिहारी जायसवाल भाजपा किसान मोर्चा के नेता रहे हैं। विपक्ष में रहते हुए जायसवाल के नेतृत्व में कई किसान आंदोलन किए। इस अनुभव की वजह से उन्हें कृषि मंत्री बनाया जा सकता है। वहीं टंकराम वर्मा रायपुर में ग्रामीण इलाके में सक्रिय राजनीति में रहे। संगठन को मजबूत किया। उन्हें भी ये विभाग दिए जाने की चर्चा है।
लक्ष्मी राजवाड़े को महिला बाल विकास और ओपी चौधरी को उच्च शिक्षा दिया जा सकता है।
महिला बाल विकास और समाज कल्याण विभाग
साय कैबिनेट की अकेली महिला मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े हैं। भाजपा महिला मोर्चा में लम्बे वक्त से काम करती आ रहीं हैं। महिलाओं और बालिकाओं के मसले पर बेहतर काम की उम्मीद के चलते इन्हें महिला बाल विकास विभाग दिया जा सकता है।
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, उच्च शिक्षा, खेल एवं युवा कल्याण
ओपी चौधरी IAS की नौकरी छोड़ राजनीति में आए हैं। छत्तीसगढ़ भाजपा के ऐसे नेता हैं, जिन्हें यूथ पसंद करता है। युवाओं के मसले पर ही इनकी राजनीति अधिक फोकस रही है। अफसर रहते एजुकेशन पर काफी काम किया है। वहीं प्रदेश सरकार में युवा नेता के रूप में दूसरे बड़े चेहरे विजय शर्मा हैं। उन्हें भी इन विभागों से जोड़ा जा सकता है।
केदार कश्यप पहले भी स्कूल शिक्षा मंत्री रह चुके हैं। उन्हें आदिम जाति कल्याण भी दिया जा सकता है। वहीं टनकराम शिक्षक की नौकरी छोड़कर राजनीति में आए हैं।
स्कूल शिक्षा और पीएचई
टंकराम वर्मा शिक्षक रह चुके हैं। केदार कश्यप के स्कूल शिक्षा मंत्री रहते हुए, उनके पीए भी थे। मंत्रियों के काम को समझते हैं। लंबे वक्त से रायपुर के ग्रामीण इलाकों में राजनीतिक रूप से सक्रिय रहे। ग्रामीण पृष्ठभूमि से होने की वजह से उन्हें ये विभाग दिए जा सकते हैं। जबकि केदार कश्यप इन विभागों के मंत्री रहे चुके हैं। अनुभव के आधार पर उन्हें ये जिम्मा दिया जा सकता है।
सीनियर नेताओं को लेकर एक चर्चा ये भी
बृजमोहन अग्रवाल- PWD, राजस्व और आबकारी, संसदीय कार्य
इन्हें PWD, गृह, स्कूल शिक्षा जैसे विभागों को चलाने का लंबा अनुभव रहा है। इस बार बृजमोहन को अगर PWD नहीं तो परिवहन विभाग या आबकारी विभाग दिया जा सकता है। मंत्रिमंडल में नए पुराने चेहरों को लाकर भाजपा ने जो कॉम्बिनेशन दिखाया है, उस हिसाब से प्रमुख विभाग पुराने नेताओं को दिए जा सकते हैं। संसदीय कार्यों का भी अनुभव बृजमोहन अग्रवाल को है। इसलिए वे संसदीय कार्य मंत्री बनाए जा सकते हैं।
केदार कश्यप- वन, आदिम जाति कल्याण विभाग
पिछले दिनों केदार संगठन में अहम पद महामंत्री की जिम्मेदारी पर रहकर चुनावी रणनीतियां बनाते रहे। आदिवासियों का मुद्दा भाजपा के लिए लोकसभा चुनाव के लिहाज से अहम है। इसलिए उन्हें ये विभाग देने की चर्चा है।
रामविचार नेताम – वाणिज्य और उद्योग, श्रम,पंचायत, ग्रामीण विकास विभाग
प्रदेश सरकार में बृजमोहन अग्रवाल की तरह रामविचार नेताम काफी सीनियर नेता हैं। पिछली सरकार में मंत्री रह चुके हैं। इनके अनुभव का फायदा प्रमुख विभागों में मिल सकता है।
दयालदास बघेल – खाद्य आपूर्ति, SC/ST/OBC और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग
प्रदेश की सरकार में इकलौते एससी वर्ग के नेता हैं। रमन कैबिनेट में मंत्री रह चुके हैं। कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे गुरु रुद्र कुमार को हराया। माना जा रहा है कि अनुसूचित जाति-जनजाति विभाग में इन्हें मौका दिया जाएगा।
दिल्ली से लौट कर क्या बोले साव
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, डिप्टी CM अरुण साव और विजय शर्मा शनिवार को दिल्ली में थे। वहां से लौटकर अरुण साव ने मंत्रियों के विभागों पर जवाब देते हुए कहा- ये मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है मंत्रिमंडल का गठन करना और मंत्रियों को विभाग देना, जल्द ही विभागों का आबंटन हो जाएगा।