ईरान में महिलाओं को सजा देने CCTV कैमरे लग रहे: सार्वजनिक जगहों पर बिना हिजाब दिखीं तो वॉर्निंग मैसेज आएगा, सजा होगी…

Last Updated on 2 years by City Hot News | Published: April 9, 2023

तेहरान// ईरान में हिजाब के मसले पर सरकार ने सख्ती बढ़ा दी है। इस अनिवार्य ड्रेस कोड का उल्लंघन करने वाली महिलाओं को पकड़ने के लिए ईरानी अधिकारी सार्वजनिक जगहों पर CCTV कैमरे लगा रहे हैं। इसके जरिए हिजाब नहीं पहनने वाली महिलाओं की पहचान कर उन्हें सजा दी जाएगी। हालांकि किस तरह की सजा दी जाएगी, इस बारे में जानकारी नहीं दी गई।

पुलिस ने कहा कि उनकी पहचान होने के बाद नियम का उल्लंघन करने वालों को चेतावनी दी जाएगी। इस कदम का मकसद हिजाब कानून के खिलाफ हो रहे विरोध को रोकना है। 16 सितंबर 2022 को महसा अमिनी की मौत के बाद से ही ईरान में हिजाब के विरोध में प्रदर्शन हो रहे हैं।

प्रदर्शन में 517 लोगों की मौत
महसा को 13 सितंबर को हिजाब नहीं पहनने के लिए पुलिस ने हिरासत में लिया था। इसके बाद अनिवार्य ड्रेस कोड का उल्लंघन करने के लिए गिरफ्तारी का जोखिम उठाते हुए महिलाओं ने देश भर के मॉल, रेस्तरां, दुकानों और सड़कों पर विरोध किया। इनमें अब तक 517 लोग मारे जा चुके हैं। सरकार ने सिर्फ 117 लोगों के मारे जाने की बात मानी है। ज्यादातर लोगों की मौत मॉरेलिटी पुलिस के टॉर्चर की वजह से हुईं।

तस्वीरें ईरान में हिजाब विरोधी प्रदर्शनों के बीच मारे गए 18 साल से कम उम्र के युवाओं की है।

तस्वीरें ईरान में हिजाब विरोधी प्रदर्शनों के बीच मारे गए 18 साल से कम उम्र के युवाओं की है।

हिजाब नहीं पहनने पर 49 लाख का जुर्माना
कुछ दिन पहले ही ईरान में महिलाओं के ड्रेस कोड को लेकर एक नया कानून बनाया था। इसके तहत अगर वो हिजाब नहीं पहनेंगी तो उन्हें 49 लाख रुपए तक का जुर्माना देना पड़ सकता है। ईरान के सांसद हुसैनी जलाली ने इसकी पुष्टि की थी।

हिजाब पहनने की अनिवार्यता 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद लागू हुई
ईरान में वैसे तो हिजाब को 1979 में मेंडेटरी किया गया था, लेकिन 15 अगस्त को प्रेसिडेंट इब्राहिम रईसी ने एक ऑर्डर पर साइन किए और इसे ड्रेस कोड के तौर पर सख्ती से लागू करने को कहा गया। 1979 से पहले शाह पहलवी के शासन में महिलाओं के कपड़ों के मामले में ईरान काफी आजाद ख्याल था।

  • 8 जनवरी 1936 को रजा शाह ने कश्फ-ए-हिजाब लागू किया। यानी अगर कोई महिला हिजाब पहनेगी तो पुलिस उसे उतार देगी।
  • 1941 में शाह रजा के बेटे मोहम्मद रजा ने शासन संभाला और कश्फ-ए-हिजाब पर रोक लगा दी। उन्होंने महिलाओं को अपनी पसंद की ड्रेस पहनने की अनुमति दी।
  • 1963 में मोहम्मद रजा शाह ने महिलाओं को वोट देने का अधिकार दिया और संसद के लिए महिलाएं भी चुनी जानें लगीं।
  • 1967 में ईरान के पर्सनल लॉ में भी सुधार किया गया जिसमें महिलाओं को बराबरी के हक मिले।
  • लड़कियों की शादी की उम्र 13 से बढ़ाकर 18 साल कर दी गई। साथ ही अबॉर्शन को कानूनी अधिकार बनाया गया।
  • पढ़ाई में लड़कियों की भागीदारी बढ़ाने पर जोर दिया गया। 1970 के दशक तक ईरान की यूनिवर्सिटी में लड़कियों की हिस्सेदारी 30% थी।
  • 1979 में शाह रजा पहलवी को देश छोड़कर जाना पड़ा और ईरान इस्लामिक रिपब्लिक हो गया। शियाओं के धार्मिक नेता आयोतोल्लाह रुहोल्लाह खोमेनी को ईरान का सुप्रीम लीडर बना दिया गया। यहीं से ईरान दुनिया में शिया इस्लाम का गढ़ बन गया। खोमेनी ने महिलाओं के अधिकार काफी कम कर दिए।