मल्लिकार्जुन खड़गे करेंगे छत्तीसगढ़ नेता प्रतिपक्ष का फैसला: विधायक दल की बैठक में प्रस्ताव पारित; जवाबी लेटर में बृहस्पत बोले- सिंहदेव-सैलजा हार के जिम्मेदार…

Last Updated on 11 months by City Hot News | Published: December 13, 2023

रायपुर// छत्तीसगढ़ में नेता प्रतिपक्ष का फैसला कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे करेंगे। कांग्रेस विधायक दल की बैठक में ये प्रस्ताव पारित किया गया। भूपेश बघेल ने इसका प्रस्ताव रखा, जिसका समर्थन चरणदास महंत ने किया। बैठक में पार्टी की प्रदेश प्रभारी कुमारी सैलजा, ऑब्जर्वर अजय माकन समेत बड़े नेता मौजूद रहे।

ऑब्जर्वर अजय माकन ने कहा – सभी विधायकों से चर्चा हुई है, सर्वसम्मति से ये फैसला लिया गया है कि नेता प्रतिपक्ष का नाम कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे तय करेंगे। हम दिल्ली में उन्हें अपनी रिपोर्ट सौपेंगे। दूसरी तरफ, बैठक से पहले पूर्व विधायक बृहस्पत सिंह का एक लेटर सामने आया है जिसमें उन्होंने हार के लिए टीएस सिंहदेव को जिम्मेदार ठहराया है। बृहस्पत ने प्रदेश प्रभारी कुमारी सैलजा पर लगाए पुराने आरोप भी दोहराए हैं।

बृहस्पत सिंह ने लेटर में क्या लिखा है…

बृहस्पत सिंह ने PCC के नोटिस का जवाब देते हुए लेटर लिखा है।

बृहस्पत सिंह ने PCC के नोटिस का जवाब देते हुए लेटर लिखा है।

1. हार के लिए टीएस सिंहदेव को बताया जिम्मेदार

  • बृहस्पत सिंह ने लिखा- टीएस सिंहदेव ने पंचायत मंत्री पद से इस्तीफा देते हुए आरोप लगाया था कि सरकार राज्य के 7 लाख PMAY आवास के हितग्राहियों का पैसा नहीं दे रही है, इसलिए मैं इस्तीफा दे रहा हूं।
  • इससे बीजेपी को सरकार को घेरने का मौका मिला।सिंहदेव के इस्तीफे से कांग्रेस को बड़ा नुकसान हुआ और बीजेपी के पक्ष में माहौल बना था।
  • उसी समय पार्टी के प्रदेश प्रभारी को दिल्ली हाईकमान को रिपोर्ट देनी चाहिए थी और कार्रवाई करनी चाहिए थी। ऐसा होता तो शायद विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार नहीं होती। इसके जिम्मेदार टीएस सिंहदेव हैं।

2. सिंहदेव के बयानों से कांग्रेस के विरोध में माहौल बना

  • बृहस्पत सिंह आगे लिखते हैं- खड़गे जी, सोनिया जी, राहुल जी और प्रियंका गांधी ने सभा में कहा था कि छत्तीसगढ़ सरकार बहुत अच्छा काम कर रही है। सरकार ने सभी वादे पूरे किए हैं। इससे कांग्रेस के पक्ष में माहौल बना था।
  • कुछ दिन बाद ही टीएस सिंहदेव ने आलाकमान को चुनौती देते हुए कहा था कि छत्तीसगढ़ में 36 वादे किए गए थे, जिसमें से मात्र 12 वादे पूरे किए गए हैं, बाकी वादे हमारी सरकार ने पूरे नहीं किए हैं।
  • इस बयान के बाद कांग्रेस के विरोध और बीजेपी के पक्ष में माहौल बना। इसकी जानकारी प्रभारी कुमारी सैलजा को फौरन हाईकमान को देनी चाहिए थी, लेकिन उन्होंने नहीं दी।
  • कार्रवाई हुई होती तो चुनाव में कांग्रेस को पराजय नहीं होती। इसके लिए पूरी तरह से प्रदेश प्रभारी और टीएस सिंहदेव दोषी हैं, इसलिए इनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।

3. मोदी की तारीफ पर भी सिंहदेव पर एक्शन नहीं हुआ

  • रायगढ़ में एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान टीएस सिंहदेव ने कहा था कि प्रधानमंत्री ने छत्तीसगढ़ में उम्मीद से ज्यादा सहयोग दिया है। जबकि कांग्रेस हमेशा कहती रही है कि केंद्र गैर बीजेपी सरकारों से सौतेला व्यवहार करता है।
  • सिंहदेव के इस बयान के बाद अगर कुमारी सैलजा ने हाईकमान को अवगत कराया होता और पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए कार्रवाई की होती तो आज फिर कांग्रेस की सरकार होती।
  • इसके लिए प्रदेश प्रभारी कुमारी सैलजा और टीएस सिंहदेव दोषी हैं। इसलिए सैलजो को पद से हटाकर सिंहदेव पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।

4. सिंहदेव गाड़ी चला रहे थे, सैलजा फोटो शूट करा रहीं थी

  • बृहस्पत ने लिखा- सरगुजा संभाग के दौरे में प्रोटोकॉल को ताक पर रखकर डिप्टी सीएम रहे टीएस सिंहदेव गाड़ी चला रहे थे और प्रदेश प्रभारी फोटो शूट करा रहीं थी। इससे लोगों को लगा की सैलजा संभाग को सामंतशाहों के हाथ में सौंपने आई हैं।
  • नतीजा ये हुआ की कार्यकर्ता और मतदाता नाराज हो गए और चुनाव में सभी 14 सीटों पर परिणाम बीजेपी के पक्ष में चला गया।
  • इसके लिए टीएस सिंहदेव और कुमारी सैलजा जिम्मेदार हैं, जिनका फोटो और वीडियो देखा जा सकता है।

5. सरकार को डुबाने का श्रेय सिंहदेव-सैलजा को जाता है

  • छत्तीसगढ में कांग्रेस सरकार को डुबाने का पूरा श्रेय इन्हीं दोनो नेताओं को जाता है
  • लोकसभा चुनाव 2024 में इसकी पुनरावृत्ति न हो, कोई भी कांग्रेस नेता पार्टी को नुकसान न पहुंचा सके, इसलिए कांग्रेस पार्टी के हित में उचित काम हो।
जवाबी लेटर में बृहस्पत ने सिंहदेव और कुमारी सैलजा पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

जवाबी लेटर में बृहस्पत ने सिंहदेव और कुमारी सैलजा पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

OBC चेहरे को नेता प्रतिपक्ष बना सकती है कांग्रेस

इधर, आदिवासी सीएम बनने के बाद चर्चा है कि कांग्रेस ओबीसी चेहरे को नेता प्रतिपक्ष बनाएगी। विधानसभा चुनाव के नतीजों में कांग्रेस के बड़े-बड़े नेताओं को हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस के पास वैसे तो 35 विधायक हैं, लेकिन इनमें से 14 विधायक पहली बार विधानसभा पहुंचे हैं। बाकी 21 में आधे से ज्‍यादा दूसरी बार विधायक बने हैं। इनमें एक भी अच्‍छा वक्‍ता नहीं है।

पूर्व विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत

पूर्व विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत

ये लीडर नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में

विधानसभा में नेता विपक्ष के लिए कांग्रेस को एग्रेसिव नेता की तलाश है। चरणदास महंत का नाम भी चर्चा में हैं, लेकिन उनका शांत स्वभाव नेता विपक्ष के लिहाज से फिट नहीं बैठ रहा है। हालांकि महंत कोशिश कर रहे हैं कि उन्हें ही विपक्ष का नेता चुना जाए। वे ओबीसी चेहरा भी हैं।

वहीं, उमेश पटेल भी केवल अपने विधानसभा क्षेत्र तक ही सीमित हैं। ऐसे में वो भी इसमें फिट नहीं बैठ पा रहे हैं। ओबीसी चेहरा वे भी हैं। इसके बाद पार्टी के पास दलेश्वर साहू और भोलाराम साहू का ही नाम बचता है। दलेश्वर का नाम भी चर्चा में है। विधानसभा में उनके सवाल चर्चा में रहते हैं। साथ ही वे ओबीसी चेहरा हैं।

मोहन मरकाम और दीपक बैज

मोहन मरकाम और दीपक बैज

2 पीसीसी चीफ आदिवासी

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष की कमान लगातार दो बार से आदिवासी नेताओं के पास है। भूपेश बघेल के सीएम बनने के बाद मोहन मरकाम को पीसीसी चीफ बनाया गया। मरकाम के बाद बस्तर सांसद दीपक बैज को अध्यक्ष की कुर्सी सौंपी गई। अब कांग्रेस पार्टी ओबीसी समाज को भी साधना चाहती है। यही वजह है कि नेता प्रतिपक्ष ओबीसी समाज से हो सकता है।

शीतकालीन सत्र से पहले होगी घोषणा

कांग्रेस पार्टी के अंदर खाने यह चर्चा है कि पार्टी शीतकालीन सत्र से ठीक पहले अपना नेता चुनेगी। उससे पहले पार्टी में समीक्षा का दौर जारी रहने वाला है। बता दें कि छत्तीसगढ़ विधानसभा का शीतकालीन सत्र दिसंबर महीने में ही होता है।