Navmansh Kundali: नवमांश कुंडली क्या होती है, ज्योतिष के नजरिए से क्या है इसका महत्व ?
Last Updated on 2 years by City Hot News | Published: April 9, 2023
वैदिक ज्योतिष में कुंडली के नवें भाव को भाग्य भाव की संज्ञा दी गई है, इसका अर्थ यह है कि आपकी जन्मपत्री का नवम भाव आपका भाग्य है लेकिन जब आप भाग्य का भी भाग्य देखते हैं तो ज्योतिष में उसे नवमांश कुंडली कहा जाता है।
एक अच्छा ज्योतिषी वही है जो नवमांश कुंडली का अध्ययन करने के बाद फलित करें। बिना नवमांश कुंडली को समझे अगर आप फल कथन करते हैं तो वो गलत भी हो सकता है। नवमांश कुंडली से ही ग्रह के वास्तविक बल का अंदाज़ा होता है।
अगर कोई लग्न कुंडली में बलवान है लेकिन नवमांश कुंडली में कमजोर हो गया है तो जाहिर सी बात है फिर उसके लाभ में कमी आ जायेगी। उसी प्रकार लग्न कुंडली में अगर कोई ग्रह कमजोर है लेकिन नवमांश कुंडली में वो बलवान हो गया है तो उसके द्वारा लाभ अधिक मिलने की संभावना है। नवमांश एक राशि के नवम भाव को कहते हैं जो कि 3 अंश और 20 कला का होता है।
नवमांश कुंडली के कुछ फलित नियम इस प्रकार है
- वर्गोत्तम लग्न होना शुभ होता है। यानी कि आपकी लग्न कुंडली के पहले भाव में जो राशि है अगर वही राशि आपकी नवमांश कुंडली के पहले भाव में है तो यह वर्गोत्तम लग्न कहलाता है। ऐसा जातक मन से और शरीर से बेहद बलवान हो जाता है। इसे वैदिक ज्योतिष में शुभ माना जाता है।
- वर्गोत्तम ग्रह होना शुभ होता है। यानी कि आपकी लग्न कुंडली में कोई ग्रह जिस राशि में है नवमांश कुंडली में भी वो ग्रह उसी राशि में हो। जैसे कि आपकी लग्न कुंडली में अगर गुरु मिथुन राशि में है और वही गुरु अगर नवमांश कुंडली में भी मिथुन राशि में हो तो वर्गोत्तम हुआ। ऐसे में अब गुरु अपने कारक का शुभ फल करने में सक्षम होगा यानी कि जातक के पुत्र भी होंगे और वो विद्वान भी होगा।
- अगर जन्मकुंडली में कोई ग्रह नीच राशि में विराजमान है लेकिन नवमांश कुंडली में अगर वो उच्च का हो जाता है तो ऐसा ग्रह फिर अपने अशुभ प्रभाव में कमी कर देता है। उसी प्रकार कोई ग्रह लग्न कुंडली में अगर उच्च का है लेकिन नवमांश कुंडली में अपनी नीच राशि में चला जाए तो वो शुभ फल में कमी कर देता है।
- अगर जातक की नवमांश कुंडली का लग्न और लग्नेश बलवान है और नवम दशम भाव में अगर कोई राजयोग बन रहा है तो जाहिर सी बात है व्यक्ति इन राजयोगों को फल भोगने में समर्थ होगा।
- नवमांश कुंडली को विवाह के बाद के जीवन के लिए भी देखा जाता है। यानी कि विवाह के बाद आपका जीवन कैसा होगा ? अगर लग्नकुंडली में विवाह के शुभ योग नहीं है और शुक्र गुरु पीड़ित भी है लेकिन नवमांश कुंडली में अगर गुरु शुक्र और सप्तम भाव शुभ है तो ऐसा व्यक्ति विवाह के बाद अच्छा जीवन व्यतीत करता है।